75 एचपी रेंज में सबसे ताकतवर ट्रैक्टर, जो है किसानों की पहली पसंद हल्दी की खेती ने बदली इस किसान की किस्मत, आज है लाखों में कारोबार PMFBY: फसल खराब पर देश के कई किसानों को मिलता है मुआवजा, इस नंबर पर करें शिकायत खेती के लिए 32 एचपी में सबसे पावरफुल ट्रैक्टर, जानिए फीचर्स और कीमत एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान!
Updated on: 19 February, 2023 12:00 AM IST
भेड़ों में होने वाले रोग

भारत में भेड़ पालन एक प्रमुख व्यवसाय है. भेड़ पालन भी बकरी पालन की तरह ही है. इस व्यवसाय में कम लागत में अधिक कमाई होती हैलेकिन इस व्यवसाय में पशुपालकों को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है. क्योंकि भेड़ों को कई तरह की बीमारियां होती हैं. अधिक बीमारियां होने से कई बार पशु की मृत्यु तक हो जाती है. इससे ऊन उत्पादन पर असर हो जाता है और भेड़ पालकों का काफी आर्थिक नुकसान हो जाता है.

1. खुरपका-मुंहपका रोग- यह बीमारी विषाणु जनित होती है. इसलिए यह एक पशु से दूसरे पशु में बहुत तेजी से फैलता है. रोग से ग्रसित पशु के मुंहजीभहोंठ व खुरों के बीच की खाल में फफोले पड़ जाते है. भेड़-बकरियां घास नहीं खा पाती और कमज़ोर हो जाती है. 

बचाव- संक्रमित भेड़ को अन्य पशु से अलग करें. भेड़ पालक को महीने के अन्तराल के दौरान एफएमडी का टीकाकरण करवाना चाहिए. 

2. ब्रूसीलोसिस- यह बीमारी जीवाणु से होती हैइस बीमारी में गाभिन भेड़ों में या साढ़े महीने के दौरान गर्भपात हो जाता हैबीमार भेड़ की बच्चेदानी भी पक जाती है. गर्भपात होने वाली भेड़-बकरियों की जेर भी नहीं गिरतीइस बीमारी से मेंढों व बकरों के अण्डकोश पक जाता है घुटनों में भी सूजन आ जाती है प्रजनन क्षमता कम हो जाती है.

बचाव- भेड़ पालक को सारे का सारा झुंड खत्म कर नये जानवर पालने चाहिए. कई बार भेड़ पालक गर्भपात हुए मृत मेमने को उसके भेड़ की जेर खुले में फेंक देते हैं जिससे कि इस बीमारी के कीटाणु अन्य झुंड में भी फैल जाते हैं. जबकि भेड़ पालकों को ऐसे मृत मेमने व जेर को गहरा गढ्ढा कर उसमें दबाना चाहिए.

3.चर्म रोग - इस रोग में अन्य पशुओं की तरह भेड़ों को भी जूएंपिस्सु आदि परजीवी होने लगते हैं. यह भेड़ों की चमड़ी में अनेक प्रकार के रोग पैदा करते हैंजिससे जानवर के शरीर में खुजली हो जाती है और जानवर अपने शरीर को बार-बार दूसरे जानवरों के शरीर व पत्थर या पेड़ से खुजलाता है. 

बचाव - सबसे पहले भेड़ की खाल की जांच पशु चिकित्सक से करवाएं. ग्रसित पशु को अन्य पशुओं से अलग कर दें. पशु को कम से कम दो बार कीटनाशक स्नान जरुर करवाएं.  

4. गोल कीड़े- यह कीड़े मुख्य रूप से भेड़ों की आंतों में धागे की तरह लम्बे व सफेद रंग के हो जाते हैं. यह भेड़ की आंतों से खून चूसने लगते हैं. पशु का शरीर कमज़ोर होने लगाता है. पशु को दस्तऊन उत्पादन में कमीपशु का खाना-पीना बंद हो जाता है.  

बचाव- भेड़ को साल में कम से कम तीन बार पेट के कीड़ों को मारने की दवाई पशु चिकित्सक की सलाह से अवश्य पिलाएं.  

5. गलघोंटू- यह बीमारी भेड़ों में जीवाणुओं से फैलती है. भेड़ के झुंड को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने से रोग के फैलने की संभावना ज्यादा रहती है. इससे कई पशु की मृत्यु तक हो जाती है. गले में सूजनसांस लेने में कठिनाईतेज़ बुखार और नाक से लार निकलना प्रमुख लक्षण हैं. 

ये भी पढ़ेंः भेड़ों को खरीदने से पहले इन बातों का रखें ख्याल, होगा फायदा

बचाव- भेड़ों को प्रति वर्ष वर्षा ऋतु से पहले इस रोग का टीका जरूर लगवाएं. ग्रसित पशु को अन्य पशुओं से दूर रखें.

English Summary: These diseases occurring in sheep are very dangerous, this is how to protect them
Published on: 19 February 2023, 12:47 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now