Dairy Scheme 2025: डेयरी व्यवसाय के लिए ₹42 लाख तक के लोन पर पाएं 33% तक सब्सिडी, जानें आवेदन की पूरी प्रक्रिया बाढ़ से फसल नुकसान पर किसानों को मिलेगा ₹22,500 प्रति हेक्टेयर तक मुआवजा, 5 सितंबर 2025 तक करें आवेदन Weather Update: दिल्ली-NCR, यूपी, बिहार, एमपी और हिमाचल में भारी बारिश का अलर्ट, जानिए अपने जिले का हाल किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 11 March, 2020 12:00 AM IST

दुग्ध उद्योग में भारत का विशेष स्थान है. खुद भारत में पशुपालन मुख्य तौर पर दुग्ध उत्पादन के लिए ही किया जाता है. इसकी प्रोसेसिंग और खुदरा बिक्री के लिए किए जाने वाले कार्यों से लाखों परिवार पोषित हो रहे हैं. वैसे तो हमारे देश में भैंस, बकरी और ऊंटनी आदि का दूध पिया ही जाता है, लेकिन गाय का दूध अधिक लोकप्रिय है.

यही कारण है कि अधिक दूध देने वाली गायों की मांग आज बढ़ रही है. पशुपालकों को ऐसी मवेशियां चाहिए जिन्हें पालने में लागत कम से कम और मुनाफा अधिक हो. थारपारकर एक ऐसी ही गाय है. इसका नाम पांच सबसे उत्तम दुधारू पशुओं शुमार है. इसके नस्ल को रोग प्रतिरोधी मवेशी के नाम से भी जाना जाता है.

मूल स्थान
विशेषज्ञों का मत है कि इसका मूल निवास रेतीला इलाका संभवत: कच्छ या बाड़मेर/जैसलमेर रहा होगा. हालांकि इस मामले पर विद्वानों का मत एक नहीं है.

क्यों है थारपारकर फायदेमंद

थारपारकर शुष्क क्षेत्रों में बड़े आराम से कठोर मौसम की मार को झेल सकता है. अलग-अलग जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालने में इसे महारत हासिल है. इतना ही नहीं वो बहुत कम भोजन में भी जीवित रहने में समर्थ है. इसका औसतन जीवन 25 से 28 वर्ष तक का होता है और ये मध्यम आकार के सफेद रंग के होते हैं.

इसके दूध का दैनिक सेवन किया जा सकता है. इसका दूध मोटा और अत्यधिक पौष्टिक होता है, जिसमें औसतन 4.4% वसा और 9.0% SNF की मात्रा होती है. ध्यान रहें कि अन्य पशुओं की तरह इसके विकास में भी साफ-सुथरा और हवादार घर– बथान का योगदान है. इस पशु को हालांकि विशेष देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन सन्तुलित खान–पान एवं देख भाल उचित ढ़ंग से होना जरूरी है.

English Summary: Tharparkar Cow Cost Milk capacity Per Day and Characteristics know more about
Published on: 11 March 2020, 05:53 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now