भारत का एक बड़ा हिस्सा कृषि से जुड़ा हुआ है, जिसमें अधिकतर लोग खेती के साथ पशुपालन करते हैं, इन लोगों की आजीविका का साधन या तो खेती होती है या फिर पशुपालन. भारत में डेयरी फार्मिंग भी उभर रहा है. अब ऐसे में पशुपालक अपने पशुओं के दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए हर एक कोशिश करते हैं. मगर हम आपको बता दें कि हमारी प्रकृति में हर एक समस्या का समाधान मौजूद है.
बता दें कि पशुओं के दूध उत्पादन के लिए हरी घास को उत्तम माना जाता है, क्योंकि इसमें सभी प्रकार के पौष्टिक गुण पाए जाते हैं. लेकिन इसमें से सबसे उत्तम नेपियर घास को माना गया है, जिसे पशुओं को खिलाने से दूध उत्पादन में कई प्रतिशत बढ़ोतरी देखने को मिलती है.
एक बार बुवाई और 5 साल तक कटाई
पशुओं को नेपियर घास खिलाने से दूध उत्पादन में वृद्धि होती है. खास बात यह है कि इस घास को किसी भी प्रकार की मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है और मेहनत भी ज्यादा नहीं लगती है. इसके साथ ही इस खास को उगाने के लिए सिंचाई की भी आवश्यकता नहीं होती है, जिस कारण इस खास को उगाने में बहुत ही कम लागत आती है. इस घास की एक और खास बात यह है कि एक बार लगाने के बाद 5 साल तक आपको हरा चारा मिलता रहेगा. घास लगाने के 65 दिनों बाद यह कटाई के लिए तैयार हो जाती है, फिर आप 35 से 40 दिनों के अंतराल में 5 साल तक इस घास की कटाई कर सकते हैं.
पशुओं का दूध बढ़ाएगी नेपियर घास
दूधारू पशुओं को नेपियर घास खिलाने से आपको उनके दूध उत्पादन में वृद्धि देखने को मिलेगी. इस खास को किसी भी जमीन में लगाया जा सकता है. इसकी रोपाई फरवरी से जुलाई महीने के बीच की जाती है. तो वहीं खबरों की मानें तो इस घास में 30 फीसदी रेशा, 10 प्रतिशत तक प्रोटीन और 0.5 प्रतिशत कैल्सियम पाया जाता है. पशुपालक इसे दलहन के चारे के साथ मिलाकर अपने दूधारू पशुओं को खिला सकते हैं.
यह भी पढ़ें: पशु चिकित्सकों की सलाह- किसान मवेशियों से अच्छा दुग्ध उत्पादन लेने के लिए खिलाएं ये घासें
इसे खिलाने के बाद पशुओं में दूध उत्पादन क्षमता में 10 से 15 फीसदी का इजाफा होने लगता है. दूध में वृद्धि होने का सीधा अर्थ है कि पशुपालकों की आय में भी 10 से 15 फीसदी की वृद्धि देखने को मिलेगी.