आज हर राज्य में अलग-अलग पद्धति के सहारे अलग-अलग खेती को नये आयाम दिए जा रहे है. उसी कड़ी में हरियाणा के पांच जिलों में टमाटर की हाइटेक स्टेकिंग फार्मिग खेती की जा रही है. इस बार दिसंबर के महीने में रेवाड़ी से भी इसकी खेती को शुरू किया जाएगा. रेवाड़ी में पहली बार इस तरह से टमाटर की खेती को किया जा रहा है. इस तकनीक के तहत पहले साल में 50 हेक्टेयर में इसकी बुवाई की जाएगी.
खास बात तो यह है कि इस पद्धति में टमाटर की उन्नत बेलदार किस्म को ही उगाने का कार्य किया जाएगा. बाद में पौधे की बेल को बांस के सहारे ऊपर चढ़ाया जाएगा. इस तकनीक से एक पेड़ में फल भी काफी ज्यादा लगेंगे और लगभग 13 से 14 किलोग्राम तक उत्पादन प्राप्त हो सकता है. जबकि पुरानी तकनीक से एक पौधे में केवल 6 से लेकर 7 किलोग्राम तक ही उत्पादन हो सकता है. यही नहीं किसानों को यहां टमाटर की खेती (Tomato Farming) हाईटेक तरीके से करने पर सब्सिडी भी मिलेगी.
स्केटिंग पद्धति पर मिलेगी सब्सिडी (Subsidy will be provided on skating method)
यहां के जिला बागवानी अधिकारी ने जानकारी दी कि स्टेकिंग पद्धति खेती करने वाले किसानों को बागवानी विभाग की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है. इसमें 40 फीसदी सब्सिडी बुवाई और बीज आदि पर मिलती है. इसी तरह इस पद्धति को विकसित करने में 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है. पहली बार रेवाड़ी जिले में इसकी खेती को किया जा रहा है. सभी किसानों को इस नई तकनीक का फायदा उठाना चाहिए.
पांच जगह उगा रहे किसान नई पद्धति से टमाटर (Farmers growing five places tomatoes with new method)
हरियाणा में पांच जिलों में हाइटेक फार्मिग की खेती केवल यमुनानगर, गुड़गांव, कुरूक्षेत्र और हिसार ऐर फतेहाबाद शामिल है. इन सभी जिलों में कई सालों से स्टेकिंग पद्धति के सहारे खेती हो रही है. रेवाड़ी की बात करें तो यहां पर टमाटर का 200 हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य है.इसमें बागवानी विभाग के सहारे 25 प्रतिशत हिस्से को नई पद्दति से कवर किया जाएगा.
टमाटर की दो वैरायटी उगेगी (Two varieties of tomatoes will grow)
हरियाणा जिले में टमाटर की वैरायटियां लगाई जाएंगी. इसमें हिम सोना और हिम शिखर शामिल है. ये दोनों बेल वाली काफी उन्नत किस्मे हैं. एक पौधे में 13 से 14 किलोग्राम तक फल लगेगा. जबकि समान्य तकनीक से 7 से 8 किलोग्राम तक ही यह मिलेगा.