RFOI Awards 2024: नीतूबेन पटेल के सिर सजा 'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड का ताज: कृषि उद्यमिता और प्राकृतिक खेती में अद्वितीय योगदान की मिली मान्यता RFOI Awards 2024: युवराज परिहार को MFOI अवार्ड्स 2024 में मिला ‘फ़र्स्ट रनर-अप रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया’ अवार्ड MFOI Award 2024: भारत के प्रगतिशील किसानों का भव्य सम्मान समारोह, कार्यक्रम में सैकड़ों कृषकों ने लिया भाग केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!

भारतीय संस्कृति में दूध का विशेष महत्व रहा है. स्वास्थय से उपासना तक दूध की एक खास जगह रही है. यही कारण है कि भारत मे गाय को पशु नहीं, मां का दर्जा दिया जाता है. आंकड़ों की अगर बात करें तो, भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अनुसार, देश में प्रति व्यक्ति दुग्ध उत्पादन -394ग्राम/दिन है. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 1970 के आपरेशन फ्लड से शुरू हुए दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के फलस्वरूप वर्ष 2018-19 तक भारत का वार्षिक दुग्ध उत्पादन 187.7 मिलियन टन के रिकार्ड स्तर तक आ पहुँचा है. दुग्ध उत्पादन में इस अभूतपूर्व वृद्धि का कारण भारत की मूल गौवंशीय नस्लों का विदेशी नस्लो जैसे होल्सटीन फ्रिजियन, आयरशायर, जर्सी आदि से संकरण माना जाता है. दुग्ध उत्पादन की इसी कड़ी में आज हम बात करने वाले हैं ए-1 और ए-2 दूध के बारे में, तो आइए आपको बताते हैं कि इनमें क्या अंतर है.

-1 और -2 दूध के बीच अंतर

विदेशी संकर नस्लों ( आयरशायर, जर्सी ) से प्राप्त दूध को वैज्ञानिक 1 मिल्क कहते हैं. वर्तमान में भारत में उत्पादित 95 प्रतिशत दूध यही है यानी ए 1. जबकि भारत की मूल नस्लें जैसे कि साहिवाल, गिर, थारपारकर, लाल सिंधी, हरियाणवी इत्यादि से प्राप्त दूध ए 2 प्रकार का होता हैं.

-1 दूध से जुड़ी आशंका:

ये सत्य है कि भारत में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि संकर प्रजाति के पशुओं के कारण ही हुई है,किंतु इसकी गुणवत्ता से जुड़ी आशंका आज वैश्विक चर्चा का विषय है और वो यह कि संकर नस्लों से प्राप्त दूध हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो नहीं? अंतरराष्ट्रीय दुग्ध बाजारो में भी ए1मिल्क की गुणवत्ता को लेकर काफी चिंताएं हैं. अमेरिका में किये गये शोध से यह बात निकलकर सामने आयी है कि ए 1मिल्क में पाये जाने वाला तत्व बीसीएम 7,मानव स्वास्थ्य के लिए विभिन्न प्रकार की समस्या उत्पन्न कर सकता है. डेनमार्क, स्वीडन  के शोध के अनुसार, बीसीएम-7 के कारण मानव में डायबिटीज तथा हृदय रोग उत्पन्न होने की आशंका होती हैं. इसके अलावा ए1दूध पचने में भी मुश्किल होता है. जिस कारण कुछ लोगों को लैक्टोस इनटालरेंस जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है.

गुणवत्ता में श्रेष्ठ है -2 दूध:

देसी पशुओं के दूध की गुणवत्ता विदेशी पशुओं की अपेक्षा श्रेष्ठ है. देसी नस्लों द्वारा उतपन्न ए2 मिल्क में एक खास प्रकार का अमीनो अम्ल प्रोलीन पाया जाता है जो बीसीएम 7,को शरीर में अवशोषित नहीं होने देता. जिसके कारण ए-2 मिल्क पचने में आसान होता है. इस दूध के कारण किसी भी प्रकार का हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता. ए-2 मिल्क के इन्हीं गुणों के कारण विभिन्न विशेषज्ञ बाल कुपोषण जैसी समस्याओं के समाधान में इसके उपयोग की सलाह देते हैं.

बढ़ रही -2 दूध की मांग:

अपने औषधीय गुणों के कारण ही न्यूज़ीलैण्ड तथा अमेरिका जैसे देशो के साथ ए-2 मिल्क आज पूरी दुनिया मे लोकप्रिय हो रहा है. जबकि भारत में भी अमूल जैसी कंपनियों ने भी इसका उत्पादन आरंभ कर दिया है.

बाजार मूल्य

बाजार मूल्य की बात करें तो जहां साधरण ए-1मिल्क का मूल्य 40-50 रुपए/लीटर है, तो ए-2 मिल्क का मूल्य 90 रुपए/लीटर तक है.

English Summary: What is the difference between A1 and A2 milk
Published on: 28 April 2020, 03:05 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now