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ज़िंदगी कि इस दोड़ में हम अपने सपने छोड़, परिवार के लिए कमाने लग जाते हैं, परिवार कि ज़िम्मेदारी लेते ही ,हम यूं हि बच्चे से बड़े बन जाते हैं. हम लड…