इस समय मीठे और रसीले आमों का सीजन चल रहा है, जिसमें एक ख़ास किस्म लोगों के बीच खूब लोकप्रिय हो रही है. आम की यह किस्म मल्लिका है, जो दशहरी समेत अन्य किस्मों से अधिक दामों में बिक रहा है. वैसे तो आम के सीजन में लोग चौसा, लखनऊ सफेदा और दशहरी जैसी किस्मों को खाना बेहद पसंद करते हैं, लेकिन इस सीजन आम की मल्लिका किस्म लोगों को खूब भा रही है. वैसे तो यह किस्म लगभग 45 साल पुरानी है, लेकिन अब यह लोगों के बीच यह अति लोकप्रिय हो गई है. तो आइए जानते हैं आम इस ख़ास किस्में के बारे में-
1975 लगाए गए पौधे
केंद्रीय आम अनुसंधान केंद्र ने साल 1975 में पहली बार लखनऊ में इसके पौधे लगाए गए थे. इसके बावजूद कई दशकों तक इसके फल लोगों के बीच नहीं पहुंच पाए. इसकी सबसे बड़ी वजह यह मानी जाती है कि आम की इस किस्म वृक्ष बेहद कम संख्या में मौजूद थे. हालांकि आम की यह एक उत्कृष्ट किस्म मानी जाती है जो देखने में, स्वाद में तथा खाने में विशिष्ट थी. कई दशकों तक इस किस्म के फल केवल कुछ विशेष आम प्रेमियों के लिए उपलब्ध थे. इस वजह से आम लोगों के इसकी पैठ नहीं बन पाई.
कई जगहों पर व्यावसायिक खेती
देर से पकने वाली आम की यह किस्म व्यावसायिक तौर पर काफी उपयोगी किस्म मानी जा रही है. आज देश के विभिन्न प्रांतों में इसकी व्यावसायिक खेती की जा रही है, जिसमें तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य प्रमुख है. आज इन प्रांतों में यह अधिक उत्पादन देने वाली किस्म साबित हो रही है. इस वजह से भी इसकी खेती काफी लोकप्रिय हो रही है. बेंगलुरु के बाज़ार में इस किस्म की अच्छी डिमांड है और आम प्रेमी अधिक कीमत देने को भी तैयार है.
फल 700 ग्राम वजनी
दक्षिण भारत में आम की यह किस्म बेहद लोकप्रिय हो चुकी है. मल्लिका को आम नीलम और दशहरी किस्मों के संकरण से विकसित किया गया था. इसके फल प्राय: 700 ग्राम तक होता है. इसके फल में विशेष स्वाद होता है, जिसमें खटास और मिठास का विशेष संतुलन होता है. वहीं इसका गुदा सख्त होता है. वहीं देखने में इसका फल नारंगी पीले रंग का होता है. जबकि इसकी गुठली बेहद पतली होती है, इस वजह से भरपूर गुदा पाया जाता है. मल्लिका किस्म के विक्रेताओं का कहना है कि इन्हीं खासियतों की वजह से ग्राहक इसकी डिमांड करते हैं. आज ग्राहक 100 रुपये किलोग्राम में भी इसे खरीदना पसंद करते हैं.
दूसरी किस्मों को दे सकता है मात
वैज्ञानिकों का कहना है कि आम की किसी भी किस्म को लोकप्रिय होने में दशकों लग जाते हैं. इस किस्म को भी लगभग 40 सालों बाद लोकप्रियता है. यह किस्म जापानी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. जिस तेजी से मल्लिका लोगों के बीच पैठ बना रही है, उससे लग रहा है कि यह आम की शीर्ष किस्मों जैसे- अल्फांसों, चौसा या दशहरी में से किसी एक को मात दे सकती है. जहां कुछ साल पहले तक मौसम के अंत तक बाजार में चौसा और सफेदा ही मिलता था. वहीं अब मल्लिका भी अपनी जगह बना चुका है.