One Rupee Crop Insurance: महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा चुनाव की एक अहम योजना को बंद करने का फैसला लिया है. एक रुपये वाली फसल बीमा योजना में भारी अनियमितताएं सामने आने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस योजना को बंद करने का ऐलान किया है. वर्ष 2025 के लिए अब यह योजना लागू नहीं होगी. राज्य सरकार का कहना है कि योजना में 5.9 लाख फर्जी आवेदक पकड़े गए हैं, जिससे सरकार को बड़ा नुकसान हो सकता था.
478.5 करोड़ रुपये का फर्जी प्रीमियम
राज्य और केंद्र सरकार ने इन फर्जी आवेदकों के लिए बीमा कंपनियों को 478.5 करोड़ रुपये का प्रीमियम भी भुगतान किया था. यदि इन फर्जी आवेदकों को बीमा क्लेम मिल जाता, तो किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में सरकार को लगभग 6,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता था.
सामान्य सेवा केंद्र बने गड़बड़ी का केंद्र
खबरों के अनुसार, जांच में यह सामने आया कि 96 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटरों (CSC) ने फर्जी आवेदनों को प्रोसेस किया. इन सेंटरों को हर आवेदन पर 40 रुपये मानदेय मिलता था, जिससे अधिक आवेदनों की लालच में बड़ी संख्या में फर्जी नाम जोड़े गए. सबसे अधिक गड़बड़ी बीड, सतारा, परभणी और जलगांव जिलों में पाई गई.
गैर-कृषि भूमि और धार्मिक स्थलों पर बीमा
जांच में यह भी पाया गया कि जिन जमीनों पर बीमा कराया गया था, उनमें से कई खेती योग्य ही नहीं थीं. कुछ फर्जी आवेदन धार्मिक स्थलों की भूमि, सरकारी जमीन और गैर-कृषि भूमि के नाम पर किए गए थे. यह पूरी प्रक्रिया अब विशेष जांच दल (SIT) के अधीन है, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद संबंधित अधिकारियों और केंद्रों पर कार्रवाई की जाएगी.
राजनीतिक दृष्टि से था गेमचेंजर
मार्च 2023 में शुरू की गई एक रुपये वाली यह योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत लागू की गई थी, जो विधानसभा चुनाव में महायुति सरकार के लिए गेमचेंजर बनी थी. इस योजना के साथ लाडली बहना योजना भी चलाई गई, जिसने महिला और किसान वोटरों को आकर्षित किया.
सीएम ने दिए नई योजना के संकेत
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, “हम नहीं चाहते थे कि इस योजना का लाभ फर्जी लोग उठाएं और असली किसान पीछे रह जाएं. हमने इस योजना का एक बेहतर और पारदर्शी विकल्प तैयार किया है, जिसे जल्द ही लागू किया जाएगा.” उन्होंने यह भी कहा कि योजना से हुई वित्तीय बचत को कृषि में पूंजी निवेश के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. सरकार ने नई बीमा योजना लाने के संकेत दिए हैं, जिसमें डिजिटल सत्यापन, भू-लेखा सत्यापन और आधार लिंकिंग जैसी तकनीकी प्रक्रियाएं शामिल होंगी ताकि कोई भी फर्जीवाड़ा दोबारा न हो.