कृषि सम्बंधित जब भी किसी कार्य की बात होती है, तो सबसे पहले हमारे दिमाग में ख्याल ट्रैक्टर का आता है. भारतीय कृषि के कृषि क्षेत्र में ट्रैक्टर की एक अहम् भूमिका रही है.
खेतों की जुताई करनी हो या फसल को एक जगह से दूसरे जगह ले जाना, सभी में हमारे किसान ट्रैक्टर का सहारा लेते आए हैं.सिर्फ इतना ही नहीं, ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टर का इस्तेमाल कई अन्य कार्यों के लिए भी किया जाता है. आज के बदलते वक़्त की अगर बात करें, तो तकनीक ने एक नई मुकाम हासिल कर ली है, लेकिन फिर भी खेतों से ट्रैक्टर का पकड़ बिल्कुल भी काम नहीं हुआ है. बड़े किसानों से लेकर छोटे किसान तक ट्रैक्टर का इस्तेमाल अपनी खेती-बाड़ी में अवश्य करते हैं.
ऐसे में आइए आज हम आपको हेमंत सिक्का, प्रेसिडेंट, टीएमए एंड प्रेसिडेंट-फार्म इक्विपमेंट, महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड से मिलवाते हैं. हेमंत सिक्का PowerolGenset Business की देखरेख भी करते हैं. आपको बता दें हेमंत सिक्का कई ऐसे ग्रुप कंपनियों के बोर्ड मेंबर भी हैं.
इससे पहले हेमंत सिक्का अध्यक्ष-मुख्य खरीद अधिकारी थे और उन्होंने ऑटो और फार्म क्षेत्रों के लिए बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए जेनसेट और स्पेयर्स के कारोबार का नेतृत्व किया. हालाँकि वह पहले हेड परचेज - SsangYong Motors, South Korea, Mahindra की एक समूह सहायक कंपनी थी और कोरियाई सप्लायर के साथ मजबूत व्यावसायिक संबंध बनाकर क्रय डोमेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सामग्री लागत को कम करने में SsangYong खरीद टीम का नेतृत्व किया.
SsangYong Motors में अपने कार्यभार से पहले, हेमंत हेड मैन्युफैक्चरिंग - ऑटोमोटिव सेक्टर में थे. उन्होंने गुणवत्ता में सुधार के लिए कर्मचारियों की भागीदारी पर ध्यान केंद्रित किया और कर्मचारी संघों के साथ लम्बे समय तक के लिए वेतन का समझौता किया. इससे पहले हेमंत सिक्का ने अपनी जिंदगी के 9 साल ऑटोमोबाइल कंपनी मारुति सुजुकी के साथ बिता चुके हैं. वहीं 2013 में, उन्हें सिंगापुर में पहले प्रोक्योरमेंट लीडर्स एशिया पैसिफिक अवार्ड्स में प्रोक्योरमेंट एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया.
टीएमए के नए अध्यक्ष के रूप में हेमंत सिक्का ने जब कार्यभार संभाला था तब बैठक के दौरान धन्यवाद प्रस्ताव रखते हुए सरकार और उद्योग के सदस्यों के साथ जोश और सहयोगात्मक भागीदारी के साथ मशीनीकरण के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया था. उन्होंने इस बात पर विशेष जोर देते हुए आत्मानिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पर अपनी सहमति दिखाई थी.
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उन्होंने यह भी कहा था की अनुकूल नीतियों के साथ आने की जरूरत है जो स्थानीय विनिर्माण के माध्यम से भारत में मूल्य जोड़ते हैं और तैयार उत्पादों के आयातकों को दृढ़ता से उत्साहित करना चाहिए.
उन्होंने उल्लेख किया कि समावेशी मशीनीकरण विकास को चलाने में बहुत कुछ किया जा सकता है जब सरकार ट्रैक्टर और अन्य उपकरणों को किराए पर लेने के लिए किसानों को सब्सिडी का सीधा हस्तांतरण प्रदान करके छोटे/सीमांत किसान का समर्थन करती है, इससे मशीनीकरण को तेजी से अपनाया जाएगा, जिससे उच्च उत्पादकता होगी.