देश के कई राज्यों में धान की खेती की जाती है, लेकिन इसकी खेती को लेकर पंजाब और हरियाणा हमेशा चर्चा में रहते हैं. दरअसल पंजाब और हरियाणा राज्य पराली जलाने (Stubble burning) की वजह से अक्सर चर्चा में रहते हैं. अब इस समस्या के समाधान के लिए हरियाणा सरकार ने एक प्लान तैयार किया है, ताकि राज्य के किसान पराली नहीं जलाएं.
दरअसल, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जय प्रकाश दलाल ने किसानों से अपील की है कि वे फसल अवशेष प्रबंधन अपनाएं. इससे पराली जलाने की नौबत ही नहीं आएगी. इतना ही नहीं, इससे किसानों को आर्थिक लाभ भी होगा. जी हां, पिछले साल की तरह इस साल भी किसानों (Farmers) को पराली से पैसा कमाने का एक शानदार मौका दिया जा रहा है.
पराली से पैसा कमाने का मौका
किसानों के लिए खास बात यह है कि वह पराली से पैसा कमा सकते हैं. इसके लिए अगर वह स्ट्रॉ बेलर द्वारा पराली की गांठ या बेल बनाते हैं और उसका निष्पादन किसी सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम और अन्य औद्योगिक इकाईयों में करते हैं, तो उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. जी हां, किसानों को इस कार्य के लिए 1 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से दिया जाएगा. बता दें कि यह राशि 20 से 50 क्विंटल प्रति एकड़ पराली उत्पादन के लिए मिलेगी. इस योजना के लिए सरकार द्वारा लगभग 230 करोड़ रुपए बजट का प्रावधान भी किया गया है.
यहां करवाना होगा रजिस्ट्रेशन
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इस योजना का लाभ उठाने के लिए कृषि विभाग के पोर्टल https://agriharyana.gov.in पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा.
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सबसे पहले किसान पोर्टल पर क्रॉप रेसिड्यूस मैनेजमेंट लिंक पर क्लिक करना होगा.
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इसके बाद ‘पराली की गांठ या बेल के उचित निष्पादन के लिए ‘पंजीकरण’ शीर्षक पर क्लिक करके पंजीकरण करना होगा.
पिछले साल बताई थी पराली की जरूरत
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की मानें, तो इस पोर्टल पर वर्ष 2020-21 में लगभग 24,409 रजिस्ट्रेशन करवाया था. इसके साथ ही 147 औद्योगिक इकाईयों ने 8,96,963 मीट्रिक टन पराली की आवश्यकता के लिए रजिस्ट्रेशन किया था.
जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 2021-22 में पराली की गांठो या बेलों की आवश्यकता अनुसार पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा लें. इस तरह समय पर पराली की उपलब्धता हो सकेगी, साथ ही पराली जलाने की समस्या से निजात मिलेगी. इसके अलावा प्रदूषण (Pollution) में कमी आएगी.
इस पोर्टल के जरिए किसानों और उद्योगों को पराली की मांग और आपूर्ति के लिए एक मंच मिलता है. इस पोर्टल के जरिए पराली की गाठों या बेलों का क्रय-विक्रय किया जा सकता है.
संपर्क सूत्र
किसान अधिक जानकारी के लिए अपने निकटतम कृषि अधिकारी या टोल फ्री नंबर 1800 180 2117 पर संपर्क कर सकते हैं.