आमतौर पर हरी सब्जियों का उपयोग प्रत्येक घर में किया जाता है. आखिरकार, सब्जियां खाने में स्वादिष्ट और पौष्टिक जो होती हैं. ऐसे में हरी सब्जियां उगाकर किसान अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. हालांकि, सब्जियों की खेती करने में किसानों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
ज्यादातर सब्जियां खेत में में ही खराब हो जाती है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. इसी तरह की परेशानियों का सामना पिछले दिनों झारखंड के किसानों को करना पड़ रहा था.
यहां के किसानों ने कृषि वैज्ञानिकों से शिकायत की थी कि उनकी गोभी की फसल खेत में ही ख़राब हो रही है. जिसके बाद बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने लत्तीदार एवं गोभीवर्गीय सब्जियों पर पोटाश उर्वरक के प्रभाव का अध्ययन किया. इस शोध से किसानों को अपनी सब्जियों को खेत में खराब होने से बचाने में मदद मिलेगी. साथ ही पोटाश के सही प्रयोग से गोभी के उत्पादन को भी बढ़ाया जा सकता है.
पोटाश की कमी (Potash Deficiency)
झारखंड में बड़े स्तर पर सब्जियों की खेती की जाती है. हाल ही में यहां के गोभी की खेती करने वाले किसानों ने कृषि वैज्ञानिकों को बताया कि उनकी गोभी की सब्जी खेत में ही खराब हो रही है. वहीं फसल का ज्यादा उत्पादन भी नहीं ले पा रहे हैं. जिसके बाद कृषि वैज्ञानिकों ने राज्य के विभिन्न जिलों में मिट्टी का परीक्षण किया.
जिसमें पाया गया कि यहां मिट्टी में पोटाश की मात्रा न्यून से मध्यम है. जिसके चलते गोभी की सब्जी खेत में ही अचानक खराब हो रही है. वहीं अधिक उत्पादन भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है.
उर्वरक की पर्याप्त मात्रा डालने की सलाह (Advice on applying adequate amount of fertilizer)
बता दें कि इस दौरान बिरसा विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञान विभाग में अंर्तराष्ट्रीय पोटाश संस्थान ने लत्तीदार एवं गोभीवर्गीय सब्जियों में पोटाश उर्वरक के प्रभाव का अध्ययन किया गया. इसके लिए रांची के ओरमांझी, पिठोरिया गांव के किसानों को शोध के लिए गोभी की सब्जी लगाने की सलाह दी गई.
रिसर्च के लिए गोभी की फसल में प्रति हेक्टेयर 100 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस तथा 60 किलो पोटाश की मात्रा डाली गई. वहीं यहां के स्थानीय किसानों में गोभी की सब्जी में प्रति हेक्टेयर 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलो फास्फोरस तथा 20 किलो पोटाश डालने का प्रचलन है.
रिसर्च में क्या सामने आया (What came out in the research)
रिसर्च के दौरान पोटाश के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए गोभी की फसल में 100 तथा 150 प्रतिशत पोटाश की मात्रा की खुराक दो भागों में बांटकर डाली गई. पहली खुराक बुवाई के समय तथा दूसरी खुराक फसल में कल्ले निकलने के बाद डालकर अध्ययन किया गया. शोध करने वाले वैज्ञानिकों की टीम का हिस्सा रहे डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि इस अध्ययन में यह बात सामने आई कि प्रचलित मात्रा से अधिक उर्वरक डालने पर गोभी का उत्पादन बढ़ गया. जहां पहले प्रति हेक्टेयर 18.33 टन उत्पादन हो पाता था, वहीं रिसर्च के दौरान उत्पादन 18.33 से 31.80 टन प्रति हेक्टेयर तक पाया गया.
43 फीसदी उत्पादन बढ़ा (43% increase in production)
वहीं अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि 150 प्रतिशत पोटाश की मात्रा दो बार देने से प्रति हेक्टेयर 16.19 टन उत्पादन अधिक हुआ. यानी कुल उत्पादन में 43 फीसदी की वृद्धि हुई. इससे अधिकतम उपज प्रति हेक्टेयर 31.80 टन तक हुई. वहीं 100 प्रतिशत पोटाश की मात्रा दो बार देने से प्रति हेक्टेयर उत्पादन 29.33 टन तक हुआ. डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि अध्ययन से राज्य के 3-4 लाख किसानों को लाभ मिलेगा. उन्होंने बताया कि गोभीवर्गीय सब्जी में पोटाश के प्रयोग से फसल का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. वहीं इससे किसानों को अधिक से अधिक मुनाफा मिल सकता है.