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अगले 5 वर्षों में प्रत्येक किसान को आत्मनिर्भर बनाएगा पामा एग्रीको

किसान हमारे देश का एक मजबूत स्तंभ है जो न सिर्फ हमारे लिए अन्न पैदा करता है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार देता है. पिछले कुछ वर्षों में किसानों के सशक्तिकरण को लेकर काफी प्रयास किए गए हैं. इसमें सरकार के साथ-साथ कृषि उपकरण निर्माता कंपनियों ने भी एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इसी क्रम में कृषि जागरण ने प्रमुख कृषि उपकरण निर्माण कंपनी पामा एग्रिको के संस्थापक श्रीनिवास के. पी. से बातचीत की. पेश हैं इस बातचीत के कुछ अंश:  

अपने कृषि क्षेत्र के अनुभव के बारे में कुछ बताइए?

हम सभी कृषि क्षेत्र से किसी न किसी प्रकार से जुड़े हुए हैं. देश में कृषि अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना हम सभी नागरिकों का एक मौलिक कर्तव्य होना चाहिए. वैसे मेरे अनुभव के बारे में बात की जाए तो कृषि से मेरा दिल का रिश्ता है. मेरी पत्नी कर्नाटक के श्रीरंगापत्तनम से आती हैं यह क्षेत्र मुख्यत: हरे गन्ना और धान  के लिए जाना जाता है. तो इस प्रकार मेरी पत्नी कृषि और उससे सबंधित क्षेत्र से जुड़ी हुई है. इससे मुझे खेती और एक किसान के बीच घनिष्ठ संबंधों को समझने में मदद की है जोकि मां और एक बच्चे के रिश्ते जैसा है. मेरी नज़र में किसान सबसे प्रगतिशील वर्ग है जो ज़मीन से जुड़कर काम करता है और अपनी तरक्की का रास्ता ख़ुद अपनी मेहनत से तैयार करता है.

पेशेवर तौर पर मुझे भारत की सबसे बड़ी हार्वेस्टर निर्माण कंपनी को चलाने का अवसर मिला है. इसे लगातार पिछले 4 वर्षों से 'क्लास' की पांच अग्रणी कृषि उपकरण निर्माण कंपनियों की सूची में शामिल किया जाता रहा है. इस तरह से इंडस्ट्री और बाजार के अनुभवों ने मुझे नया उद्यम स्थापित करने का आधार दिया। इसी तजुर्बे ने मुझे भारत के सबसे अनूठे और किसानों की जरुरत के अनुरूप कृषि उपकरणों के निर्माण और बिक्री करने वाली कंपनी पामा एग्रीको को शुरू करने में मदद की.

पामा कंपनी को शुरू करने की क्या वजह रही?

मुझे महसूस हुआ कि कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जो समाज के हर शख्स को प्रभावित करता है. तो इसी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए मैंने एलएपीपी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी के रूप में कार्य करने का फैसला किया। यहाँ काम करने के दौरान मुझे इल्म हुआ कि कृषि क्षेत्र में काम करना सामाजिक कार्य है तो मैंने इस कंपनी को छोड़कर 'पामा एग्रीको' की शुरुआत की. यह संगठन पूरी तरह से किसानों पर केंद्रित होगा  जिसका दिल और आत्मा किसान पर ध्यान केंद्रित करे और किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद मुहैया कराना इसका मकसद होगा.

आप किसानों को किस तरह के उत्पाद उपलब्ध करा रहे हैं ?

साल 2016 में अपनी स्थापना के वक़्त से इसके विकास करने तक हमने ट्रैक्टर संचालित कृषि उपकरणों के निर्माण को प्राथमिकता दी. वर्तमान में कंपनी के द्वारा जो प्रमुख उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं वो इस प्रकार हैं :

रोटावेटर

रोटावेटर खेती में इस्तेमाल होने वाला एक महत्वपूर्ण यंत्र है. पामा एग्रीको के द्वारा निर्मित रोटावेटर कृषि कार्यों में काफी सहायक है. यह 900 मिमी से 1800 मि.मी. तक की चौड़ाई में कार्य करने में सक्षम है.

