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जैविक उत्पादों की ओर रूख कर रही रसायन कंपनियां

नई दिल्ली। रासायनिक दवाओं एवं कीटनाशकों के उपयोग के कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति, पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य पर बढ़ते दुष्प्रभाव के लिए देश में जैविक खेती की मांग बढ़ रही है और कंपनियां इसमें अपने लिए लाभ के अवसर तलाशने लगी हैं। कृषि रसायन क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों ने कई ऐसे नये उत्पाद पेश करने की पहल की है जो उनके दावे के मुताबिक जैविक खेती में मदद करने वाले हैं।

रासायनिक दवाओं एवं कीटनाशकों के उपयोग के कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति, पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य पर बढ़ते दुष्प्रभाव के लिए देश में जैविक खेती की मांग बढ़ रही है और कंपनियां इसमें अपने लिए लाभ के अवसर तलाशने लगी हैं। कृषि रसायन क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों ने कई ऐसे नये उत्पाद पेश करने की पहल की है जो उनके दावे के मुताबिक जैविक खेती में मदद करने वाले हैं। देश में घटते भूजल स्तर तथा अत्यधिक रासायनिक दवाओं एवं कीटनाशकों के उपयोग के कारण खेत के बंजर होने एवं मानव स्वास्थ्य पर इनके प्रतिकूल प्रभावों के होने की घटनाओं के बीच सरकार भी राज्यों में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने में लगी है। जैविक खेती और जैविक खाद्य उत्पादों पर दिए जा रहे जोर के बीच कृषि रसायन कंपनियां जैविक खाद और जैविक कीटनाशकों  के क्षेत्र में कदम रख चुकी है।

जैविक खेती से रहा भरपूर फायदा

कीटनाशक दवाएं बनाने वाली कंपनी इंसेक्टेसाइड्स इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राजेश अग्रवाल ने कहा कि जैविक खेती से निश्चित रुप से खेती की लागत कम होती है और उपज अच्छी होने पर किसानों का लाभ बढ़ सकता है। अग्रवाल ने कहा कि कृषि रसायन उद्योग भी ‘‘ इस ओर ध्यान दे रहा है।’’ इंसेक्टिसाइड्स इंडिया ने जैविक खेती बाजार में संभावनाओं को देखते हुए एक जैविक उत्पाद-‘कायाकल्प’ विकसित किया है जो कंपनी के दावे के अनुसार मिट्टी में जैविक कार्बन बढ़ा कर न सिर्फ उसको नया जीवन देता है बल्कि उसकी उत्पादकता को भी बढ़ाता है। अग्रवाल ने कहा, ‘वातावरण में कार्बन नुकसानदेह है पर मिट्टी में इसकी उपस्थिति फायदेमंद होती है क्योंकि इससे उसकी उर्वरा शक्ति बढ़ती है। भारत में खेतों में कार्बन की उपस्थिति 0.2 से 0.5 प्रतिशत के बीच है। कायाकल्प के प्रयोग से मिट्टी में जैविक कार्बन का स्तर भी प्राकृतिक रूप से बढ़ता है।

कायाकल्प के सहारे हो रहा फायदा

कायाकल्प के प्रयोग से मिट्टी में जैविक कार्बन की उपस्थिति बढ़ती है जिससे मिट्टी अधिक नरम हो जाती है और उसकी पानी सोखने की क्षमता बढ़ जाती है। इससे मिट्टी की विद्युत चालकता बढ़ती है और खेत का ‘पीएच’ स्तर नियंत्रण में रहता है यानी खेत की नमी अगर ज्यादा अल्कलाईन है तो उसे कम करेगा और इसके अधिक अम्लीय होने की स्थिति में उसकी अम्लीयता को भी कम करेगा। उन्होंने कहा, कायाकल्प 100 फीसदी जैविक उत्पाद है जिसे कंपनी ने अपने शोध केन्द्र में विकसित किया है। उन्होंने कहा कि भारत भर में विभिन्न स्थानों पर इसके परिणाम बेहद उत्साहजनक हैं और कंपनी कृषि अनुकूल अन्य कई उत्पादों को लाने की तैयारी में जुटी है

कृषि लागत कम करने पर ध्यान दे सरकार

त्रेता एग्रो प्रा लि के प्रबंध निदेशक पंकज अग्रवाल ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने फसलों के एमएसपी को बढ़ाने की घोषणा की है। जो स्वागतयोग्य है मगर यह देखना होगा कि उपभोक्ताओं को खाद्यान्न सस्ते दामों में मिले और इसके लिए सरकार को कृषि लागत (जैविक खाद एवं कीटनाशकों) पर छूट (डिस्काउन्ट) देने की पहल करनी चाहिये क्योंकि इनका उत्पादन अभी निजी कंपनियों अथवा थोड़ी बहुत मात्रा में खुद किसानों के द्वारा किया जाता है और अभी यह महंगा बैठता है।

किशन अग्रवाल, कृषि जागरण

English Summary: Chemical companies turning towards organic products Published on: 03 November 2018, 03:13 PM IST

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