झारखंड (Jharkhand) की मिट्टी में कई फसलों की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. यहां किसान फलों की मिठास और फूलों की सुगन्ध बिखेर कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं.
इससे पता चलता है कि राज्य की जलवायु व भौगोलिक स्थिति उद्यानिकी फसलों के लिए काफी उपयुक्त है. इसके साथ ही पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से उद्यानिकी फसलों की खेती की अपार संभावनाएं हैं. इस सबके बीच झारखंड में एक गांव ऐसा भी है, जिसे एलोवेरा विलेज (Aloe Vera Village) का नाम दिया गया है.
हालांकि, आजतक आपने एलोवेरा का कई तरह से इस्तेमाल किया होगा, लेकिन शायद ही आपने एलोवेरा विलेज (Aloe Vera Village) देखा या सुना होगा. मगर झारखंड में एलोवेरा विलेज (Aloe Vera Village) है. आइए आपको इसकी पूरी जानकारी देते हैं.
क्यों पड़ा एलोवेरा विलेज नाम? (Why is it named Aloe Vera Village?)
रांची के नगरी प्रखंड के देवरी गांव (Deori Village) में लोग बड़ी मात्रा में एलोवेरा की खेती (Aloe Vera Cultivation) होती है, इसलिए इसका नाम एलोवेरा विलेज (Aloe Vera Village) पड़ा है. इस गांव के लोगों ने अपने सभी खेतों और घर के आंगन में एलोवेरा की खेती (Aloe Vera Cultivation) कर रखी है. बता दें कि दिसंबर 2018 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)-बिरसा कृषि यूनिवर्सिटी (BAU) आदिवासी उप-योजना (TSP) के तहत गांव को एलोवेरा विलेज का नाम दिया गया था.
बताया जाता है कि कुछ साल पहले बिरसा कृषि यूनिवर्सिटी ने खेतों का सर्वेक्षण किया था, जिसमें पता चला कि अधिकांश ग्रामीण एलोवेरा की खेती (Aloe Vera Cultivation) करने में रुचि रखते हैं.
खास बात यह है कि गांव की महिलाएं एलोवेरा की खेती कर रहीं है, साथ ही इसे आमदनी का बेहतर जरिया बना रखा है. इसकी खेती ने महिलाओं की जिंदगी बदल दी है.
एलोवेरा ने बढ़ाया मान (Aloe vera increased the value)
एलोवेरा विलेज (Aloe Vera Village) की महिलाओं का कहना है कि एलोवेरा की खेती (Aloe Vera Cultivation) ने राज्यभर में गांव का मान बढ़ाया है. यहां बिरसा कृषि यूनिवर्सिटी की मदद से सहयोग से एलोवेरा उगाया जा रहा है.
एलोवेरा की है खूब मांग (Aloe vera is in great demand)
खास बात यह है कि झारखंड में एलोवोरा (Aloe Vera) की अच्छी खासी मांग है. ऐसे में महिलाएं 35 रुपए किलो के हिसाब से एलोवेरा के पत्ते बेच रहीं हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पौधारोपण में किसी प्रकार का अधिक खर्च नहीं होता है. एक पौधा दूसरा पौधा तैयार करता है, जिसमें कोई निवेश नहीं करना पड़ता है.
इसका बाजार भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है, इसलिए गांव के लोगों को एलोवेरा की खेती करना बहुत पसंद है. इससे आमदनी भी अच्छी हो जाती है और इससे रोजगार के अवसर भी मिलते हैं. इस तरह एलोवेरा की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है. देश के कई राज्यों के किसान एलोवेरा की खेती की तरफ रूख कर रहे हैं.