जड़गांठ सूत्रकृमि व सुखा रोग एक साथ होने पर यह भयंकर रूप ले लेता है, जिस कारण अमरूद के पौधे सुख जाते हैं. रोग के प्रारम्भिक लक्षण में पौधे की पत्तियां हल्के पीले रंग की दिखाई दें ती है और पत्तियां झड़ने लगती है. पौधों की बढवार रूक जाते है और पौधे सुख कर मर जाते हैं. पौधों को खोदकर दें खने पर पौधे की जडों में गाँठे दिखाई दें ती है तथा जड़ को चीरकर दें खने पर अन्दर से भूरे रंग की धारी दिखाई दें ती है. सूत्रकृमि द्वारा ग्रसित जडों में सुखारोग आ विल्ट रोग का आक्रमण बढ़ जाता है.
निमेंटोड और विल्ट रोग के कारण (Causes of nematode and wilt disease)
यह समस्या सूक्ष्मदर्शी सूत्रकृमि या निमेंटोड जीव और फ्यूजेरियम फंगस के कारण उत्पन्न होते हैं.
यह फ्यूजेरियम फंगस मिट्टी में पहले से या रोग ग्रसित पौधे के साथ आ जाती है वहीं निमेंटोड की समस्या भी इन्ही कारणों से हो सकती है.
सूत्रकर्मी और उकठा रोग नियंत्रण के उपाय (Control measures of Nematode and Wilt disease)
अधिकृत नर्सरियों या विक्रेता से ही कलम लगे हुए पौधे खरीदें.
जहां पौधे लगाने हैं उस स्थान पर 3 X 3 फीट का गढ़ा मई में खोद कर खुल्ला छोड़ दें .
इन गढ़ो को जून के अतिम सप्ताह में प्रति गड्ढे में 20-25 किलोगोबर की खाद, 30 ग्राम कार्बोफ्यूरान 3 जी, 20 ग्राम कार्बेन्डाजिम, 1 किलो नीम की खली, मिटटी में मिला कर भरें और उपर से पानी दें. पानी देने से पहले खाली गड्ढे में मिटटी भरकर समतल करें व पौधे की थैली के बराबर मिटटी निकाल कर पौधा लगाएं.
रोग ग्रसित पौधे की पत्तियाँ हल्की पीली दिखाई दें, तो 50 ग्राम कार्बोफयूरान 3 जी व एक किलोग्राम नीम की खली को पौधे के तने के चारो तरफ फैलाकर गुडाई करें. व 20 ग्राम कार्बेन्डाजिम 10 लीटर पानी में घोल बनाकर जड क्षेत्र को भिगोएं.
इसके 5-7 दिन बाद पौधे की उम्र के अनुसार 10-25 किलो गोबर की खाद/ वर्मीकम्पोस्ट डालकर गुडाई करके सिचाई करें.
रोग ग्रसित सुखे पौधे को उखाड कर जला दें. रोग ग्रस्त पौधे कि जगह लगभग 5 फिट चौड़ी व 2 फिट गहरी मिट्टी निकाल कर गड्ढे को 15 दिन के लिये खुल्ला छोड दें. बाद में प्रति गड्ढ़े में 20-25 किलो गोबर की खाद, 30 ग्राम कार्बोफयूरान 3 जी, 20 ग्राम कार्बेन्डाजिम, 1 किलो नीम की खली मिटटी में मिलाकर गड्ढे़ भरें और पानी दें तथा पौधे के आकार का गड़ढा कर पौधा रोपित करें.
पौध रोपाई के बीच-बीच में गेंदा को लगाना चाहिए, इससे सूत्रकर्मी का नियंत्रण किया जा सके. इंटर क्रोपिंग के रूप में बैगन, टमाटर, मिर्च, भिंडी, खीरा आदि फसल ना लें.
निमाटोड के जैविक नियंत्रण के लिए नीम खली या वर्टिसिलियम क्लैमाइडोस्पोरियम या पैसिलोमयीसिस लिलसिनस का उपयोग किया जा सकता है.