मोदी सरकार द्वारा लगातार किसानों की आमदनी और सुविधाएं बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. इस कड़ी में एक बार फिर एक अहम फैसला लिया गया है. दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल (Cabinet) की बैठक की गई. इस बैठक में 1 लाख करोड़ रुपए के कृषि अवसंरचना कोष (Agriculture Infrastructure Fund) को मंजूरी दी गई है.
प्रोत्साहन पैकेज का हिस्सा है ये फंड
इस योजना के तहत 1 लाख करोड़ रुपए का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड स्थापित किया जाएगा. इससे एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री, उद्यमियों, स्टार्टअप और किसानों के समूहों को आर्थिक मदद दी जाएगी. इस तरह कृषि क्षेत्र का बुनियादी ढांचा और मजबूत हो पाएगा. इसके साथ ही उपज के रखरखाव और परिवहन सुविधाओं की स्थापना हो पाएगी. बता दें कि यह फंड पीएम मोदी के 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक प्रोत्साहन पैकज का हिस्सा है. इस पैकेज का लक्ष्य है कि कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को सही किया जा सके.
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के मुताबिक
कृषि क्षेत्र के लिए यह एक ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है. इस फंड से प्राथमिक कृषि कर्ज समितियों, किसान समूहों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्टअप और कृषि प्रौद्योगिकी उद्यमियों की आर्थिक मदद हो पाएगी. इसके अलावा कोल्डस्टोर चेन खड़ी करने, गोदाम बनाने, छंटाई और पैकिंग इकाइयां, ई-मार्केटिंग सेंटर्स स्थापित की जाएगी.
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क्रेडिट गारंटी कवरेज भी मिलेगा
इस लोन का वितरण 4 साल में किया जाएगा. चालू वित्तीय वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपए और अगले 3 वित्तीय वर्ष में 30-30 हजार करोड़ रुपए की मंजूरी प्रदान की गई है. यह लोन वित्तपोषण सुविधा के तहत दिया जाएगा, जिसमें सभी प्रकार के लोन में हर साल 2 करोड़ रुपए तक लोन के ब्याज में 3 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी. बता दें कि यह छूट अधिकतम 7 साल के लिए मिलेगी. इसके साथ ही 2 करोड़ रुपए तक के लोन के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) योजना के तहत क्रेडिट गारंटी कवरेज दिया जाएगा. खास बात है कि इस कवरेज के लिए सरकार द्वारा शुल्क का भुगतान किया जाएगा.
मॉरेटोरियम की सुविधा मिलेगी
एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में लोन के पुनर्भुगतान के लिए मॉरेटोरियम की सुविधा दी जाएगी. यह कम से कम 6 महीने और अधिकतम 2 साल के लिए होगा. इस तरह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा हो पाएंगे. बता दें कि इस परियोजना की निगरानी ऑनलाइन प्रबंधन सूचना प्रणाली प्लेटफॉर्म के जरिए की जाएगी. इसके मॉनिटरिंग और फीडबैक के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिलास्तर पर समितियों का गठन होगा. इस योजना की समय सीमा वित्त वर्ष 2020 से 2029 तक तय की गई है.
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