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खुदरंग शायर : जॉन एलिया

अभी इक शोर सा उठा है कहीं कोई ख़ामोश हो गया है कहीं है कुछ ऐसा कि जैसे ये सब कुछ इस से पहले भी हो चुका है कहीं जो यहाँ से कहीं न जाता था