छत्तीसगढ़ में अधिकतर किसान खरीफ सीजन में धान की खेती करते हैं, इसलिए इस राज्य को धान का कटोरा कहा जाता है. इसी कड़ी में खरीफ सीजन 2020 के लिए फसल बीमा (Crop Insurance) कराने की अंतिम तिथि तय कर दी गई है. दरअसल, सरकार ने फसल बीमा की आखिरी तारीख 15 जुलाई रखी है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक (According to the Union Agriculture Ministry)
इस साल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) के तहत सिंचित और असिंचित क्षेत्र में धान, मक्का, मूंगफली, सोयाबीन, अरहर, मूंग और उड़द की फसलें प्रमुख हैं. ऐसे में किसानों से अपील की गई है कि वह फसलों का बीमा ज़रूर करवाएं, ताकि वह प्राकृतिक आपदाओं से खेती में होने वाले मुकसान से बच पाएं. इसका काम सरकार ने 2 बीमा कंपनियों को सौपा है, जो कि जिलों में फसल का बीमा का का काम करेंगी.
फसल बीमा करने वाली कंपनी (Crop insurance company)
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एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड
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बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी
एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Agriculture Insurance Company of India Limited)
यह कंपनी राज्य के राजनंदगांव, दुर्ग, कोरबा, सरगुजा, नारायणपुर, बेमेतरा, बलौदाबाजार, मुंगेली, कोंडागांव, महासमुंद, धमतरी, कांकेर, रायगढ़, दंतेवाड़ा, सुकमा, सूरजपुर, बालोद, कोरिया, जांजगीर-चांपा और गरियाबद में फसल बीमा का काम करेगी.
बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी (Bajaj Allianz General Insurance Company)
यह कंपनी रायपुर, बस्तर, बीजापुर, जसपुर, बलरामपुर, बिलासपुर, कबीरधाम और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिलों में फसल बीमा का काम करेगी.
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फसल बीमा योजना से लाभ (Benefits of crop insurance scheme)
किसानों को खेती के दौरान बारिश, ओले, जमीन धसना, जल-भराव, बादल फटना, आग लगना समेत अन्य प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का आंकलन करके भुगतान किया जाता है. बता दें कि किसानों के लिए इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत फरवरी 2016 में की थी.
कितना देना पड़ता है प्रीमियम (How much premium has to be paid)
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खरीफ की फसलों के लिए 2 प्रतिशत प्रीमियम
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रबी फसलों के लिए 5 प्रतिशत प्रीमियम
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इस योजना में कॅमर्शियल और बागवानी फसलों के लिए किसानों को 5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करना होता है.
ज़रूरी दस्तावेज़ (Required Documents)
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किसान की एक फोटो
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आईडी कार्ड
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एड्रेस प्रूफ
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खेत का खसरा नंबर
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खेत में फसल नुकसानी का सबूत देना