दूध और दुग्ध उत्पाद विविध विशेषताओं से परिपूर्ण होते हैं. प्रोबायोटिक दूध में विद्धमान सूक्ष्म जीव शरीर के लिए लाभकारी होते हैं, इसलिए यह साधारण दूध से अधिक विशेषताओं वाला माना जाता है. प्रोबायोटिक दूध के अच्छे परिणाम मानव शरीर के लिए पाए गए हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रोबायोटिक वह जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं जो पर्याप्त मात्रा में विकसित होने पर मेजबान के स्वास्थ्य को लाभ प्रदान करते हैं. इन्सान के पाचन तंत्र को सबसे ज्यादा विविधता और चयापचन क्रियाओं में सक्रिय अंग माना जाता है. मानव पाचन तंत्र में आँतों का विशिष्ट स्थान है. आंतों से ही सम्पूर्ण शरीर के लिए पोषक तत्वों को ग्रहण किया जाता है. पाचन तंत्र में विद्धमान आँतों में ही प्रोबायोटिक जीवाणुओं की उपस्थिति होती है.
प्रोबायोटिक दूध के पोषक मूल्य
प्रोबायोटिक दूध में किण्वन क्रिया के कारण साधारण दूध की तुलना में कुछ मात्रात्मक एवं गुणात्मक दोनों तरह के बदलाव आ जाते हैं.
निम्न बिंदुओं पर विचार करना चाहिए.
1. उत्पाद बनाने की विधि के कारण आए बदलाव:-
यह बदलाव दूध के मानकीकरण या अवयवों की पूर्णता के लिए उत्पाद बनाने के कार. गर्म करने की विधि या अधिक उबाल बिंदु के कारण
2. किण्वन (फर्मेंटेशन) के कारण आए बदलाव:-
क) किण्वन क्रिया में जीवन वृद्धि और उनकी उपापचय क्रिया के कारण गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों तरह के बदलाव आते हैं.
ख) जीवाणु वृद्धि और उपापचय क्रियाएं अलग-अलग तरह के उपापचय पदार्थ को निर्मित करती हैं.
ग) इन्हीं उपापचय उत्पादों में एंजाइम भी सम्मिलित होते हैं, जो दूध के अवयवों जैसे वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स या शर्करा को छोटे-छोटे उत्पादों में बदल देते हैं.
घ) उनसे कुछ विटामिन, रोगाणुरोधी उत्पाद, अमीनो अम्ल, जैविक अम्ल, आदि निर्मित करते हैं जो कि अंतिम उत्पाद को कई विशेषताएं प्रदान करते हैं.
3. दूध के अवयवों में आए बदलाव:-
शर्करा या कार्बोहाइड्रेट्स: -
क) यह अवयव जीवाणुओं के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत माना जाता है. इसी से जीवाणु विकसित होते हैं और अलग-अलग पदार्थ निर्मित करते हैं.
ख) दूध में मौजूद लेक्टोंस शर्करा (कार्बोहाइड्रेट्स) किण्वन के दौरान लैक्टिक अम्ल में बदल जाती है.
ग) इसके अलावा भी कई अन्य अम्लीय पदार्थ भी उत्पादित किए जाते हैं जैसे एसीटेट, प्रोपिनेट. यह एक रक्षक का काम करते हैं. यह दूध में अम्लीय वातावरण बनाए रखते हैं, जिससे हानिकारक और अवांछनीय जीव विकसित नहीं हो पाते हैं.
घ) इसके अलावा जो मेजबान (होस्ट) लेक्टोज़ इनटोलरेंस जैसी बीमारी से पीड़ित होते है, उनको भी इस प्रकार के दूध को पचाने में कोई समस्या नहीं होती है. क्योंकि इस प्रकार के दूध में लैक्टोज विघटित रूप में पाया जाता है.
2. प्रोटीन:-
प्रोबायोटिक दूध के अंदर मौजूद प्रोटीन, जीवाणु और एन्ज़ाइमों से क्रिया करके अमीनो अम्ल और छोटे-छोटे प्रोटीन से टूट जाते हैं. इसके अलावा इसमें जीवाणु प्रोटीन भी मौजूद होता है.
प्रोबायोटिक दूध यह बच्चों, बुजुर्गों और पेट की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए एक आसानी से पचने वाला भोजन होता है. प्रोबायोटिक दूध में कुछ अमीनो अम्ल जैसे अलानिन, ल्युसीन, लाइसिन,हिस्टिडीन आदि की मात्रा साधारण दूध से अधिक होती है.
3. खनिज:-
क) खनिजों में मात्रात्मक बदलाव न के बराबर ही होता है, परन्तु गुणात्मक परिवर्तन काफी अधिक होता है.
ख) इससे दूध में मौजूद खनिज आसानी से उपलब्ध खनिजों में बदल जाते हैं. इन खनिजों को शरीर सुगमता से अवशोषित कर लेता है.
ग) किण्वित प्रोबायोटिक दूध भोजन को कैल्शियम और फ़ास्फ़रोस का अच्छा स्त्रोत माना जाता है, यही कारण है कि किण्वित प्रोबायोटिक दूध कि सलाह, उन व्यक्तियों को भी दी जाती है, जिनके शरीर में खनिजों की मात्रा में कमी आ जाती है.
घ) किण्वित प्रोबायोटिक दूध में कॉपर, लौह तत्व (आयरन), ज़िंक, मैंगनीज जैसे तत्वों की मात्रा साधारण दूध से अधिक होती है.
4. विटामिन:-
प्रोबायोटिक दूध में साधारण दूध से अधिक विटामिंस मौजूद होती हैं. इसीलिए प्रोबायोटिक दूध को विटामिन का एक अच्छा स्रोत माना गया है. फोलेट, बायोटिन, फोलिक अम्ल, राइबोफ्लेविन (बी2), बी6, बी1 आदि विटामिंस मौजूद होते हैं.
प्रोबायोटिक दूध के फायदे
अगर प्रोबायोटिक दूध के फायदे की बात की जाए तो इसके बहुत सारे फायदे सामने आते हैं-
क) प्रोबायोटिक दूध हानिकारक जीवाणुओं को शरीर में वृद्धि करने से रोकने का काम करता है.
ख) प्रोबायोटिक दूध दस्त, कब्ज, पेट की गड़बड़, जैसी कई परेशानियों को नियंत्रित करता है.
ग) कुछ प्रोबायोटिक जीव कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करते हैं तथा यह हृदय को रोग मुक्त रखने का काम करता है.
घ) प्रोबायोटिक जीवाणु शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम भी करते हैं.
ड) प्रोबायोटिक दूध शरीर में एंटीबॉडीज की संख्या बढ़ा देते हैं.
च) यह शरीर में वृद्धावस्था आने की गति को धीमा कर देते हैं.
छ) प्रोबायोटिक दूध शरीर में हड्डियों को मजबूत करने का कार्य भी करता है.
ज) प्रोबायोटिक दूध शरीर से विषैले पदार्थ, रासायनिक पदार्थ और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य भी बड़ी सुगमता से कर देते हैं.
झ) प्रोबायोटिक दूध हमारे शरीर को मजबूत बनाने और शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ रखने का कार्य करते हैं.
लेखक:- डॉ ऋषिकेश अंबादास कंटाळे, विनोद कुमार शर्मा, डॉ माधुरी सतीश लहामगे
गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी लुधियाना पंजाब & ए. सी. व्ही. एम. वेटरनरी कॉलेज, जयपुर, राजस्थान
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