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Updated on: 5 September, 2024 12:00 AM IST
भारत में गायों की टॉप 7 नस्लें

किसान प्राचीन काल से खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते आ रहे हैं. गाय पालन से किसानों को जहां दूध प्राप्त होता है, वहीं यह उन्हें एक आय का स्रोत भी प्रदान करता है. इसके अतिरिक्त, किसान गाय के गोबर का उपयोग खेतों में उर्वरक के रूप में करते हैं, जो मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करता है और रासायनिक उर्वरकों की जरूरत को कम करता है. गाय पालन किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है, क्योंकि दूध और अन्य उत्पादों की बिक्री से नियमित आय होती है, जो कृषि फसलों में संभावित असफलताओं के खिलाफ सुरक्षा का काम करती है. कुछ गायों की नस्लों का उपयोग खेतों में हल चलाने के लिए भी किया जा सकता है, जो कृषि कार्यों में सहायता करता है.

वही देश में गायों की 50 से अधिक नस्लें पाई जाती हैं, जिनकी अपनी-अपनी विशेषताएं हैं. इन नस्लों की दूध देने की क्षमता स्थान और पोषण के आधार पर भिन्न होती है. आइए, गाय की टॉप 7 नस्लों के बारे में विस्तार से जानते हैं-

थारपारकर गाय: थारपारकर नस्ल की गाय भारत की बेहतरीन दुधारू नस्लों में मानी जाती है. इस नस्ल का नाम थार रेगिस्तान से लिया गया है, जहां से यह उत्पन्न हुई है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अनुसार, थारपारकर गाय औसतन एक ब्यान्त में 1749 लीटर दूध देती है और प्रतिदिन 12 से 16 लीटर दूध देती है.

राठी गाय: राठी नस्ल की गाय भारतीय नस्लों में एक प्रमुख दुधारू नस्ल है, जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में पाई जाती है. इसे 'राजस्थान की कामधेनु' भी कहा जाता है. राठी गाय प्रतिदिन औसतन 7 से 12 लीटर दूध देती है और अच्छी देखभाल और खानपान के साथ 18 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है.

साहिवाल गाय: उत्तर भारत में साहिवाल गाय का पालन व्यापक रूप से किया जाता है क्योंकि यह काफी अधिक मात्रा में दूध देती है. औसतन, साहिवाल गाय 10 से 20 लीटर दूध देती है, जबकि उचित देखभाल के साथ यह गाय 40-50 लीटर दूध भी दे सकती है.

खेरीगढ़ गाय: यह नस्ल उत्तर प्रदेश के खेरी जिले के नाम पर रखी गई है और इस नस्ल के मवेशी मुख्यतः इस जिले के साथ-साथ पीलीभीत जिले में भी पाए जाते हैं. खेरीगढ़ गाय को खीरी, खैरीगढ़, और खैरी गाय के नाम से भी जाना जाता है. एक ब्यान्त में, खेरीगढ़ गाय औसतन 300-500 लीटर दूध देती है.

गिर गाय: गिर गाय भारतीय नस्लों में सबसे बड़ी होती है, जो औसतन 12-20 लीटर दूध देती है. इसकी ऊंचाई 5-6 फुट तक होती है और इसका औसत वजन लगभग 400-500 किलोग्राम होता है. गिर गाय की स्वर्ण कपिला और देवमणी नस्लें विशेष रूप से अच्छी मानी जाती हैं. स्वर्ण कपिला रोजाना औसतन 20 लीटर दूध देती है, और इसके दूध में फैट की मात्रा 7 प्रतिशत तक होती है.

लाल कंधारी गाय: यह नस्ल छोटे किसानों के लिए लाभकारी है, क्योंकि इसकी देखभाल में कम लागत आती है और इसे हरे चारे की आवश्यकता नहीं होती है. यह नस्ल चौथी सदी में कांधार के राजाओं द्वारा विकसित की गई थी और इसे लखाल्बुन्दा भी कहा जाता है. लाल कंधारी गाय प्रतिदिन 1.5 से 4 लीटर दूध देती है.

बचौर गाय: यह बिहार की भारवाहक मवेशी नस्ल है और बिहार की एकमात्र पंजीकृत नस्ल मानी जाती है. इसे ‘भूटिया’ भी कहा जाता है और यह मुख्यतः दरभंगा, सीतामढ़ी, और मधुबनी जिलों में पाई जाती है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अनुसार, बचौर गाय औसतन एक ब्यान्त में 347 लीटर दूध देती है, और इसका दूध उत्पादन 225 लीटर से लेकर 630 लीटर तक हो सकता है.

English Summary: top 7 highest milk producing desi cow breed in India
Published on: 05 September 2024, 04:46 IST

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