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Updated on: 15 April, 2021 12:00 AM IST
Probiotic Milk

दूध और दुग्ध उत्पाद विविध विशेषताओं से परिपूर्ण होते हैं. प्रोबायोटिक दूध में विद्यमान सूक्ष्म जीव शरीर के लिए लाभकारी होते हैं, इसलिए यह साधारण दूध से अधिक विशेषताओं वाला माना जाता है. प्रोबायोटिक उत्पाद में "लेटोबैसिलस" एवं "बिफिडोबैटरियम" सूक्ष्म जीवों सामान्यत: इस्तेमाल किये जाते हैं. प्रोबायोटिक दूध में खट्टा एवं दवाइयों जैसा स्वाद होता है. प्रोबायोटिक दूध के अच्छे परिणाम मानव शरीर के लिए पाए गए हैं.

उनमें से कुछ निम्न हैं :-

1.एसिडोफिलस दूध2. बिफिडस दूध, 3. एसिडोफिलस (मीठा) दूध, जिसको बिना किण्वन पक्रिया से बनाया जाता है. 4. एसिडोफिलस कवक युक्त दूध

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रोबायोटिक वह जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं जो पर्याप्त मात्रा में विकसित होने पर मेजबान के स्वास्थ्य को लाभ प्रदान करते हैं. प्रोबायोटिक की श्रेणी में जो सूक्ष्मजीव आते हैं, उनमे लेटोबेसिलस एसिडोफिलस, बिफिडोबेटीरियम बिफिडम और बिफिडोबेटीरियम लॉन्गम, स्ट्रेप्टोकोकस थर्मोफिलस आदि का समावेश है. इन्सान के पाचन तंत्र को सबसे ज्यादा विविधता और चयापचन क्रियाओं में सक्रिय अंग माना जाता है. मानव पाचन तंत्र के विद्धमान आँतों में ही प्रोबायोटिक जीवाणुओं की उपस्थिति होती है. प्रोबायोटिक दूध के उपयोग से पेट सम्बन्धी समस्याओं से तुरंत ही छुटकारा पाया जा सकता है.

प्रोबायोटिक दूध बनाने की विधि

  • प्रोबायोटिक दूध को बनाने की विधि में उपयोग में आने वाले बर्तनों को अच्छी तरह साफ़ कर लिया जाये.

  • दूध को कुछ समय तक उबालन बिंदु तक गर्म करें (90-100 डिग्री तापमान पर 1-2 मिनट)

  • 38-45 डिग्री तापमान तक दूध को ठंडा करें, ठंडा करने हेतु, दूध को ठन्डे पानी के बर्तन में रख सकते हैं.

  • दूध में प्रोबायोटिक जीवाणु (स्टार्टर कल्चर का) 2 से 5 % इस्तेमाल करते हैं.

  • उपरोक्त परिमाण अनुसार प्रोबायोटिक जीवाणु पूरी तरह मिला लें.

  • प्रोबायोटिक जीवाणु मिलाये हुए दूध को 38-45 डिग्री तापमान पर लगभग 12-14 घंटे के लिए रख दें. यदि वातावरण का तापमान कम हो तो समयावधि (18-20 डिग्री तापमान पर 18-24 घंटे के लिए) बढ़ा दें.

  • अब जमे हुए प्रोबायोटिक दूध को शीघ्रता से ठंडा किया जाये ताकि जीवाणु वृद्धि रुक जाये और हमारा उत्पाद अधिक खट्टा ना हो.

  • इस प्रकार निर्मित किये हुए प्रोबायोटिक दूध की पैकिंग करके भंडारण के लिए भेज देते हैं. (तापमान 5 डिग्री)

Dairy Milk

प्रोबायोटिक दूध बनाने की विधि में अलग-अलग उत्पादों के लिए अलग-अलग स्टार्टर कल्चर इस्तेमाल करते हैं-

  1. एसिडोफिलस दूध के लिए (लैटोबैसलस एसिडोफिलस)

  2. बिफिडस दूध के लिए ("बीफिडोबैटीरियम बिफिडस" और "बीफिडोबैटीरियम लॉन्गम") लगभग 10% स्टार्टर कल्चर इस्तेमाल करते हैं. इसके अंतिम उत्पाद में लगभग 1 करोड़ से 10 करोड़ प्रोबायोटिक जीवाणु होते हैं.

