भारत में पैदा की जाने वाली हल्दी को बहुत गुणकारी माना जाता है, क्योंकि इसमें प्राकृतिक रूप से रासायनिक पदार्थ करक्यूमिन की मात्रा अधिक पाई जाती है. इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं में भी किया जाता है.
इससे बनी औषधियां बदन दर्द, थकान, और सांस संबंधी परेशानियों को मिनटों में खत्म करती हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि यह एंटीसेप्टिक होती है, जो कि कई तरह के इन्फेक्शंस से लड़ने की ताकत देती है. अब चाहे वह अंदरूनी घाव हों या फिर शरीर के बाहर के घाव. सभी जानते हैं कि हर भारतीय परिवार में हल्दी का इस्तेमाल किया ही जाता है. आइए आपको हल्दी से होने वाले सबसे ज्यादा गुणकारी फायदों के बारे में बताते हैं.
क्यों है हल्दी गुणकारी
यह करक्यूमिन एंटी-इन्फ्लेमेट्री गुणों से भरपूर होती है, इसलिए इसके सेवन से होने वाले फायदों की लिस्ट काफी लंबी है. हल्दी का सेवन किसे और कितनी मात्रा में करना चाहिए, यह जानना बहुत जरूरी है. अगर एक स्वस्थ व्यक्ति है, तो उसे रोजाना 500 से 1000 मिलीग्राम करक्यूमिन की जरूरत होती है. बता दें कि एक चम्मच हल्दी में लगभग 200 मिलीग्राम करक्यूमिन होता है. ऐसे में रोजाना 4 से 5 चम्मच हल्दी ले सकते हैं. आप हल्दी का सीधा सेवन करने की बजाए इससे बने अन्य प्रोडक्ट्स का सेवन कर सकते हैं. इससे करक्यूमिन की कमी पूरी होती है.
हल्दी के फायदे
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हल्दी का आमतौर पर उपयोग खून के रिसाव को रोकने या चोट को सही करने के लिए होता है.
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अगर हाथ-पैरों में दर्द है, हल्दी वाला दूध पूने से राहत मिलती है, क्योंकि इसमें एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण होते हैं.
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गुनगुने दूध के साथ हल्दी लेने से शरीर में जमा एक्स्ट्रा फैट धीरे-धीरे कम होता है.
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हल्दी नैचुरल लिवर डिटॉक्सीफायर है, जिसके इस्तेमाल से रक्त में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं. इसके साथ ही ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है.
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हल्दी वाला दूध सर्दी, जुकाम और कफ की शिकायत के लिए लाभकारी होता है.
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इसका सेवन हड्डियां मजबूत रखता है.
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दूध में हल्दी मिलाकर पीने से हड्डी से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
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हल्दी वाले दूध का सेवन ब्लड शुगर बढ़ने पर करना लाभकारी होता है.
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हल्दी में करक्यूमिन मौजूद होता है, जो कि कैंसर को बढ़ने से रोकता है.
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पित्ताशय को उत्तेजित करती है, जिससे पाचन क्रिया में सुधार होता है.
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गैस ब्लोटिंग को कम करती है.
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हल्दी का सेवन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है, क्योंकि इसमें लाइपोपॉलीसकराइड नाम का पदार्थ मौजूद होता है, जो यह काम करता है.