भारत में किसानों के लिये पशुपालन एक मुनाफा देने वाला व्यवसाय है. भारत में तक़रीबन 2 करोड़ लोगों की आजीविका पशुपालन से ही चल रही है. पशुपालन व्यवसाय में घाटा होने की संभावना बेहद कम होती है.
भारत की कृषि व पशुपालन क्षेत्र के विकास से प्रभावित होकर श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने हरियाणा के पशुपालन विशेषकर सर्वाधिक दुग्ध क्षमता की मुर्रा नस्ल की भैंस के पालन में गहरी रूचि दिखाई है.
इस विषय पर दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में श्रीलंका के पिछड़ा ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साथाशिवम वियालेंदेरान व श्रीलंका के प्रधानमंत्री के समन्वय सचिव सेंथिल थोंडमन ने हरियाणा के कृषि व किसान कल्याण मंत्री जयप्रकाश दलाल के साथ बैठक करके विचार-विमर्श किया. बैठक में हरियाणा (Haryana) व श्रीलंका के मध्य कृषि क्षेत्र विशेषकर पशुपालन व कृषि तकनीकों के आदान-प्रदान की संभावनाओं के दृष्टिगत गहन विचार विमर्श किया गया .
श्रीलंका के पिछड़ा ग्रामीण विकास राज्य मंत्री के अनुसार श्रीलंका की हरियाणा के पशुपालन विशेषकर सर्वाधिक दुग्ध क्षमता की मुर्रा नस्ल की भैंस के पालन में गहरी रूचि है. श्रीलंका व हरियाणा के मध्य कृषि व पशुपालन क्षेत्र में परस्पर विकास की व्यापक संभावनाएं हैं.
मुर्रा भैंस की खासियतें (Specialties of Murrah Buffalo)
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मुर्रा नस्ल की भैंस के सींग गोलाई में होते है.
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मुर्रा भैंस की चमड़ी बिलकुल पतली और मुलायम होती है
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इस प्रजाति की भैंस हर रोज 15 से 20 लीटर दूध देती हैं.
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इस नस्ल की भैंस का रंग जर्द काला होता है.
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इसके दूध में चिकनाई की मात्रा गाय के दूध से दुगुनी होती है.
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इसके दूध का इस्तेमाल दही, दूध, मट्ठा और लस्सी आदि बनाने में होता है.
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इस नस्ल की भैंस का मूल्य बाज़ार में करीब 1 लाख रु. से अधिक होता है.
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इस नस्ल की मुख्य विशेषता यह है कि इनके खुर व पूँछ के निचले हिस्से में सफेद धब्बे होते हैं एवं इनका सिर छोटा होता है.
मुर्रा भैंस कहाँ पाई जाती हैं (Where Are Buffaloes of Murrah Found?)
मुर्रा भैंस भारत के सभी इलाकों में पायी जाती है. यह भैंस हरियाणा के रोहतक, हिसार, जिन्द व करनाल जिलों तथा दिल्ली व पंजाब में अधिकतम पाई जाती हैं. भारत के अलावा विदेशों में भी इस भैंस का पालन किया जा रहा है. विदेशों में इटली, बुल्गारिया और मिस्र आदि प्रमुख है
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