RFOI Awards 2024: नीतूबेन पटेल के सिर सजा 'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड का ताज: कृषि उद्यमिता और प्राकृतिक खेती में अद्वितीय योगदान की मिली मान्यता RFOI Awards 2024: युवराज परिहार को MFOI अवार्ड्स 2024 में मिला ‘फ़र्स्ट रनर-अप रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया’ अवार्ड MFOI Award 2024: भारत के प्रगतिशील किसानों का भव्य सम्मान समारोह, कार्यक्रम में सैकड़ों कृषकों ने लिया भाग केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 1 March, 2019 12:00 AM IST

देश विज्ञान के क्षेत्र में दिन प्रतिदिन उन्नति कर रहा है. इसके साथ ही कईं संस्थान भी साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नये-नये शोध करने का कार्य कर रहे हैं ताकि इसका फायदा आम लोगों को मिल सके. इसीलिए मध्यप्रदेश के इंदौर में भी विज्ञान के संस्थानों में नये-नये विषयों पर तेजी से कार्य चल रहा है. इन सभी शोधों के कईं नये परिणाम भी लोगों के सामने आए हैं इसीलिए कई वैज्ञानिकों ने 28 फरवरी को विज्ञान दिवस के मौके पर शहर में चल रही कई तरह के शोध परिणामों को जानने की कोशिश भी की है. इन्ही में से एक है इंदौर के देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय स्कूल ऑफ साइंस जिसने पौधों की विलुप्त होती जा रही प्रजातियों पर कार्य करना शुरू किया है. विभाग ने रिसर्च करके अंजम, शीशम, विलायती और अजवाइन के प्रोटोकोल को बनाने का कार्य किया है. ये सभी प्रजातियां धीरे-धीरे विलुप्त होने के कगार पर है.

ये कार्य कर रहे हैं छात्र

दरअसल इंदैर के अहिल्याबाई साइंस कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के 14 विद्यार्धियों ने शहर में मौजूद 15 तालाबों की पानी की शुद्धता पता करने की पूरी कोशिश की है. शोध में यह बात सामने आई है कि इनमें से कई तालाबों का पानी लोगों के पीने योग्य नहीं है. वहीं विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फार्मेसी में मधुमेह और थाईराइड की दवाईयों को प्रभावी बनाने के लिए शोध किया जा रहा है ताकि इन मरीजों को इन बीमारियों की दवाएं कम लेनी पड़े.

20 पौधों को नया जीवन मिला

इंदौर के विश्वविद्याल में हुए रिसर्च के दौरान शोध में 20 पौधों को नया जीवन मिला है. ये सभी यहां के मालवा क्षेत्र में विलुप्त होने की कगार पर है. इसमें शीशम, अजवाइन, अंजम, विलायती सौंफ आदि शामिल है. केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौदयोगिकी मंत्रालय ने और यूजीसी ने शोध हेतु विभाग को 1.4 करोड़ की ग्रांट दी थी. 24 लाख रूपये कुल लैब के लिए दिए गए थे इसके अलावा कुल दो वैज्ञानिक भी इस क्षेत्र में काम करने के लिए यूजीसी के द्वारा दिए गए थे जिसके बाद यह परिणाम समाने आए थे.

इसलिए हो रहे हैं नष्ट

प्रोफेसरों का कहना है कि प्रकृति ने हमें काफी कुछ दिया है जो दवाईयों के रूप में उपयोग की जाती है. कई पौधे ऐसे होते हैं जिनका उपयोग आर्युवैदिक उपचार में काफी विश्वास के साथ किया जाता है. यहां अजवाइन, विलायती सौंफ, सोरलिया और बाकी पौधों की काफी मांग होती है लेकिन यह सभी पौधे कम मात्रा में ही मिल पाते है. सभी का कहना है कि अंजन का पेड़ पहले यहां के आसपास के क्षेत्रों में काफी मात्रा में मिल जाता था लेकिन अब यह काफी कम मात्रा में पाया जाता है. अंजन की लकड़ी काफी मजबूत होती है और इसके सहारे रस्सी और लक़ड़ी का सामान बनाने का कार्य किया जाता है.

मेडिसिन कंटेट में हो रहे हैं बदलाव

आजकल बाजार में भी अलग-अलग पौधों से तैयार होने वाली दवाईयों के प्रभाव को बढ़ाने पर कार्य किया जा रहा है. मधुमेह और थाईराइड जैसे मरीजों को ज्यादा दवाई का डोज लेने की जरूरत न पड़े इसलिए मेडिसिन में पाए जाने वाली मात्रा को सुधारने पर तेजी से कार्य किया जा रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में शोध के कई अच्छे परिणाम सामने निकलकर आयेंगे.

English Summary: Protocols of extinct plants have been prepared here
Published on: 01 March 2019, 03:15 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now