किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. एक तरफ सरकार किसानों को अपनी कई स्कीम के साथ बागवानी के लिए प्रोत्साहित कर रही है. दूसरी ओर, सरकार ने फल पकाने वाले बिजनेस में भी सहायता देने का ऐलान कर दिया है. बिहार सरकार की कृषि विभाग उद्यान निदेशालय ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत राइपनिंग चेंबर लगाने के लिए जबरदस्त अनुदान देने की घोषणा की है. तो आइए जानें सब्सिडी के बाद इस बिजनेस में कितना करना होगा इन्वेस्ट और कार्बाइड से पके फलों का कैसे करें पहचान
कार्बाइड के जरिए फल को पकाते हैं किसान
पैसों के कारण ज्यादातर किसान कार्बाइड से फल पकाने का काम करते हैं. जो हमारे शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक हैं. कार्बाइड से फल पकाने का तरीका बहुत आसान होता है. इसे किसी कागज में रखकर फलों के बीच में रख दिया जाता है. कार्बाइड से फल को पकने में 12 से 24 घंटे लगते हैं. इससे पकने के बाद फल का छिलका पीले रंग का हो जाता है. लेकिन अंदर का भाग कच्चा ही रह जाता है.
कार्बाइड से पकाए गए फल की पहचान व असर
कार्बाइड से पकाया गया फल देखने में पूरी तरह से पीला होता है. उसमें कोई दाग नहीं होता. जबकि राइपनिंग चेंबर व प्राकृतिक तरीके से तैयार हुए फलों में दाग जरुर होते हैं. वहीं, कार्बाइड से पके फल के छिलके का ऊपरी हिस्सा हरा होता है. इसके अलावा, कार्बाइड का असर हमारे शरीर में बहुत खतरनाक होता है. इसमें प्यास खूब लगती है, साथ ही गला सूखता है. इसके बाद कमजोरी का भी एहसास होता है. आंखों व पेट में जलन भी होने लगता है. कार्बाइड लिवर व अन्य अंगों पर भी प्रभाव डालता है.
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पांच लाख में तैयार होता है राइपनिंग चेंबर
ऐसे में बिहार सरकार ने सब्सिडी के माध्यम से किसान को राइपनिंग चेंबर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया है. राज्य सरकार किसानों को इकाई लागत पर 50 प्रतिशत और FPO/FPC के लिए 75 प्रतिशत का सहायतानुदान दे रही है. बता दें कि राइपनिंग चेंबर को स्थापित करने में करीब पांच लाख रुपये का खर्च आता है. इसपर सरकार 50 प्रतिशत अनुदान देगी. इसका मतलब है कि किसान 2,50,000 रुपये में राइपनिंग चेंबर का निर्माण करा सकते हैं और इससे फल पकाने का कारोबार शुरू कर सकते हैं. यह उनके लिए फायदे का सौदा है. इसके अलावा, बिहार सरकार यूनिट के निर्माण पर FPO/FPC को 75 प्रतिशत का अनुदान दे रही है.
24 से 48 घंटे में पकता है फल
इस चेंबर में फल को पकाने में 24 से 48 घंटे का समय लगता है. इसके लिए प्रक्रिया भी लंबी नहीं है. इस चेंबर में फल को पकाने के लिए एथिलीन गैस का उपयोग किया जाता है. ये स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इस चेंबर को तैयार करने के लिए केवल अच्छे जगह की आवश्यकता होती है.