AIF Scheme: किसानों के लिए वरदान है एग्री इंफ्रा फंड स्कीम, सालाना कर सकते हैं 6 लाख रुपये तक की बचत, जानें कैसे करें आवेदन स्टार 33 मक्का: कम निवेश में बंपर उत्पादन की गारंटी इस किस्म के दो किलो आम से ट्रैक्टर खरीद सकते हैं किसान, जानें नाम और विशेषताएं भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका
Updated on: 26 April, 2023 12:00 AM IST
राइपनिंग चेंबर पर सब्सिडी का प्रावधान

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. एक तरफ सरकार किसानों को अपनी कई स्कीम के साथ बागवानी के लिए प्रोत्साहित कर रही है. दूसरी ओरसरकार ने फल पकाने वाले बिजनेस में भी सहायता देने का ऐलान कर दिया है. बिहार सरकार की कृषि विभाग उद्यान निदेशालय ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत राइपनिंग चेंबर लगाने के लिए जबरदस्त अनुदान देने की घोषणा की है. तो आइए जानें सब्सिडी के बाद इस बिजनेस में कितना करना होगा इन्वेस्ट और कार्बाइड से पके फलों का कैसे करें पहचान

कार्बाइड के जरिए फल को पकाते हैं किसान

पैसों के कारण ज्यादातर किसान कार्बाइड से फल पकाने का काम करते हैं. जो हमारे शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक हैं. कार्बाइड से फल पकाने का तरीका बहुत आसान होता है. इसे किसी कागज में रखकर फलों के बीच में रख दिया जाता है. कार्बाइड से फल को पकने में 12 से 24 घंटे लगते हैं. इससे पकने के बाद फल का छिलका पीले रंग का हो जाता है. लेकिन अंदर का भाग कच्चा ही रह जाता है.

कार्बाइड से पकाए गए फल की पहचान व असर

कार्बाइड से पकाया गया फल देखने में पूरी तरह से पीला होता है. उसमें कोई दाग नहीं होता. जबकि राइपनिंग चेंबर व प्राकृतिक तरीके से तैयार हुए फलों में दाग जरुर होते हैं. वहीं, कार्बाइड से पके फल के छिलके का ऊपरी हिस्सा हरा होता है. इसके अलावा, कार्बाइड का असर हमारे शरीर में बहुत खतरनाक होता है. इसमें प्यास खूब लगती है, साथ ही गला सूखता है. इसके बाद कमजोरी का भी एहसास होता है. आंखों व पेट में जलन भी होने लगता है. कार्बाइड लिवर व अन्य अंगों पर भी प्रभाव डालता है.

यह भी पढ़ें- अगर फलों को पकाने के लिए कर रहें है खतरनाक रसायनों का उपयोग तो हो सकती है जेल

पांच लाख में तैयार होता है राइपनिंग चेंबर

ऐसे में बिहार सरकार ने सब्सिडी के माध्यम से किसान को राइपनिंग चेंबर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया है. राज्य सरकार किसानों को इकाई लागत पर 50 प्रतिशत और FPO/FPC के लिए 75 प्रतिशत का सहायतानुदान दे रही है. बता दें कि राइपनिंग चेंबर को स्थापित करने में करीब पांच लाख रुपये का खर्च आता है. इसपर सरकार 50 प्रतिशत अनुदान देगी. इसका मतलब है कि किसान 2,50,000 रुपये में राइपनिंग चेंबर का निर्माण करा सकते हैं और इससे फल पकाने का कारोबार शुरू कर सकते हैं. यह उनके लिए फायदे का सौदा है. इसके अलावा, बिहार सरकार यूनिट के निर्माण पर FPO/FPC को 75 प्रतिशत का अनुदान दे रही है.

24 से 48 घंटे में पकता है फल

इस चेंबर में फल को पकाने में 24 से 48 घंटे का समय लगता है. इसके लिए प्रक्रिया भी लंबी नहीं है. इस चेंबर में फल को पकाने के लिए एथिलीन गैस का उपयोग किया जाता है. ये स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इस चेंबर को तैयार करने के लिए केवल अच्छे जगह की आवश्यकता होती है.

English Summary: Government providing money to farmers for installing ripening chamber
Published on: 26 April 2023, 04:47 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now