  3. एसिडोफिलस कवक युक्त दूध के लिए "लैटोबेसिलस बुलगारिकस", लैटोबेसिलस एसिडोफिलस", "लेक्टोस किण्वक कवक" आदि.

प्रोबायोटिक दूध बनाने की अन्य विधि

मीठा एसिडोफिलस दूध:

मीठा एसिडोफिलस दूध बनाने के लिए हम गर्म किए हुए दूध को ठंडा करके अधिक से अधिक मात्रा में प्रोबायोटिक जीवाणुओं को मिलाते हैं. इसके ठंडे होने के कारण जीवाणु विकसित नहीं हो पाते हैं, और दूध का स्वाद खट्टा नहीं होता है. इसका स्वाद साधारण दूध जैसा ही रहता है.

प्रोबायोटिक दूध से लाभ

प्रोबायोटिक में लैक्टिक अम्ल जीवाणु होते हैं जो दूध में उपस्थित लैक्टोज शक्कर को लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित देते हैं. प्रोबायोटिक खाद्यों से कोलोन कैंसर से बचाव भी होता है. कुछ शोध से ज्ञात हुआ है कि प्रोबायोटिक उत्पादों का प्रयोग करने वाले लोगों में कोलोन कैंसर होने की संभावना बेहद कम होती है. इससे कोलेस्ट्रोल पर भी नियंत्रण होता है. दूध और फॉरमेंटेड खाद्य उत्पादों के प्रयोग से रक्तचाप भी नियंत्रण में रहता है. यह मानव शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र के लिए भी लाभदायक होता है, जिससे शरीर रोगाणुओं से बचाव करने में सक्षम हो पाता है. लैक्टोबैसिलस एवं बाइफीडोबैक्ट्रियम खाद्य और पूरक से डायरिया के रोकथाम में भी मदद मिलती है.

प्रोबायोटिक के सेवन से वयस्कों में होने वाले संक्रामक बॉवल रोग और हाइपर सेंसिटिविटी प्रतिक्रिया पर भी नियंत्रण रहता है. इनके उपयोग से सूक्ष्म खनिजों के अवशोषण में होने वाली समस्याएं भी समाप्त हो सकती हैं. विश्व में प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ का उद्योग more than
१४ अरब डॉलर के लगभग हो रहा है. भारत में मदर डेयरी, अमुल, निरुलाज़ और याकुल्ट व कई अन्य कंपनिया प्रोबायोटिक दूध और दही बाजार में लॉन्च कर चुकी हैं.

The World Health Organization (WHO) and the Food Agriculture Organization (FAO) ने इन बैक्टीरिया (प्रोबायोटिक दूध) के महत्व को पहचाना है जो की स्वस्थ पाचन तंत्र को बनाए रखने और प्रतिरक्षा को बेहतर बनाने के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ्य की ओर ले जाते हैं. प्रोबायोटिक दूध का लाभ बेहतर पाचन स्वास्थ्य से हो सकता है, कब्ज और दस्त की असुविधा को कम कर सकते हैं, बेहतर प्रतिरक्षा, श्वसन संक्रमण और एलर्जी जैसे जोखिम को करने में हो सकती है.

लेखक:- डॉ ऋषिकेश अंबादास कंटाळे,  विनोद कुमार शर्मा, डॉ माधुरी सतीश लहामगे
गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी लुधियाना पंजाब &  ए. सी. व्ही. एम. वेटरनरी कॉलेज, जयपुर, राजस्थान
rushikeshkantale23@gmail.com
मोबाईल नंबर-  7276744393

English Summary: Probiotic milk is full of many characteristics
Published on: 15 April 2021, 03:19 IST

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