कृषि मशीनें किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनकर सामने आ रही हैं. हालांकि मशीनें थोड़ी महंगी होने के कारण हर एक किसान की पहुंच से बाहर है. इस समस्या को देखते हुए सरकार किसानों के लिए कई सब्सिडी योजनाएं चला रही है, ताकि उनके सिर से लागत का बोझ कम हो. इन्हीं में से एक है कृषि यंत्र अनुदान योजना, जिसमें किसानों को कृषि यंत्र की खरीदी पर भारी अनुदान दिया जाता है.
राजस्थान में कृषि यंत्र पर सब्सिडी
राजस्थान सरकार अपने राज्य के किसानों को अलग-अलग कृषि यंत्रों की खरीदी पर सब्सिडी प्रदान कर रही है. जिसमें रोटावेटर भी शामिल है. बता दें कि राज्य सरकार द्वारा रोटावेटर की खरीदी पर अधिकतम 50400 रुपए का अनुदान दिया जा रहा है.
रोटावेटर का क्या काम है
रोटावेटर एक टैक्टर चालित उपकरण है, जिसका सबसे पहला काम है खेत की जुताई कर फसल की बुवाई करना. साथ ही रोटावेटर के माध्यम के खेतों से फसल के अवशेषों को हटाने का काम किया जाता है. इसके अलावा रोटावेटर के माध्यम से कठोर और मुलायम मिट्टी में गहरी और हल्की जुताई के लिए उपयोग में लाया जा सकता है. खास बात यह कि गहरी जुताई करने से मिट्टी में नमी बरकरार रहती है.
रोटावेटर पर इतने फीसदी मिलेगी सब्सिडी
राजस्थान सरकार की ओर से रोटावेटर की खरीदी पर सब्सिडी दी जा रही है. जिसके लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु, सीमांत किसान व महिला किसानों को 50 फीसदी का अनुदान दिया जा रहा है, जिसमें सब्सिडी की राशि 42000 रुपए से लेकर 50,400 रुपए है. तो वहीं सामान्य वर्ग के किसानों को 40 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है, जिसकी राशि 34000 रुपए से 40,300 रुपए है. लेकिन किसानों को हर प्रकार के रोटावेटर पर सब्सिडी नहीं दी जाएगी. इस सब्सिडी का लाभ केवल उन किसानों को मिलेगा जो 20 बीएचपी से लेकर 35 बीएचपी क्षमता वाले रोटावेटर की खरीदी करते हैं.
रोटावेटर पर सब्सिडी के लिए आवश्यक दस्तावेज
किसानों के पास रोटावेटर की खरीदी के लिए निम्न दस्तावेजों का होना अनिवार्य है-
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आधार कार्ड या जन आधार कार्ड
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किसान का मूल निवास प्रमाण-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र
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जमाबंदी की नकल
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बैंक विवरण हेतु बैंक पासबुक की कॉपी
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ट्रैक्टर की आरसी
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आधार से लिंक मोबाइल नंबर
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पासपोर्ट साइज फोटो
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कैसे करें आवेदन
रोटावेटर की खरीदी पर सब्सिडी पाने के लिए राजस्थान के किसानों को आधिकारिक वेबसाइट राजकिसान साथी पोर्टल https://rajkisan.rajasthan.gov.in/ पर जाकर अपना पंजीकरण करवाना होगा. इसके अलावा किसान अपने नजदीकी किसान विज्ञान केंद्र और जिला कृषि अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं.