नया साल आने वाला है. यह नया साल हम सभी के लिए खुशियों से भरा रहे और सभी को इस कोरोना महामारी से जल्द ही छुटकारा मिले ये सभी की दुआ है. हम सभी लोग हर साल आने वाले नए साल को खुशियों से मनाते हैं, उसका ख़ुशी से स्वागत करते हैं. मगर क्या आपने कभी सोचा है कि 1 जनवरी को ही नए साल के रूप में क्यों मनाते हैं? तो आइये जानते हैं इसके पीछे के इतिहास को.
1 जनवरी को नए साल के रूप में मनाने का इतिहास (History Of Celebrating January 1 As New Year)
हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार नया साल मार्च के महीने में मनाया जाता है, लेकिन रोम के राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर में बदलाव किए थे. कैलेंडर में जनवरी को पहला महीना माना गया. रोमन कैलेंडर में रोम के अगले शासक जूलियस सीजर ने कुछ बदलाव किए. उन्होंने 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत की. जूलियस कैलेंडर में साल में 12 महीने किए गए. जूलियस सीजर ने खगोलविदों से मुलाकात के बाद जाना कि पृथ्वी 365 दिन और छह घंटे में सूर्य की परिक्रमा लगाती है. इसे ध्यान में रखते हुए जूलियन कैलेंडर में साल में 310 की जगह 365 दिन किया गया.
भारत में नया साल (New Year In India)
वैसे तो भारत में सभी जगह नया साल 1 जनवरी को ही मनाया जाता है, लेकिन हमारे भारत में सभी लोग अपने धर्म के प्रति बहुत आस्था और विश्वास रखते हैं, इसलिए नया साल अलग-अलग जगह स्थानीय रिवाज के हिसाब से भी मनाया जाता है.
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पंजाब में नया साल बैसाखी के रूप में 13 अप्रैल को मनाया जाता है. सिख धर्म को मानने वाले इसे नानक शाही कैलेंडर के अनुसार मार्च में होली के दूसरे दिन मनाते हैं. जैन धर्म के लोग नए साल को दिवाली के अगले दिन मनाते हैं. यह भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन से शुरू होता है.
नया साल को कैसे मनाते हैं (How To Celebrate New Year)
इस दिन सभी वर्ग के लोग अपनी अपनी परिवार और दोस्तों के साथ कहीं घूमने जाते हैं, देर रात पार्टियाँ करते हैं. एक दूसरे को अपने सगे सम्बन्धी को मिठाई खिलाते हैं. आपस में मिलते हैं सभी लोग और एकदूसरे को नए साल की बधाई देते है.