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Updated on: 1 May, 2023 12:00 AM IST
पशु आहार में मिलाया जा रहा खेतों में डालने वाला यूरिया!

कम लागत में अधिक मुनाफा लेने के लालच में मिलावट-खोरी दिन ब दिन पैर पसारती जा रही है. हैरानी की बात यह है कि इन फर्जी कम्पनियों को किसी भी विभाग की करवाई का भय भी नहीं है. ऐसा ही कुछ मौजूदा समय में डेयरी फार्मिंग में देखने को मिल रहा है.

बीते कुछ सालों में पशुओं की मौतें बढती जा रही हैं. जिसका एक मुख्य कारण माना जा रहा है पशु आहार में मिलावट. डेयरी फार्मिंग करने वाले किसानों के लिए यह खबर आँखें खोलने वाली सबित हो सकती है.

जागरूक रहें, बचाएं अपने पशु की सेहत

दुग्द उत्पादन में जो आहार आप अपने पशुओं को खिला रहे हैं उसमे सब्सडाइज़ यूरिया (Neem Coated) मिला हो सकता है! देशभर में पशु आहार का उत्पादन करने वालें उद्योगों में से कुछ उद्योग कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के लालच में पशुओं के आहार में सब्सडाइज़ यूरिया मिला रहे हैं. जी हाँ अपने सही सुना जिस यूरिया को किसान अपने खेतों में इस्तेमाल करता है उसे पशुओं के आहार में मिलाया जा रहा है. जिसे खाकर पशुओं का दूध तो बढ़ जाता है, लेकिन उसकी सेहत और उस दूध का सेवन करने वाले व्यक्ति के स्वास्थ के लिए यह बेहद ही खतरनाक साबित होता है.

बीआईएस के मानको की अवहेलना

विभागीय सूत्रों की मानें तो बाज़ार में किसानों के लिए दुग्द उत्पादन बढ़ाने के दावा करने वाली कंपनियां तेजी से पनप रही हैं, जो न तो Bureau of India Standards (BIS) के मानकों का पालन कर रही हैं, और न ही Food Safety Standard Authority of India (FSSAI) के दायरे में ही आती हैं. जिसका फायदा उठा कर ये उद्योग मन माने तरीके से पशुओं के उत्पाद में सब्सडाइज़ यूरिया की मिलावट कर रहें है. जिसके लिए किसान का जागरूक होना बहुत जरुरी है.

आखिर क्यों मिलाया जाता है यूरिया?

जानकारी देते हुए भारतीय पशु-चिकित्सक अनुसन्धान संस्थान (IVRI) के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ एल. सी. चौधरी ने बताया कि दुधारू पशुओं के चारे में टेक्निकल ग्रेड यूरिया प्रोटीन के रूप में देने के लिए मिलाया जाता है, लेकिन इसकी मात्रा पशु के आहार के अनुसार 1% ही होनी चाहिए. यदि पशु एक समय में 10 किलो चारा खा रहा है तो उसमे यूरिया की मात्रा 100 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए. लेकिन ये यूरिया टेक्निकल ग्रेड यूरिया ही होना चाहिए.

लागत बचाने के लिए मिलाया जा रहा सब्सडाइज़ यूरिया!

बाज़ार में कुछ कम्पनियां पशु आहार बनाने की लागत को कम करने के लिए सब्सडाइज़ यूरिया मिला रही है. बाज़ार में टेक्निकल ग्रेड यूरिया की कीमत 82 रूपये किलो होती है, जबकि सब्सडाइज़ यूरिया मात्र 6 रूपये किलो में प्राप्त को जाता है. जिससे कम्पनी का लागत खर्च बहुत कम हो जाता है. इस लागत खर्च को बचाने के एवज में कुछ कम्पनियां पशुओं के जीवन से खिलवाड़ कर रही हैं. वहीं दूसरी तरफ पशु आहार को भारत सरकार द्वारा अभी तक खाद्य एक्ट में शामिल नहीं किया गया है. जिसके चलते इन उद्योगों पर किसी विभाग का शिकंजा ही नहीं है.

