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Updated on: 11 January, 2023 12:00 AM IST
आज ही लाइए भैंसों की इन नस्लों को

पशु पालन हमारे देश में ख़ासकर ग्रामीण इलाक़ों में किसानों की आय का एक प्रमुख ज़रिया है. पशुपालन कृषि का ही एक अंग है. इसमें भैंस, गाय, बकरी, भेड़, बैल, सुअर और पोल्ट्री फ़ार्मिंग आदि शामिल हैं. आज हम बात करने जा रहे हैं भैंस पालन की. आज हम जानेंगे कि भैंसों की कौन सी उन्नत नस्लें हैं जिनसे पालक अच्छा लाभ हासिल कर सकते हैं.

भैंस पालन

हम सब जानते हैं कि भैंस एक दुधारू पशु है. दुनियाभर में जितनी भैंसे पाली जाती हैं उनमें 95 फ़ीसदी यानि सबसे ज़्यादा एशिया महाद्वीप में पाली जाती हैं. एशिया में भी भारत का स्थान प्रमुख है जहां पशु पालक भैंसों का पालन करते हैं. भैंस का दूध हमारे देश में दूध उत्पादन का एक प्रमुख स्त्रोत है. वहीं नर भैंसों यानि भैंसा की बात करें तो वर्तमान समय में खेती से जुड़े कामों में इनका उपयोग किया जाता है. पुराने ज़माने में बैलगाड़ियों में बैलों और भैंसों का इस्तेमाल किया जाता था जिस पर सवार होकर लोग एक जगह से दूसरी जगह का सफ़र तय करते थे. हालांकि अब भी कभी-कभार हमें ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा देखने को मिलता है. ताक़तवर होने के नाते नर भैंस या भैंसा भारी सामानों को ढोने में सक्षम होता है. पौराणिक ग्रंथों में भैंसा को शनि और यमराज की सवारी के रूप में दर्शाया गया है.

उन्नत नस्लें

यूं तो भैंसों की अनेक नस्लें हैं जैसे- भदावरी, मुर्रा, नीली, जाफराबादी आदि लेकिन आज हम उन 4 ख़ास नस्लों की बात करेंगे जिनसे पशुपालक बढ़िया फ़ायदा ले सकते हैं.

ये प्रजातियां हैं- मेहसाना, सूरती, चिल्का, तोड़ा.

मेहसाना

मेहसाना

दरांती की तरह इसके घुमावदार सींघों को देखकर आप इनकी पहचान कर सकते हैं. काले और भूरे रंग की ये भैंसे एक ब्यांत में 1500 लीटर तक दूध दे सकती हैं. न्यूनतम ये भैंसे एक ब्यांत में 1100 लीटर देती हैं.

सूरती

सूरती

इन भैंसों का सर लम्बा और है और धड़ नुकीला सिल्वर सलेटी और काले रंगी की होती हैं. एक ब्यात में आपको इनसे 1300 लीटर तक दूध मिल जाता है. एक ब्यांत में न्यूनतम 900 लीटर दूध तो आपको मिल ही जाएगा. सेहत के लिहाज से इनका दूध काफ़ी गुणकारी है. इस भैंस के दूध में फ़ैट कन्टेंट 8 से 12 प्रतिशत तक होता है.

चिल्का

चिल्का

मध्यम आकार की बनावट और काले व भूरे रंग से इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है. ये देसी भैंस के नाम से मशहूर है. एक ब्यांत में दूध उत्पादन की बात करें तो 500 से 600 लीटर तक दूध मिल जाता है.

तोड़ा

तोड़ा

चिल्का भैंस की तरह इस प्रजाति की भैंसे भी एक ब्यांत में 500 से 600 लीटर तक दूध देती हैं. साउथ इंडिया के तमिलनाडु राज्य में ज़्यादातर पशु पालक इस भैंस का पालन करते हैं.

इसके अलावा मुर्रा प्रजाति की भैंसे भी अच्छी मात्रा में दूध देने के लिए मशहूर हैं. इस प्रजाति की भैंसे औसतन 12 लीटर दूध रोज़ाना दे सकती हैं. लेकिन अच्छी तरह इसकी देखभाल की जाए तो ये 30 लीटर तक दूध दे सकती हैं. मिसाल के तौर पर मुर्रा प्रजाति की हरियाणा की भैंस रेशमा को ले लीजिए जिसके नाम सबसे ज़्यादा दूध देने का रिकॉर्ड दर्ज है. रेशमा रोज़ाना 33.8 लीटर दूध देती है. इसी तरह हरियाणा के ही मशहूर भैंसे गोलू-2 की मां का उदाहरण भी देख सकते हैं जिससे उसके पालक को रोज़ाना 26 लीटर तक दूध मिलता है.

अगर आप भी भैंस पालन या डेयरी से जुड़े काम को शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं तो अपनी सुविधा के हिसाब से उचित नस्लों का चुनाव कर इसकी शुरूआत कर सकते हैं.

उम्मीद है आपको हमारी जानकारी अच्छी लगी होगी. कृषि के साथ देश-दुनिया की अहम ख़बरों से अपडेट रहने के लिए जुड़े रहिए कृषि जागरण के साथ.  

English Summary: top buffalo breeds in india
Published on: 11 January 2023, 12:13 IST

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