Groundnut Variety: जून में करें मूंगफली की इस किस्म की बुवाई, कम समय में मिलेगी प्रति एकड़ 25 क्विंटल तक उपज खुशखबरी! अब किसानों और पशुपालकों को डेयरी बिजनेस पर मिलेगा 35% अनुदान, जानें पूरी डिटेल Monsoon Update: राजस्थान में 20 जून से मानसून की एंट्री, जानिए दिल्ली-एनसीआर में कब शुरू होगी बरसात किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 27 July, 2020 6:44 PM IST
Successful Woman

आज हम कृषि क्षेत्र से जुड़ी एक ऐसी सफल कहानी बताने जा रहे हैं, जो मेरठ में रहने वालीं 27 वर्षीय पायल अग्रवाल की है. पायल ने बीटेक की पढ़ाई की है, साथ ही सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहीं हैं. वह बैंक पीओ, क्लर्क आदि की परीक्षा दे चुकी हैं.

लेकिन खास सफलता नहीं मिल पाई. पायल पढ़ाई के साथ-साथ सोशल मीडिया पर छोटे-मोटे बिजनेस के आइडिया भी खोजती रहती हैं. इस दौरान उन्हें वर्मी-कम्पोस्ट यानी केंचुआ खाद बनाने का आइडिया आया. आज उन्हें करीब 2 साल हो गए केंचुआ की खाद बनाते हुए, इससे वह हर महीने में 1 लाख रुपए से ज्यादा का मुनाफ़ा कमा रही रही हैं.

केंचुआ खाद बनाने की शुरुआत (Start of making earthworm compost)

पायल ने 22 साल की उम्र में खाद बनाने की शुरुआत की. यह खाद किचन वेस्ट से तैयारी होती थी. यानी किचन में जो सब्जी के छिलके, फलों के छिलके निकलते थे, वह उन्हें एक कंटेनर में डालती थी. इस तरह करीब 15 दिनों तक कचरा एकत्र होता रहता था, वह उसमें पानी डालकर सड़ने देती थीं, साथ ही उसमें गोबर मिला देती थीं. इस तरह 1 महीने में खाद तैयार हो जाती थी.

केंचुआ खाद बनाने के बिजेनेस की शुरुआत (Starting a business to make earthworm manure)

इसके बिजनेस के लिए जमीन की जरूरत थी, लेकिन पायल के पास खुद की जमीन नहीं थी. इसके बाद पायल ने करीब डेढ़ एकड़ जमीन किराए पर ली थी. इसका सालाना किराया करीब 40 हजार रुपए था. उन्होंने पानी के लिए बोरिंग करवाई, बिजली के लिए पुराना जनरेटर लगवाया, फावड़ा-तगाड़ी जैसे छोटे-छोटे औजार खरीदे. इसके बाद काली पॉलीथिन के 2 रोल बुलवाए. जिससे 12 बेड बन जाते हैं. यानी 2  से 24 बेड बन गए. इनके जो टुकड़े बचे थे, उससे 2 बेड और बन गए. इस तरह करीब 26 बेड बन गए. इसके बाद पायल ने गोबर और केंचुए डाल दी और इसके ऊपर पराली बिछा दी. इस पर रोजाना 1 बार पानी छिड़का, ताकि नमी बरकरार रहे और हवा भी लगती रहे.

500 बेड लगाकर बनाई केंचुआ खाद (Earthworm compost made by planting 500 beds)

इस वक्त पायल हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, अलीगढ़, बरेली, महाराष्ट्र, आगरा, कश्मीर, जामनगर जैसे शहरों में वर्मी कम्पोस्ट की यूनिट लगवा चुकी हैं. वह इसका कोई चार्ज नहीं लेती हैं, बल्कि सिर्फ केंचुआ खाद की सप्लाई करती हैं. इस वक्त उनके पास स्किल्ड लेबर हैं. अगर कहीं यूनिट लगानी होती है, तो वहां उनका एक लेबर जाता है.

English Summary: The business of making earthworm compost is giving a profit of lakhs of rupees every month
Published on: 27 July 2020, 06:47 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now