केंद्रीय ग्रामीण विकास, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने 3 फरवरी को संयुक्त रूप से गोबरधन एकीकृत पोर्टल लॉन्च किया. जल शक्ति मंत्रालय के सचिव, पशुपालन और डेयरी विभाग के सचिव समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया.
इस एकीकृत पोर्टल के तहत प्रमुख हितधारकों में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी), पशुपालन एवं डेयरी विभाग, कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) और ग्रामीण विकास विभाग के विभिन्न बायोगैस कार्यक्रम/नीतियां/योजनाएं जैसे कि एमएनआरई कानया राष्ट्रीय बायोगैस और खाद प्रबंधन कार्यक्रम (एनएनबीओएमपी), एमओपीएनजी की जैव ईंधन नीति और किफायती परिवहन के लिए टिकाऊ विकल्प (सतत) और पशुपालन विभाग की ओर से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और इसी प्रकार की अन्य योजनाएं शामिल हैं.
नवीन एकीकृत दृष्टिकोण के तहत इन सभी कार्यक्रमों/योजनाओं का समन्वय पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण (एसबीएमजी) के अधीन किया जाएगा.
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विश्वास जताया कि गोबरधन एकीकृत पोर्टल विभिन्न बायोगैस परियोजनाओं/मॉडलों और पहलों के लिए सम्मिलित दृष्टिकोण के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा. एसबीएमजी के दूसरे चरण में रेखांकित किए गए ओडीएफ प्लस उद्देश्य काफी हद तक गोबरधन योजना के प्रदर्शन पर निर्भर करते हैं क्योंकि इसमें ना केवल ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटा जाएगा बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में जीविकोपार्जन की संभावनाओं और घरेलू आय में भी बढ़ोतरी करेगा.
क्या है गोबरधन योजना?
गोबरधन योजना को 2018 की शुरुआत में लॉन्च किया गया था जिसका उद्देश्य गावों में मवेशियों के अपशिष्ट समेत अन्य जैव-अपशिष्ट का प्रबंधन करना और उन्हें बायोगैस तथा ऑर्गेनिक खाद में बदलना है ताकि किसानों और अन्य घरों को आर्थिक और संसाधनों के लाभ पहुंचाकर उनके जीवन में सुधार किया जा सके.