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Updated on: 27 January, 2020 12:00 AM IST

वैज्ञानिक तरीके से अच्छी नस्ल के बैलों का वीर्य महज कुछ कीमत पर पशुपालकों को दिया जा रहा है ताकि उनकी गाय गर्भधारण कर सकें. अक्तूबर,2019 में जारी हुए 20वें पशुओं की संख्या आंकड़े के अनुसार, 75% पशु मादा प्रजाति (गाय) के हैं. यह स्पष्ट संकेत है कि पशुपालकों के द्वारा देश में दूध उत्पादन के लिए दूध देनेवाले पशुओं पर काफी ध्यान दिया जा रहा है. इसका एक कारण यह भी है कि सरकार द्वारा गोवंश को बढ़ाने और संरक्षण के लिए कई तरह की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं.

गौरतलब है कि 2019 में उत्तर प्रदेश में मवेशियों की संख्या सबसे अधिक रही, इसके बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश, बंगाल, बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात का स्थान है. अब इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पशु चिकित्सालयों में देसी गायों के कृत्रिम गर्भाधान के लिए विशेष सीमेन का इस्तेमाल हो रहा है. पशुपालन विभाग का दावा है कि इससे 90 फीसद बछिया पैदा होंगी, वह भी साहीवाल नस्ल की. पशुपालकों को इसके एवज में 300 रुपये शुल्क के रूप में देने होंगे. बता दे कि साहीवाल नस्ल की गाय अधिक दूध देती है.

पशु पालन विभाग का यह प्रयास सड़क पर बढ़ते निराश्रित पशुओं की संख्या कम करने के लिए भी है. गोरखपुर जिले के अलग-अलग गोआश्रय स्थलों में 2100 गोवंश मौजूद हैं. इसके बावजूद सड़क व खेतों में बेसहारा गोवंश की संख्या कम नहीं हो रही है. यह संख्या अब और न बढ़े, इसलिए पशुपालन विभाग पशु चिकित्सालयों में विशेष सीमेन (सेक्स्ड सार्टेड सीमेन) से गायों का गर्भाधान करा रहा है. जिले में 50 पशु चिकित्सालय हैं. दो माह में 385 गोवंशियों को यह सीमेन लग चुका है.

मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डा.देवेन्द्र कुमार शर्मा के मुताबिक, इस कृत्रिम गर्भाधान से 90 फीसद साहीवाल नस्ल की बछिया पैदा होंगी. इससे एक ओर जहां बेसहारा मवेशियों की संख्या घटेगी. वहीं, दूसरी ओर साहीवाल नस्ल की गायों का ढंग से देखभाल किया जाए तो वह 20 लीटर तक दूध भी देंगी. यह यह पहल हर एक दृष्टिकोण से किसानों के लिए हितकारी है. 

English Summary: cattle population: With this campaign of the Animal Husbandry Department, now only the heifer of the Sahiwal breed will be born!
Published on: 27 January 2020, 02:26 IST

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