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Updated on: 7 December, 2020 12:00 AM IST
Animal Husabandry

राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है. मौसम रिपोर्ट पर गौर करें तो पाएंगें कि नवंबर का पिछला महीना ठंड के मामले में 71 सालों का रिकॉर्ड तोड़ चुका है. कई क्षेत्रों में औसत न्यूनतम तापमान रात के समय 8 डिग्री तक पहुंच गया है. इसी के साथ कई राज्यों में घना कोहरा भी पड़ने लगा है. शनिवार की सुबह दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोहरा छाया रहा.

अब ये तो तय है कि आने वाले दिनों में धीरे-धीरे कोहरा और घना ही होगा एवं ठंड का प्रकोप बढ़ेगा. ऐसे में शीत से न सिर्फ अपने आपको बल्कि अपने मवेशियों को भी बचाने की जिम्मेदारी आपकी है. चलिए इस लेख के माध्यम से हम आपको बताते हैं, वो ठंड में किस तरह की बीमारियों पशुओं को होती है एवं उससे बचाव के क्या-क्या आसान तरीके हैं.

जानवरों की विशेष देखभाल क्यों है जरूरी

एक किसान के लिए उसका पशु बहुत किमती होता है. पशुओं के देखभाल और उसके रखरखाव पर वो पैसा भी खर्च करता है. पशुओं को कुछ होने का मतलब भारी नुकसान है, कई बार तो इस कारण घर का पूरा बजट खराब हो जाता है. सर्दियों के मौसम में पशुओं को पाला मारने का डर होता है. कुछ मवेशी तो ऐसे हैं, जिन्हें ठंड में विशेषकर बचाने की जरूरत होती है.

क्या कहती है रिपोर्ट

जानवरों पर हुए कई शोध इस बात को मानते हैं कि पशुओं की सबसे अधिक मौत ठंड के मौसम में होती है. इतना ही नहीं, इस मौसम में उनके बीमार होने का खतरा सामान्य से बहुत अधिक होता है.

चारे का रखें ख्याल

अनजाने में आप पशुओं को ठंडा चारा या दाना ही परोस देते हैं, जबकि ऐसा बिलकुल नहीं करना चाहिए. ठंड से बचाने के लिए पशुओं को हरा चारा व मुख्य चारा एक से तीन के अनुपात में मिलाकर खिलाना चाहिए.

आवास पर करें ऐसी व्यवस्था

इस मौसम में पशुपालकों को पशुओं के आवास से संबंधित कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए. जैसे- पशुओं को रात और सबुह के समय खुले में न बांधे. शीत और घने कोहरे के समय भी उन्हें खुले में बांधना सही नहीं है. पशुओं के सोने के लिए भूसा, पेड़ों की पत्तियां या कोई पुरानी दरी जरूरत अनुसार बिछा सकते हैं.

हवा को सीधे प्रवेश करने से रोके

ठंडी हवा से बचाने के लिए पशुशाला की खिड़कियों, दरवाजों और अन्य जगह पर मोटी बोरी टांगें. कोई एक या दो खिड़की को छोड़कर बाकि अन्य खिड़कियों को बंद करना अधिक उत्तम है.

कुछ देर धूप में बांधें

अगर आपके यहां धूप निकली है, तो कुछ देर के लिए पशुओं को वहां बांधना बेहतर है. इससे उन्हें ऊर्जा मिलती है और उनकी सेहत भी बनी रहती है.

सर्दी में पशुओं को होने वाले प्रमुख रोग

निमोनिया

आम लोगों को लगता है कि निमोनिया सिर्फ इंसानों को होता है, लेकिन ऐसा नहीं है. ठंड के समय पशुओं में होने वाले सबसे आम रोगों में से निमोनिया एक है. ये एक तरह का संक्रमण रोग है, जो पशुओं को दूषित वातावरण में रहने से होता है. इस रोग में उनकी आंख और नाक से पानी गिरने लगता है एवं पशु सुस्त दिखाई पड़ते हैं. बचाव के लिए जरूरी है कि आप उनके रहने और खाने-पीने की व्यवस्था सफाई पूर्वक करें.

अफारा

अफारा रोग होने का मुख्य कारण पशुओं को असंतुलित आहार एवं जरूरत से ज्यादा दलहनी हरा चारा जैसे बरसीम आदि देना है. कई लोग पशुओं को बहुत अधिक मात्रा में अन्न आटा, बचा हुआ बासी खाना आदि दे देते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए.

इस रोग के प्रभाव में जानवरों के पेट में गैस बनने लगता है. इसी के साथ आप देख सकते हैं कि उनकी बायीं कोख फूलने लगती है. इस रोग से बचाव के लिए जरूरी है कि जानवरों को चारे के साथ कुछ गर्म आहार जैसे गुड़ आदि दिया जाए.

ठण्ड लगना

इससे प्रभावित पशु को नाक व आंख से पानी आना, भूख कम लगना, शरीर के रोएं खड़े हो जाना आदि लक्षण आते हैं. इससे बचाने के लिए उन्हें एक बाल्टी खौलते पानी के ऊपर सूखी घास रख दें. इसके अलावा रोगी पशु के चेहरे को बोरे या मोटे चादर से ऐसे ढ़के कि नाक में भाप दें.

इसके अलावा आप ग्रोवेल का एमिनो पॉवर दें. एमिनो पॉवर एक अद्भुत दवा है, इससे प्रोटीन्स,विटामिन्स और मिनरल्स मिलाकर बनाया जाता है. एमिनो पॉवर  न केवल पशुओं को ठंढ के मौसम में गर्मी प्रदान करता है, बल्कि की किसी भी प्रोटीन्स, विटामिन्स और मिनरल्स की कमी की पूर्ति करता है, साथ ही पशुओं को हस्ट -पुष्ठ रखता है.

दस्त की समस्या 

ठंड के मौसम में होने वाली बीमारियों में से एक है दस्त की समस्या. वैसे तो ये समस्या छोटी सी जान पड़ती है, लेकिन समय रहते इसे काबू नहीं किया गया, तो ये गंभीर हो सकता है. दस्त के दौरान पशुओं को ग्रोवेल का ग्रोलिव फोर्ट देना चाहिए, इसके साथ ही आप निओक्सीविटा फोर्ट भी दे सकते हैं.

श्वास संबंधी बीमारियां

अगर आप मुर्गीपालन का काम करते हैं, तो शीत ऋतु में उनके श्वास संबंधी बीमारियों के प्रति सचेत रहना जरूरी है. इस रोग से मुर्गियों को बचाने के लिए सिप्रोकोलेन दवा देना लाभदायक होगा. इसके अलावा चूज़ों की डिलीवरी शाम की अपेक्षा सुबह करवाना फायदेमंद है. चूजों को शेड के परदों में ढक कर रखना बेहतर है. बहुत अधिक ठंडे पानी देना नुकसानदायक है, इसलिए पानी को हल्का गर्म करें.

अगर तापमान बहुत अधिक कम है, तो आप ठंड के प्रकोप को कम करने के लिए ब्रूडर को कुछ समय हवा निरोधी भी बना सकते हैं. इसके लिए किसी पॉलिथीन से छोटे गोल शेड को ढक कर रखना है.

English Summary: these are the common disease in animals during winter know more about precautions and arrangements
Published on: 07 December 2020, 05:40 IST

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