ब्लेड

पामा एग्रीको मुख्य रूप से सिल्वर बोरॉन स्टील और डायमंड, दो तरह के ब्लेड बनाता है. दोनों ही ब्लेड बेहतर कार्यक्षमता वाले हैं. सिल्वर ब्लेड, डायमंड ब्लेड की तुलना में अधिक समय तक कार्य करने की स्थिति में रहते हैं.

इसके अलावा कंपनी जल्द ही स्व-प्रोपेल्ड मशीन श्रेणी के अंतर्गत आने वाले यंत्र जैसे- फोरेज हार्वेस्टर्स, ट्रैक्टर, मकई पिकर्स और ग्रेन हार्वेस्टर जैसे उत्पादों का निर्माण शुरू करने की योजना पर काम कर रही है.

कंपनी के शुरूआती दौर में आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा ?

एक कृषि सहकारिता कंपनी के रूप में हमने इस नीति पर काम किया कि उत्पादों की बिक्री करने के बाद उनकी खामियों का पता करने की बजाय इनका परीक्षण करके लोगों के बीच लाया जाएगा. यही कारण रहा कि हमें उत्पादों की लॉन्चिंग के वक़्त होने वाली प्रारंभिक चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ा. इसके अलावा हमने कंपनी के उत्पादों के बारे में किसानों से सीधे संवाद स्थापित किया. हालांकि यह भी साफ है कि कड़ी मेहनत के बाद ही सफलता के फल आते हैं.

“इंडिया ब्रांड इक्यूटी फाउंडेशन” के अनुसार कृषि भारत का एक प्रमुख कार्य है और देश की 58 पतिशत आबादी आज भी खेती पर निर्भर है. वहीं, फरवरी 2018 में रबी की बुवाई का रकबा 64.69 मिलियन हेक्टेयर रहा. इस विशाल क्षेत्र में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पामा एग्रीको अग्रसर भूमिका निभा रही है.

किसानों को सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान करने के लिए आपकी कंपनी कैसे प्रतिबद्ध है?

जैसा कि मैंने पहले भी बताया था कि भारतीय किसानों को सर्वोत्तम श्रेणी के कृषि- उपकरण मुहैया कराने के मकसद से ही पामा एग्रीको की स्थापना की गई थी. कंपनी हमेशा अपने ग्राहकों की माँग को सर्वोपरि रखती है. इसके लिए हम ग्राहकों से सीधे उनकी राय जानते हैं. अगर उत्पादन क्षमता की बात करें तो कंपनी प्रतिदिन लगभग 12,000 ब्लेड का निर्माण करती है. जबकि अन्य कंपनियों का यह औसत महज 4000- 5000 ब्लेड प्रतिदिन है. इसके अलावा पामा एग्रीको सिर्फ 15 मिनट में एक रोटावेटर का निर्माण करती है. वहीं पामा एग्रो एकमात्र ऐसी कंपनी है जो निर्माण प्रक्रियाओं में रोबोटिक तकनीक का इस्तेमाल करती है.

भारतीय किसानों की मौजूदा स्थिति के बारे में आपकी क्या राय है?

मुझे नहीं लगता कि वर्तमान परिदृश्य में हमें केवल 'भारतीय किसान' शब्द का उपयोग करना चाहिए।  क्योंकि यह शब्द भारत के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के किसानों और उनकी परिस्थितियों को एक पैमाने पर रखकर देखने का दायरा तय करता है. मिसाल के तौर पर केरल के किसान बाढ़ से लड़ रहे हैं और दूसरी तरफ पूर्वोत्तर में सूखा की मार से किसान बेहाल है.  कुछ जैव-इंजीनियर जैविक उत्पादों को लाने की दिशा में काम कर रहे हैं जबकि कुछ अन्य इसे कार्बनिक रखने के अपने प्रयासों को प्रसारित कर रहे हैं. मैंगलोर जैसे क्षेत्रों में औसत भूमि स्वामित्व 2,000 वर्गफुट है जबकि पंजाब और महाराष्ट्र में 100 एकड़ भूमि का अधिकार है.  इस तरह के विविध तंत्र के साथ आर्थिक स्थिति, कृषि उपकरण और भूमि प्रबंधन जैसे मोर्चों पर उन्हीं के अनुरूप समाधान की जरुरत है.

