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Updated on: 29 September, 2021 7:05 PM IST
Coffee

साल 2015 में इटली में पहली बार 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय कॉफी संगठन सम्मलेन का आयोजन किया गया था. कॉफी दिवस प्रत्येक साल उन सभी लोगों के मेहनत को पहचानने हेतु मनाया जाता है, जो कॉफी व्यवसाय से जुड़े हैं. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कॉफी पेय को बढ़ावा देने हेतु किया गया है.

इसका मुख्य उद्देश्य उन सभी लोगों को प्रति आदर सम्मान व्यक्त करना है जो खेत से दुकान तक कॉफी को पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. तथा उन्हें प्रोत्साहित करना भी है कि वो इसी मेहनत और लगन की से इस काम को करते रहें.

विश्व भर में 1 अक्टूबर को मनाया जाने वाले इंटरनेशनल कॉफ़ी डे युवाओं के बीच काफी प्रचलित है. एक सर्वे के मुताबिक पता चला है कि अक्सर युवा कॉफी पीने का बहाना खोजते रहते हैं. फिर वो दोस्ती बढ़ाने की बात हो या दोस्तों के साथ कही बहार जाने की,युवा कॉफी को हीं अपना पहला पसंद बताते हैं. इसके पीछे का कारण कॉफी में बढ़ती उनकी दिलचस्पी है.

कॉफी की बढ़ती मांग ने कॉफी की खेती दिया बढ़ावा

कॉफी की बढ़ती मांग ने कॉफी की खेती को भी बढ़ावा दिया है. अगर बात भारत की करें, तो मुख्य रूप से भारत के दक्षिण राज्यों के पहाड़ी क्षेत्रों में कॉफी की होती है. कॉफ़ी का उपयोग खासकर पेय प्रदार्थ के रूप में होता है, भारत में कई जगह इसे कहवा भी कहा जाता है. यह एक ऐसा पदार्थ होता है, जिसे अनेक प्रकार की खाने और पीने की चीज़ो में भी इस्तेमाल किया जाता है.

कॉफ़ी का उचित मात्रा में सेवन करना शरीर के लिए कॉफ़ी फायदेमंद होता है. लॉकडाउन के दौरान विश्वभर में कॉफी की मांग में काफी ज्यादा बढ़ोतरी आई थी. लोगों ने इसका उपयोग अलग-अलग तरह की व्यंजन को बनाने में भी किया था. लॉकडाउन के दौरान डलगोना कॉफी ने जबरदस्त धूम मचाई थी. युवाओं से लेकर बड़ों ने भी इसको जम कर बनाया और पिया.

भारतीय कॉफ़ी की गुणवत्ता बहुत अच्छी होने के कारण इसे दुनिया की सबसे अच्छी काफ़ी का दर्जा दिया गया है. अन्य देशों के मुकाबले भारत में इसे छाया में उगाया जाता है.

कॉफ़ी उत्पादन में भारत को विश्व के प्रमुख 6 देशों में शामिल किया गया है. जिसमें कर्नाटक, केरल, और तमिलनाडु भारत के ऐसे राज्य हैं, जहां कॉफी का उत्पादन अधिक मात्रा में किया जाता है. कॉफ़ी के पौधे एक बार लग जाने पर वर्षो तक पैदावार होती है. इसकी खेती करने के लिए मॉडरेट जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है.

तेज धूप वाले स्थान पर कॉफी की खेती करने से कॉफ़ी की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पर बहुत असर पड़ता है. जबकि छायादार स्थान पर की गयी कॉफी की गुणवत्ता और पैदावार दोनों ही उम्दा होती है, तथा इसकी खेती के लिए ज्यादा बारिश की भी जरूरत नहीं होती है. साथ ही सर्दियों का मौसम भी कॉफी की खेती के लिए हानिकारक साबित होता है.

कॉफ़ी की खेती के लिए कार्बनिक पदार्थ युक्त दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है, तथा वॉलकैनिक विस्फोट से निकलने वाली लावा युक्त मिट्टी में भी इसे उगाया जाता है. शायद यही वो वजह है कि इसके स्वाद में एक अलग तरह का कड़वापन पाया जाता हैं. और उसी स्वाद की पीछे आज के युवा कॉफ़ी को इतना पसंद करते हैं. इसकी खेती में भूमि का P.H. मानक 6 से 6.5 के मध्य होता है.

अगर आप भी इसकी खेती करना चाहते हैं, तो इस बात का ख्याल रखना होगा. कम शुष्क और आद्र मौसम कॉफ़ी की खेती के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. कॉफ़ी की खेती में छायादार जगह को सही और सटीक  माना जाता है. इससे इसकी गुणवत्ता बढ़ती है. वहीं इसकी खेती में 150 से 200 सेंटीमीटर तक की वर्षा पर्याप्त होती है. अधिक वर्षा इसकी फसल को प्रभावित करता है, तथा सर्दियों का मौसम भी फसल के लिए उपयुक्त नहीं होता है. सर्दियों के मौसम में पौधों का विकास रुक जाता है. 

कॉफ़ी के खेती में तापमान का भी अहम योगदान होता है. इसके पौधों के विकास के लिए 18 से 20 डिग्री का तापमान अच्छा माना गया है, किन्तु गर्मी के मौसम में अधिकतम 30 डिग्री तथा सर्दियों के मौसम में न्यूनतम 15 डिग्री को ही सहन कर सकता है. तापमान में अधिक परिवर्तन होने पर इसके पौधों का विकास तथा इसकी पैदावार दोनों ही प्रभावित होते हैं.

English Summary: Why is International Coffee Day celebrated
Published on: 29 September 2021, 07:22 PM IST

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