लहसुन के औषधीय गुण होते हैं इस वजह से इसका उपयोग आयुर्वेदिक, होम्योपैथीक और एलोपैथिक दवाइयों में होता है. वहीं मसाले के रूप में विभिन्न खाद्य पदार्थों को बनाने में बड़े पैमाने पर इसका उपयोग होता है. इसके उपयोग को देखते हुए हमारे देश में बड़े पैमाने पर लहसुन की खेती की जाती है. लहसुन की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, असम और हरियाणा प्रमुख हैं. लहसुन की उन्नत और आधुनिक खेती करने के लिए अत्याधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करना चाहिए. तो आइए जानते हैं उन कृषि उपकरणों के बारे में जिनका उपयोग करके लहसुन की पैदावार को बढ़ाया जा सकता है.
डिस्क प्लाऊ का उपयोग (Use of disc plow)
लहसुन की अधिक पैदावार के लिए खेत की अच्छी जुताई करना बेहद आवश्यक होता है. दरअसल, इसकी खेती के लिए मिट्टी को समतल और भुरभुरा बनाया जाता है. इसके लिए सबसे पहले मोल्ड बोर्ड या डिस्क प्लाऊ से 20 से 25 सेंटीमीटर गहरी जुताई करना चाहिए. इसके बाद 2 से 3 जुताई कल्टीवेटर से करके मिट्टी को भुरभुरा बनाएं और फिर रोटावेटर चलाकर भूमि को समतल कर लेना चाहिए.
रेज्ड बेड मेकर मशीन (Raised Bed Maker Machine)
रेज्ड बेड मेकर मशीन लहसुन की खेती के लिए काफी उपयोगी यंत्र है. दरअसल, लहसुन की खेती रेज्ड बेड पद्धति से की जाती है इससे अधिक उत्पादन मिलता है. इसके चलते रेज्ड बेड मेकर मशीन भी किसानों में खूब लोकप्रिय है. इस यंत्र की सहायता से ऊंची और सामान आकार की क्यारियों का निर्माण किया जाता है जिसमें लहसुन की बुआई की जाती है.
लहसुन सीड ड्रिल का उपयोग (Garlic seed drill)
आजकल देश के विभिन्न हिस्सों में लहसुन की बुआई लहसुन सीड ड्रिल से की जाने लगी है. इससे अत्यधिक श्रम और समय की बचत होती है. बता दें कि लहसुन को मजदूरों की मदद से लगवाई जाती है जिसमें लागत खर्च भी अधिक आता है. लहसुन सीड ड्रिल की सहायता से इसकी सीधी बुआई की जा सकती है. इस मशीन की मदद से लहसुन की बुआई 15 सेंटीमीटर की कतार और 3 से 5 सेंटीमीटर की गहराई पर बोई जाती है. यह मशीन एक साथ 17 कतारों में बुआई कर सकती है. वहीं साथ में उर्वरक भी डाला जा सकता है जिस वजह से पौधा शुरुआत में अच्छी ग्रोथ कर लेता है. सीड ड्रिल से बुआई के लिए एक हेक्टेयर के लिए 5 से 7 क्विंटल लहसुन के बीज की जरूरत पड़ती है.
बूम स्प्रेयर का उपयोग (Boom sprayer use)
लहसुन की फसल में खरपतवार, कीट और बीमारियों के नियंत्रण के लिए कीटनाशकों को छिड़काव किया जाता है. रसायनों के छिड़काव के लिए नैपसैक या बूम स्प्रेयर का उपयोग करना उचित होता है. नैपसैक के जरिये आसानी से छिड़काव किया जाता है. इसका वजन 7.5 किलो होता है जिसमें 10 से 18 लीटर पानी की टंकी होती है. वहीं ट्रैक्टर चलित बूम स्प्रेयर से आसानी से कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है. इन बूम स्प्रेयर में 10 से 12 नोजल होते हैं.
लहसुन हार्वेस्टर का उपयोग (Use of Garlic Harvester)
लहसुन की खुदाई के लिए अधिक श्रमिकों की जरुरत पड़ती है जिसमें पैसा भी अधिक खर्च होता है. इसके लिए प्रति हेक्टेयर 30 से 35 मजदूर लगते हैं लेकिन अब लहसुन हार्वेस्टर मशीन भी उपलब्ध है जो आसानी से लहसुन की खुदाई कर सकती है. इसमें एक से डेढ़ मीटर चौड़ी ब्लेड लगी होती है जिसकी मदद से खेत की खुदाई की जाती है. इसके बाद लहसुन को एक चेन टाइप की पृथक्करण जाली से गुजरना पड़ता है. इस जाली में लोहे की छड़े लगी होती हैं जो लहसुन से मिट्टी अलग करके जाली के पिछले हिस्से में डालता है.बता दें कि लहसुन हार्वेस्टर से निकलने के बाद 3 से 4 दिनों के लिए खेत में ही सुखाया जाता है.
लहसुन की गांठ तोड़ने के लिए बल्ब ब्रेकर मशीन (Bulb Breaker Machine to Break Garlic Lumps)
लहसुन की बुआई के लिए खेत में गांठों को लगाया जाता है. पारंपरिक तरीके से लहसुन से गांठों को निकालने में अधिक श्रम और अधिक समय लगता है. लेकिन लहसुन की गांठों को निकालने के लिए अब बल्ब ब्रेकर मशीन का उपयोग किया जाता है. इसके लिए सबसे पहले लहसुन को हाॅपर में भरा जाता है जिसके बाद लहसुन की गांठ को दो घूमती हुए ड्रमों से गुजरना पड़ता है. जिससे लहुसन से गांठें अलग हो जाती है. ट्रैक्टर या लाइट से चलने वाली मशीन से एक घंटे में 10 से 15 क्विंटल लहुसन की गांठें अलग की जा सकती है.