इसलिए खेती उद्योग से संबंधित किसी भी समस्या, समाधान या उत्पाद को सामान्य रूप से देखना या सामान्य बनाना संकुचित रवैया का पर्याय है. बल्कि क्षेत्रीय परिदृश्य की बारीक़ समझ और प्रत्येक स्थिति के लिए जरुरी समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित किया जाने की जरुरत है

किसानों के कल्याण के लिए चल रही सरकारी योजनाओं पर आपका क्या विचार है?

सरकार द्वारा किसानों को ऋण छूट, फसल बीमा सब्सिडी, कर्ज की आसान उपलब्धता जैसे कदम स्वागत योग्य हैं.  इसके अलावा सरकार को मशीनीकरण को बढ़ावा देने वाले कदम उठाने पर जोर देने की जरुरत है. जिसमें किसानों को सीमित प्राकृतिक संसाधनों के बीच उन्नत व जरूरी कृषि ज्ञान से लैस किया जाना शामिल है.  चूंकि कृषि का भविष्य प्रत्यक्ष तौर पर कृषि उपकरणों से जुड़ा है. यंत्रों के प्रयोग से खेती में कम वक्त लगता है और साथ ही लागत को भी कम करने में मदद मिलती है. किसानों को सब्सिडी वाली लागत पर इन उपकरणों को उपलब्ध कराने में सरकार उल्लेखनीय भूमिका निभा सकती है.

क्या आपको लगता है कि भारतीय कृषि उद्योग में प्रौद्योगिकी का उपयोग एक और क्रांति होगी?

प्रौद्योगिकी ने भारत की आजादी से अब तक कई क्रांतियों और प्रगति लाने में महत्वपूर्ण किरदार अदा किया है. इससे बैंकिंग, व्यापार, शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन, प्रबंधन और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिले और इन्होंने हमारी जीवन के हर पहलू को छुआ है. कृषि क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा है. आज खेत जोतने के लिए परंपरागत, बैल चालित हल की जगह रोटावेटर ने ले ली है. फसल काटने के लिए कंबाइंड हार्वेस्टर का इस्तेमाल होता है. इसके साथ ही ऑटोमेटिक छिड़काव, सिंचाई की आधुनिक तकनीक जैसे बदलावों को किसान स्वीकार कर रहे हैं.

हालांकि इस क्षेत्र में विकसित और पश्चिमी देश हमसे बहुत आगे हैं. वहां प्रभावी रूप से 'प्रिसिशन एग्रीकल्चर' का उपयोग किया जा रहा है जो कि कृषि उद्योग में वास्तविक तकनीकी क्रांति है. फसलों की बारीकी से निगरानी करने के लिए ड्रोन जैसे गैजेट का उपयोग किया जाता है. जिससे पौधों, सिंचाई स्तर और पौधों की संख्या आदि का विश्लेषण किया जाता है. नतीजतन फसल में होने वाली समस्या को शीघ्रता से पहचानने और उनके समाधान करने में मदद मिलती है. इस तरह की प्रगति को देखते हुए मैं बस इतना कहूंगा कि हम कृषि-उपकरण उद्योग की तकनीकी क्रांति की दहलीज पर हैं.

आखिर में आप कृषक समुदाय को क्या संदेश देना चाहते हैं?

निजी तौर पर मैं, दुनिया के सबसे शानदार व्यवसायों की सूची में कृषि को सबसे ऊपरी पायदान पर रखता हूँ. समाज के प्रति किसानों के योगदान को नजरअंदाज करना मुश्किल है. तमाम अनिश्चितताओं और संकट की स्थितियों के बाबजूद अरबों आश्रित लोगों का पेट भरने के लिए किया जाने वाला उनका अथक परिश्रम से भावी पीढ़ियों को प्रेरणा लेनी चाहिए।

माता-पिता, शिक्षण संस्थानों और सभी शैक्षिक और विकास संगठनों के लिए जरूरी है कि भविष्य की पीढ़ियों को कृषि के लिए तैयार किया जाये। इस प्रकार, से यह युवा पीढ़ी एक स्वस्थ, आनुवंशिक रूप से गतिशील, कार्बनिक रूप से पोषित कृषक समुदाय का निर्माण करेगी। इससे एक मजबूत भारत बनाने की राह प्रशस्त होगी। आखिरी में मुझे रोज़ाना रोटी देने के लिए भगवान और किसान को मेरा धन्यवाद जो मेरे लिए इसे लाने के लिए इतना कठिन काम करता है.

English Summary: Palm Agrico will make every farmer self reliant in the next 5 years

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