देशभर में मौसम ने ली करवट! यूपी-बिहार में अब भी बारिश का अलर्ट, 18 सितंबर तक झमाझम का अनुमान, पढ़ें पूरा अपडेट सम्राट और सोनपरी नस्लें: बकरी पालक किसानों के लिए समृद्धि की नई राह गेंदा फूल की खेती से किसानों की बढ़ेगी आमदनी, मिलेगा प्रति हेक्टेयर 40,000 रुपये तक का अनुदान! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 1 March, 2019 12:00 AM IST

देश विज्ञान के क्षेत्र में दिन प्रतिदिन उन्नति कर रहा है. इसके साथ ही कईं संस्थान भी साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नये-नये शोध करने का कार्य कर रहे हैं ताकि इसका फायदा आम लोगों को मिल सके. इसीलिए मध्यप्रदेश के इंदौर में भी विज्ञान के संस्थानों में नये-नये विषयों पर तेजी से कार्य चल रहा है. इन सभी शोधों के कईं नये परिणाम भी लोगों के सामने आए हैं इसीलिए कई वैज्ञानिकों ने 28 फरवरी को विज्ञान दिवस के मौके पर शहर में चल रही कई तरह के शोध परिणामों को जानने की कोशिश भी की है. इन्ही में से एक है इंदौर के देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय स्कूल ऑफ साइंस जिसने पौधों की विलुप्त होती जा रही प्रजातियों पर कार्य करना शुरू किया है. विभाग ने रिसर्च करके अंजम, शीशम, विलायती और अजवाइन के प्रोटोकोल को बनाने का कार्य किया है. ये सभी प्रजातियां धीरे-धीरे विलुप्त होने के कगार पर है.

ये कार्य कर रहे हैं छात्र

दरअसल इंदैर के अहिल्याबाई साइंस कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के 14 विद्यार्धियों ने शहर में मौजूद 15 तालाबों की पानी की शुद्धता पता करने की पूरी कोशिश की है. शोध में यह बात सामने आई है कि इनमें से कई तालाबों का पानी लोगों के पीने योग्य नहीं है. वहीं विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फार्मेसी में मधुमेह और थाईराइड की दवाईयों को प्रभावी बनाने के लिए शोध किया जा रहा है ताकि इन मरीजों को इन बीमारियों की दवाएं कम लेनी पड़े.

20 पौधों को नया जीवन मिला

इंदौर के विश्वविद्याल में हुए रिसर्च के दौरान शोध में 20 पौधों को नया जीवन मिला है. ये सभी यहां के मालवा क्षेत्र में विलुप्त होने की कगार पर है. इसमें शीशम, अजवाइन, अंजम, विलायती सौंफ आदि शामिल है. केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौदयोगिकी मंत्रालय ने और यूजीसी ने शोध हेतु विभाग को 1.4 करोड़ की ग्रांट दी थी. 24 लाख रूपये कुल लैब के लिए दिए गए थे इसके अलावा कुल दो वैज्ञानिक भी इस क्षेत्र में काम करने के लिए यूजीसी के द्वारा दिए गए थे जिसके बाद यह परिणाम समाने आए थे.

इसलिए हो रहे हैं नष्ट

प्रोफेसरों का कहना है कि प्रकृति ने हमें काफी कुछ दिया है जो दवाईयों के रूप में उपयोग की जाती है. कई पौधे ऐसे होते हैं जिनका उपयोग आर्युवैदिक उपचार में काफी विश्वास के साथ किया जाता है. यहां अजवाइन, विलायती सौंफ, सोरलिया और बाकी पौधों की काफी मांग होती है लेकिन यह सभी पौधे कम मात्रा में ही मिल पाते है. सभी का कहना है कि अंजन का पेड़ पहले यहां के आसपास के क्षेत्रों में काफी मात्रा में मिल जाता था लेकिन अब यह काफी कम मात्रा में पाया जाता है. अंजन की लकड़ी काफी मजबूत होती है और इसके सहारे रस्सी और लक़ड़ी का सामान बनाने का कार्य किया जाता है.

मेडिसिन कंटेट में हो रहे हैं बदलाव

आजकल बाजार में भी अलग-अलग पौधों से तैयार होने वाली दवाईयों के प्रभाव को बढ़ाने पर कार्य किया जा रहा है. मधुमेह और थाईराइड जैसे मरीजों को ज्यादा दवाई का डोज लेने की जरूरत न पड़े इसलिए मेडिसिन में पाए जाने वाली मात्रा को सुधारने पर तेजी से कार्य किया जा रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में शोध के कई अच्छे परिणाम सामने निकलकर आयेंगे.

English Summary: Protocols of extinct plants have been prepared here
Published on: 01 March 2019, 03:15 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now