आज के दौर में खेती की बात करें, तो सिंचाई व्यवस्था में बूंद-बूंद पानी का इस्तेमाल करने पर लगातार जोर दिया जा रहा है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश की सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. दरअसल, अब राज्य में इजराइल की तर्ज पर सिंचाई व्यवस्था में बूंद-बूंद पानी का इस्तेमाल हो, इसके लिए सिंचाई के लिए अधिक से अधिक स्प्रिंकलर और ड्रिप इरीगेशन सिस्टम के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा एक अहम योजना बनाई जा रही है, जिसके तहत नाबार्ड (NABARD) से लगभग 450 करोड़ रुपए का ऋण लिया जाएगा. लक्ष्य है कि किसान स्प्रिंकल सेट और ड्रिप इरीगेशन के उपकरण सब्सिडी के साथ खरीद पाएं.
यह एक जल प्रबंधन योजना है, जिसकी शुरुआत उन जगह से की जाएगी, जहां नहरों की जगह भूजल से सिंचाई की जाती है. इससे भूजल की बर्बादी नहीं होगी, साथ ही जल को अधिक संरक्षित किया जा सकेगा. इसके लिए सरकार ने एक विशेष योजना भी तैयार की है. इसमें नाबार्ड से ऋण लिया जाएगा, ताकि असिंचित क्षेत्रों में फसलों की अच्छी तरह सिंचाई हो पाए.
बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने लगभग 450 करोड़ रुपए ऋण से जुड़ा प्रस्ताव नाबार्ड को भेज दिया है. इस प्रस्ताव में नाबार्ड के आरआईडीएफ से राशि प्रदान कने का अनुरोध किया गया है. इसके साथ ही राज्य सरकार के ग्रामीण और कृषि विकास से जुड़े प्रस्तावों पर भी विचार किया जा रहा है.
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कम पानी से सिंचाई की सुविधा
राज्य में बूंद-बूंद पानी के इस्तेमाल के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. कृषि विभाग द्वारा स्प्रिंकलर पर सब्सिडी दी जा रही है, ताकि किसानों को इसके प्रति प्रोत्साहित किया जा सके. इसके अलावा उद्यान विभाग की तरफ से भी ड्रिप इरीगेशन की योजना चलाई जा रही है. इस नई प्रस्तावित योजना में भूजल से सिंचाई के काम करने में ड्रिप और स्प्रिंकलर के उपयोग को अनिवार्य बनाया जा रहा है.
इजराइल में 2 दशक से तकनीक का इस्तेमाल
इस नई पद्धति को इजराइल ने विकसित किया था, जिसमें पाइप लाइन के जरिए सीधे पौधों की जड़ों में बूंद-बूंद पानी दिया जाता है. आज दुनियाभर के किसान इस तकनीक को अपना रहे हैं. इस तकनीक में 80 से 85 प्रतिशत पानी का सदुपयोग होता है. इस तरह स्प्रिंकलर सेट से पानी की अच्छी बचत होती है, इसलिए किसान इसको काफी पसंद भी कर रहे हैं.
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