मर सकता है आपका पशु

पशुओं के चारे में सब्सडाइज़ यूरिया अथवा नीम कोटेड यूरिया मिलाना बेहद ही घातक साबित हो सकता है. और इसकी मात्रा यदि बढ़ा कर दी गई तो पशु की मृत्यु हो सकती है. उन्होंने कहा बाज़ार की मिलावट वालें आहार को छोड़ किसान स्वयं ही अपने पशु का आहार तैयार कर सकता है. जिसमे गुणवत्ता भी बनी रहती है और यह आहार सस्ता भी पड़ता है. बाज़ार में उपलब्ध मंहगे दामों पर मिल रहें पशु आहार को पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जा सकता है.

यूरिया मिलाने से बढ़ जाता है पशु का दूध

डॉ एल. सी. चौधरी ने बताया कि दुधारू पशु के संतुलित आहार में यूरिया मिलाने से दूध की मात्रा अधिक बढ़ जाती है. जिसके लालच में अधिक यूरिया मिला दिया जाता है. परन्तु किसान को जागरूक होकर अपने पशु को ऐसे आहार से बचाना चाहिए. इससे दूध तो बढ़ जायेगा लेकिन किसान का पशु अस्वस्थ हो जायेगा. और ज्यादा अधिक मात्रा में यूरिया खिलाने से पशु की मौत भी हो सकती है.

BIS ऐप पर सीधी शिकायत करें

इस संबंध में जानकारी देते हुए BIS लखनऊ ब्रांच के Scientist-E & Head असित महाराणा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में बहुत बड़ी संख्या में पशु आहार बनाने वाली कंपनियां काम कर है जिनमे से एक-दो उद्योग ही ऐसे है जिनके पास BIS सर्टिफिकेट है. पशु के आहार की गुणवत्ता और जाँच का कार्य FSSAI के अधीन है. उन्होंने कहा कि BIS के मानकों के अनुसार पशु आहार की सही और सटीक जानकारी पेकेट पर होनी चाहिए, साथ ही किसान कोई भी आहार बिना ISI मार्क के नहीं ख़रीदे, जिस पर ISI मार्क लगा है उस पर भी यदि सही और सटीक जानकारी अथवा मिलावट का अंदेशा हो तो किसान उस आहार के पेकेट की फोटो खीच कर BIS CARE एप पर भेज सकते है. उन्होंने कहा BIS की इस एप पर कोई भी किसान किसी भी वक्त ऐसे उत्पाद की शिकायत दर्ज कर सकता है.

कैसे पता लगाएं मिलावट का ?

प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ एल. सी. चौधरी ने कहा कि इसका कोई ऐसा आसान तरीका नहीं है लेकिन किसी भी अंदेशे को दूर करने के लिए किसान व्यक्तिगत रूप से किसी भी पशु आहार को इस्तेमाल करने से पहले या किसी भी अंदेशे के चलते अपने पशु के आहार का लैब टेस्ट जरुर करवा लेना चाहिए. किसान को सिर्फ उसी लैब से टेस्ट करवाना चाहिए जोकि NABL प्रमाणित लैब हो. इससे न केवल पशु के स्वास्थ्य से संकट हट जायेगा बल्कि दूध का सेवन करने वाले ग्राहक का स्वास्थ भी सुरक्षित रहेगा.

पशु आहार खाद्य एक्ट में शामिल नहीं

वही इस बारें में जानकारी देते हुए विनीत कुमार सहायक आयुक्त (खाद्य) खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन उत्तर प्रदेश ने बताया कि पशु आहार को फ़ूड एक्ट में शामिल करने की प्रक्रिया चली हुई है, पंरतु अभी तक पशु आहार को खाद्य एक्ट में शामिल नहीं किया गया है, इसलिए अभी ऐसे मामलों में गुणवत्ता जाँच और कार्रवाई करना विभाग के अधीन नहीं है.

English Summary: Be careful, in the greed of more profit, urea is being added to the animal feed!
Published on: 01 May 2023, 03:57 IST

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