मुश्किलों से घबरा कर उसके सामने घुटने टेक देना कोई अकलमंदी नहीं होती। परिस्थितियां चाहे जितनी भी खराब और आपके प्रतिकूल क्यों न हों, इंसान को अपना संघर…
"मुझे भयंकर दर्द होता है, मैं ज़ोर-ज़ोर से रोने लगती हूं. बेहोशी वाली हालत हो जाती है...", अपराजिता की आवाज़ से उनकी तकलीफ़ का अंदाज़ा लगाया जा सकता ह…