Subsidy Scheme: हरियाणा के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है. राज्य सरकार ने किसानों को रासायनिक खाद पर निर्भरता से मुक्ति दिलाने और हरित खाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक नई योजना शुरू की है. इस योजना के तहत जो किसान अपनी जमीन पर ढेंचा (Dhaincha) की फसल उगाएंगे, उन्हें प्रति एकड़ 1,000 रुपये की आर्थिक सहायता मिलेगी. यह सहायता राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) की जाएगी.
ऐसे में आइए राज्य सरकार की इस सरकारी स्कीम की शर्तें और आवेदन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानते हैं...
क्या है ढेंचा की फसल? (What is The Dhaincha Crop?)
ढेंचा एक फलीदार फसल है, जिसे ‘ग्रीन मैन्योरिंग’ के लिए उगाया जाता है. इसे कटाई से पहले खेत में जोतकर जैविक खाद/Organic Fertilizer में बदल दिया जाता है. यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में बहुत उपयोगी मानी जाती है. ढेंचा नाइट्रोजन को स्थिर कर मिट्टी में उसकी पूर्ति करता है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता बेहतर होती है. साथ ही, यह मिट्टी की नमी बनाए रखने और उत्पादन लागत को कम करने में भी सहायक है.
योजना का उद्देश्य
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य किसानों को डिजिटल प्रणाली से जोड़ना और सरकारी योजनाओं का लाभ पारदर्शी तरीके से उन तक पहुंचाना है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसान-केंद्रित दृष्टिकोण को ज़मीनी स्तर पर उतारने का प्रयास है. सरकार चाहती है कि किसान रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद अपनाएं, जिससे मिट्टी की सेहत सुधरे और खेती की लागत भी कम हो.
कितने किसानों को होगा लाभ?
सरकार ने इस योजना को प्रदेशभर में लागू किया है, जिससे अनुमानित 3 लाख से अधिक किसानों को सीधा लाभ मिलेगा. राज्य के 22 जिलों में 4 लाख एकड़ भूमि पर फसल विविधिकरण के तहत ढेंचा की खेती को प्राथमिकता दी जा रही है. ढेंचा उगाने से जहां खेत को पोषण मिलेगा, वहीं किसान को भी नकद लाभ मिलेगा.
योजना के लिए ऐसे करें आवेदन प्रक्रिया
जो किसान इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें अपनी ढेंचा फसल की फोटो ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर समय पर अपलोड करनी होगी. बिना फोटो अपलोड किए किसान योजना का लाभ नहीं ले सकेंगे. यह पोर्टल सरकार की एक डिजिटल पहल है, जो किसानों की जानकारी और योजनाओं को एक ही स्थान पर लाकर पारदर्शिता सुनिश्चित करता है.