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Updated on: 3 August, 2021 10:36 AM IST
पिछले 5 सालों से अमित चौहान ब्रायलर मुर्गी पालन कर रहे हैं.

मुर्गी पालन किसानों और पशुपालकों के लिए आय के एक अच्छे स्त्रोत के रूप में उभर रहा है. यदि सही बिजनेस कॉन्सेप्ट के साथ मुर्गी पालन किया जाए तो इससे हर महीने अच्छी कमाई हो सकती है. सामान्यतः दो तरह से मुर्गी पालन किया जाता है, एक ब्रायलर मुर्गी पालन और दूसरा लेयर मुर्गी पालन. ब्रायलर मुर्गी पालन मांस के लिए तथा लेयर मुर्गी पालन अंडों के लिए किया जाता है.  इंदौर शहर से 8 किलोमीटर दूर बेगम खेड़ी में युवा फार्मर अमित चौहान पिछले पांच सालों से ब्रायलर मुर्गी पालन कर रहे हैं. वे इस बिजनेस से हर महीने लाखों रुपए कमाते हैं. आने वाले समय में वे अपने इस बिजनेस को बढ़ाना चाहते हैं. इस लेख में पढ़े,  ब्रायलर पोल्ट्री फार्मिंग से वे कैसे कर रहे हैं हर महीने लाखों की कमाई

6 हजार चूजों का पालन

बीएससी तक पढ़ाई करने वाले अमित चौहान ने कृषि जागरण से बात करते हुए बताया कि उन्होंने चार से पांच साल पहले ब्रायलर पोल्ट्री फार्मिंग का बिजनेस शुरू किया था. इसके लिए उन्होंने इंदौर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से मुर्गी पालन की ट्रेनिंग ली. सबसे पहले उन्होंने अपना बिजनेस 2 से 3 हजार चूजों के साथ शुरू किया था. आज उनके फार्म में 6 हजार से अधिक चूजे हैं. हैचरी से उन्हें प्रति चूजा 25 रुपए में मिलता है. अमित का कहना हैं कि अधिक कमाई के लिए चूजों का सही रखरखाव बेहद जरुरी है. इसके लिए समय-समय पर चूजों को टीका लगवाने की जरूरत पड़ती है. किसी गंभीर बीमारी या रोग होने पर चूजों को इंजेक्शन लगवाया जाता है.

2 महीने में लाखों की कमाई

अमित का कहना हैं कि हैचरी से जब वे चूजें खरीदते हैं तब वह 35 से 40 ग्राम का होता है. 40 से 45 दिनों में मुर्गा 2 किलोग्राम का हो जाता है तब वह इसे बेचदेते हैं. वे बताते हैं कि विभिन्न तरह की बीमारियों से बचाने के लिए चूजों को समय-समय पर टीके लगवाना बेहद जरुरी है. पहला टीका 'एफ-1' दो से 7 दिनों बाद लगवाया जाता है, जो ठंडक और निमोनिया से बचाता है. दूसरा टीका गमबारु का होता है जिसे 14 दिनों बाद लगवाया जाता है, जो चूजों को सर्दी खांसी से बचाता है तथा तीसरा टीका लसोटा का 21 दिनों बाद लगवाया जाता है जो मुर्गे-मुर्गी को वैट गेन करने में मदद करता है.

तंदूरी के लिए रहती है डिमांड

उन्होंने बताया कि अच्छी आमदनी के लिए वे 6 हजार चूजों की क्षमता वाले पोल्ट्री फार्म में 4 हजार अतिरिक्त चूजों का पालन करते हैं. जब मुर्गे 1200 ग्राम के हो जाते हैं, तब वे इनको शहर के बड़े होटलों में सप्लाय कर देते हैं. उन्होंने बताया कि तंदूरी चिकन के लिए 1200 ग्राम वजन के मुर्गों की अच्छी खासी मांग रहती है, वहीं इनके भाव भी अच्छे मिलते हैं. जहां बड़े मुर्गों का चिकन 90 से 100 रुपए किलो तक बिकता हैं, वहीं यह 100 से 120 रुपए किलो तक बिक जाते हैं.

इंटीग्रेशन फार्मिंग से कमाई

उन्होंने बताया कि ब्रायलर मुर्गी पालन का 2 महीने का यह पूरा चक्र होता है. खर्च के बारे में उन्होंने बताया कि ब्रायलर मुर्गी पालन में चिक्स कॉस्ट, फीड कॉस्ट, मेडिसिन एवं वैक्सीन कॉस्ट, शेड कॉस्ट, इलेक्ट्रिसिटी और लेबर कॉस्ट पर 6 से 7 लाख रुपए का खर्च आता है. खर्च कम करके प्रति किलो चिकन पर 15 से 20 रुपए तक उन्हें मुनाफा मिल जाता है. वे बताते हैं कि जब चिकन 2 किलोग्राम वजनी हो जाता है तब बेचा जाता है. इस तरह प्रति चिकन उन्हें 2 महीने के चक्र में 35 से 40 रुपए का मुनाफा मिल जाता है. वे दो महीने में 6 से 10 हजार चूजों का पालन करते हैं. जिससे उन्हें 2 से 3 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा मिल जाता है. वहीं साल में 6 बार ब्रायलर मुर्गी पालन करते हैं. जिससे उनको  सालभर में 10 से 12 लाख रुपए की आमदनी हो जाती है. उन्होंने बताया कि वे इंटीग्रेशन फार्मिंग यानी विभिन्न कंपनियों के साथ टायअप  करके मुर्गीपालन करते हैं, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है.

(सफ़ल किसानों, मुर्गी पालकों के बारे में और जानने के लिए और खेती से संबंधित अधिकतम जानकारी पाने के लिए ज़रुर पढ़ें कृषि जागरण हिंदी पोर्टल की ख़बरें.)

English Summary: amit chauhan earns lakhs from broiler poultry farming in 2 months, this is the complete business model
Published on: 03 August 2021, 10:44 AM IST

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