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Updated on: 17 September, 2021 3:25 PM IST
Agriculture News

कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा (राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, नई दिल्ली) के द्वारा भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना “फसल अवशेष का यथा-स्थान प्रबंधन” के अंतर्गत जिला स्तरीय कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 15 सितम्बर, 2021 को घोगा गांव में (अलीपुर ब्लॉक) उत्तरी दिल्ली में किया गया.

इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य पराली प्रबंधन करने वाली मशीनों के बारे में तकनीकी ज्ञान एवं कौशल के बारे में अवगत करना. जिससे किसान नई मशीनों का प्रयोग करके पराली का प्रबंधन कर सके. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में डॉ. वाई. पी. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली के रूप में उपस्थित होकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया.

कार्यक्रम के इसी क्रम में मुख्य अतिथि ने किसानों को धान की कटाई के उपरांत पराली प्रबंधन के लिए बायो डिकम्पोजर का घोल बनाने की विधि एवं छिड़काव के बारे में अवगत करवाते हुए मृदा में जीवांश प्रदार्थ की बढ़ोत्तरी की उपयोगिता के बारे में अवगत करवाते बताया कि आप डिकम्पोजर का प्रयोग किसी फसल के अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर मृदा में जीवांश प्रदार्थ की मात्रा में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं.

इसी क्रम में डॉ. तपन कुमार खुरा, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली ने दिल्ली सरकार के द्वारा पराली प्रबंधन करने वाली मशीनों के अनुदान के बारे में अवगत करवाया. डॉ डी के राणा, विशेषज्ञ (पादप सुरक्षा) कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा ने वैज्ञानिक गणों एवं किसान बंधुओं का कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हार्दिक स्वागत किया एवं कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में विस्तृत रूप से प्रतिभागियों को जानकारी उपलब्ध करवाई.

इस कार्यक्रम का संचालन कर रहे कैलाश, विशेषज्ञ (कृषि प्रसार) ने किसानों से धान की कटाई करते समय कम्बाइन के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम लगा होने के बारे में जानकारी दी एवं किसानों से अपील की धान की कटाई लगे कम्बाइन से ही करवाए एवं किसानों को धान की कटाई के बाद हैप्पी सीडर, सुपर सीडर एवं जीरो सीड ड्रिल मशीन से गेहूं की सीधी बुवाई की तकनीकी के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाई एवं किसानों को पराली प्रबंधन में काम आने वाली अन्य मशीनों जैसे- मल्चर, रोटावेटर, सर्बमास्टर, बेलर आदि के बारे में तकनीकी एवं संचालन की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवायी.

राकेश कुमार, विशेषज्ञ (बागवानी) ने किसानों को रबी मौसम में लगने वाली सब्जियों के आधुनिक तकनीक के बारे में अवगत करवाया. इसी दौरान डॉ समर पाल सिंह, विशेषज्ञ (सस्य विज्ञान) ने किसानों को धान की पराली जलाने से मृदा एवं वातावरण में होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दीं. उन्होंने बताया पराली जलाने से वायु प्रदूषण जलवायु परिवर्तन आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी बृजेश कुमार, मृदा विशेषज्ञ नें पराली जलाने से मिटटी के पोषक तत्व जैसे- नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटशियम, सल्फर एवं कार्बनिक प्रदार्थ के नुकसान के साथ की लाभदायक जीव जैसे वर्मी केचुआ आदि खत्म होने के बारे में जानकारी दी.

इस जागरूकता कार्यक्रम के दौरान किसानों को विभिन्न पत्रिका जैसे- फसल अवशेष जलाने के नुकसान, फसल अवशेषों का मशीनों द्वारा प्रबंधन एवं जीरो सीड ड्रिल मशीन तकनीकी से गेहूं की सीधी बुवाई का वितरण किया. इस कार्यक्रम में अलीपुर ब्लाक के विभिन्न गांव के 100 से अधिक प्रगतिशील किसानो ने भाग लिया एवं इस संदेश को अधिक से अधिक जनसमुदाय के पास पहुंचाने का प्रण लिया.                                                             

English Summary: how to manage paddy straw
Published on: 17 September 2021, 03:40 PM IST

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