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Updated on: 25 November, 2022 12:00 AM IST
बकरियों में होने वाले प्रमुख रोगों की ऐसे करें पहचान और उपचार

भारत के कई किसान बकरी पालन कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. लेकिन कई बार बकरियों में बीमारी होने के कारण किसानों को काफी नुकसान होता है. अगर समय रहते बीमारी की पहचान और उपचार हो जाए तो पशु की जान बचाई जा सकती है. आज इस लेख में हम बकरियों में होने वाली प्रमुख बीमारी व उनके उपचार के बारे में बताएंगे.

बकरियों में कई तरह के रोग होते हैं. कुछ रोग हल्के लक्षण वाले होते हैं, वहीं कुछ ज्यादा घातक लक्षण वाले होते हैं, जिससे पशु की जान को खतरा रहता है. बकरियों में होने वाले कुछ रोग व उनके उपचार इस प्रकार हैं.

खुर-मुंह पका रोग-

यह रोग बारिश के समय बकरियों में ज्यादा पाया जाता है. इससे बकरियों के मुंह और पैरों में छाले हो जाते हैं. अत्याधिक लार गिरना, पशु का लंगड़ाकर चलना, दूध की मात्रा में कमी, बुखार आना इसके लक्षण हैं. इस बीमारी का शिकार बकरियों को अन्य पशुओं से अलग रखना चाहिए. उन्हें दर्द निवारक इंजेक्शन दें. मुंह के छालों में वोरोग्लिसरिन का मलहम लगाएं. एंटीसेप्टिक दवा से घाव व छालों को साफ करें. हर 6 महीने के अंदर बकरियों को टीका लगवाएं. आप मार्च-अप्रैल और सिंतबर-अक्टूबर में बकरियों को टीका लगवा सकते हैं. 

निमोनिया-

सर्दी के मौसम में बकरियों को यह बीमारी होती है. इससे बकरियों में कंपकपी, नाक से पानी बहना, मुंह खोलकर सांस लेना, खांसी-बुखार जैसे लक्षण दिखते हैं. इसके उपचार के लिए एंटीबायोटिक 3 से 5 मिली. 3 से 5 दिन तक दें, खांसी के लिए केफलोन पाउडर 6 से 12 ग्राम रोजाना 10 दिन तक दें. इसके साथ ही बकरियों को ठंडी हवा से बचाएं.

अफारा बीमारी का उपचार-

यदि बकरी का पेट का बायां हिस्सा फूल जाए, पेट दर्द, पशु का पेट पर पैर मारना, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखें तो समझ लें कि बकरी को आफरा रोग हो गया है. ऐसे में बकरी को चारा-पानी बिल्कुल न दें. मेडिकल इलाज के लिए खाने का सोड़ा या टिंपोल पाउडर 15 से 20 ग्राम देना चाहिए. एक चम्मच तारपीन तेल व मीठा तेल 150 से 200 मिली पिलाने से पशु को राहत मिलेगी. बकरी को दस्त होने पर चाय की पत्ती व जामुन पत्ती दें. अफारा के घरेलू इलाज के लिए प्याज, एक चम्मच काला नमक और 2 बड़े चम्मच दही को मिक्सी में चला कर घोल तैयार करें और बकरी को पिला दें.

पेट के कीड़े-

बकरियों के पेट के कीड़े मारने के लिए बथुआ खिलाएं व छाच में काला नमक डालकर पिलाएं.

थनेला-

इस रोग में बकरी के थनों में सूजन और दूध में फटे दूध के थक्के आने लगते हैं और बुखार होता है. इस बीमारी में साफ-सफाई का ध्यान रखें और थनों में एंटीबायोटिक का इंजेक्शन डालें. पेंडिस्ट्रिन ट्यूब थन में डालें.

गले में सूजन-

ऐसी स्थिति में बकरी को ऑक्सीक्लोजैनाइड और लेवामिसोल सस्पेंनियन(Oxyclozanide And Levamisole Suspension) दवा दें. बकरियों के वजन के हिसाब से यह दवा दें.

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मुंहा रोग-

इस रोग में बकरी के होठों, मुंह, व खुरों पर खूब सारे छाले हो जाते हैं, पशु लगंडाकर चलने लगता है. इससे बचाव के लिए मुंह को डेटोल, फिनाइल के हल्के घोल से साफ करें. खुरों और मुंह पर लोरेक्सन या बिटाडीन लगाएं.

आंखें आना-

गर्मियों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. इसके लिए फिटकरी के पानी से बकरियों की आंखे साफ करें.

पी.पी.आर रोग-

इससे बचने के लिए होमोलॉगस पीपीआर वैक्सीन लगवाएं.

English Summary: How to identify and treat diseases in goats
Published on: 25 November 2022, 05:33 IST

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