Donkey Farming Business: हाल ही में केन्द्र सरकार ने कैबिनेट बैठक के दौरान राष्ट्रीय लाइव स्टॉक मिशन योजना में संशोधन किया है. गाय-भैंस और भेड़-बकरी के साथ ही कुछ अन्य पशुओं को भी इस योजना में शामिल किया गया है. इसमें से एक पशु है गधा. अब अगर कोई पशुपालक गधा पालन करता है तो सरकार इस योजना के तहत उन्हें 50 लाख रुपये तक की सब्सिडी देगी. एनीमल एक्सपर्ट के मुताबिक, देश में लगातार गधों की संख्या में कमी देखी जा रही है. खासकर पशुगणना 2012 और 2019 के बीच गधों की संख्या में तेजी से कम हुई है.
एक आंकड़े के मुताबिक, गधों की संख्या में 60 फीसद तक की कमी आई है. इस कमी को पूरा करने और गधों को बचाने के लिए सरकार ने गधों को एनएलएम योजना (National Live Stock Mission Scheme) में शामिल करने का निर्णय लिया है. गधी के दूध से कई कॉस्मेटिक उत्पाद बनाए जा रहे हैं और इसका उपयोग खाद्य पदार्थों में भी किया जा रहा है.
देश में बचे हैं इतने गधे
पशुपालन मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में हुई पशुगणना के आंकड़ों पर गौर करे तो देश में गधों की कुल संख्या 1.23 लाख है. गधों की सबसे अधिक संख्या जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में है. इन राज्यों में गधों की संख्या लगभग एक लाख है. देश में 28 राज्यों में ही गधे बचे हैं. जिसमें से कई राज्य तो ऐसे है, जहां गधों की संख्या 2 से 10 के बीच है.
भारत में गधों की तीन रजिस्टिर्ड नस्लें
राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर), करनाल, हरियाणा के मुताबिक देश में गधों की तीन खास ब्रीड रजिस्टिर्ड हैं. जिसमे गुजरात की दो कच्छी और हलारी हैं. वहीं हिमाचल की स्पीती ब्रीड है. बड़ी संख्या में ग्रे कलर के गधे यूपी में भी पाए जाते हैं. लेकिन यह नस्ल रजिस्टर्ड नहीं है. अच्छी नस्ल के गधों के मामले में गुजरात अव्वल है.
दूध के चलते गधी की डिमांड बढ़ी
एक्सपर्ट के मुताबिक दूध की डिमांड के चलते अब गधी की मांग ज्यादा होने लगी है. अगर दूध हलारी गधी का हो तो फिर कहने ही क्या. लेकिन हलारी नस्ल के गधे ही कम बचे हैं तो गधी भी कम हो रही हैं. कुछ ऐसा ही हाल स्पीती नस्ल के गधों का भी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में देश में हलारी गधों की संख्या 1200 दर्ज की गई थी. लेकिन साल 2020 में यह संख्या घटकर 439 ही रह गई. इसी तरह से स्पीती नस्ल के गधों की संख्या 10 हजार ही बची है.