सभी सरकारें चाहती है उनके राज्य के किसानों के चेहरे पर मुस्कराहट रहे और इसीलिए सरकारें कुछ न कुछ करती रहती है. अब मध्य प्रदेश सरकार ने प्याज उत्पादक किसानों को खुशी देने के लिए परिवहन और भंडारण पर भी 75 फीसद सब्सिडी देने का प्रावधान किया है. इसके आलावा जो भी व्यापारी आठ सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से प्याज खरीदेगा उसे भी भाड़े पर 75 फीसद सब्सिडी मिलेगी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को प्याज की फसल का उचित दाम देना है क्योंकि पिछले दो साल से सरकार के लिए यह समस्या बनी हुई थी. इन किसानों को उनकी फसल की सही कीमत नहीं मिल पाती थी.
मध्य प्रदेश के सागर जिले की बात करें तो जिले में 11 हजार हेक्टेयर पर 10 हजार से ज्यादा किसान प्याज की खेती करते हैं. जिले में प्याज का उत्पादन 1 लाख 80 हजार मीट्रिक टन है. बेहतर पैदावार होने के बावजूद भी साल 2017 में प्याज 600 रूपये प्रति क्विंटल की दर से ही खरीदी गई थी. अब सरकार राज्य की सहकारी विपणन समितियों, कृषक उत्पादक संगठनों, राज्य के सार्वजनिक उपक्रम, निजी संस्थाओं और व्यापारियों से मध्यस्थता कर किसानों को 800 रुपए प्रति क्विंटल की दर से कीमत दिलवाने की कोशिश में है.
अब जो व्यापारी या किसान प्याज खरीदकर अन्य बड़ी मंडियों में प्याज बेचेगा उसे उसके परिवहन और भण्डारण पर आने वाले कुल खर्च की 75 फीसद सब्सिडी मिलेगी. प्याज का बाजार भाव 800 सौ रुपए प्रति क्विंटल से कम होने पर सरकार मंडियों के मॉडल विक्रय भाव और आठ सौ रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य के बीच के अंतर की राशि किसानों के खातों में सीधे डीबीटी की माध्यम से भेजेगी.
सरकार का मानना है कि जब बाजार में प्याज की आवक अधिक हो जाती है तो उस समय मंडी में इसके कीमतों में कमी आ जाती है. इसलिए इस वक्त प्याज को अन्य राज्यों की मंडी में भेजना उचित होगा क्योंकि वहां पर अच्छे दाम मिल जाते है. बड़ी मंडियों जैसे दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, कोलकाता और रांची में अच्छे भाव मिलते हैं. यही वजह है कि राज्य के जो व्यापारी, किसानों से 800 रूपये प्रति क्विंटल से अधिक दर पर प्याज खरीद कर प्रदेश के बाहर की मंडियों में बेचेंगे, उन्हें परिवहन और भण्डारण पर होने वाले खर्चों पर 75 फीसद सब्सिडी मिलेगी. इसके आलावा सहकारी विपणन समितियों अथवा कृषक उत्पादन संगठन द्वारा यदि किसानों से ली गई प्याज का प्रदेश के बाहर विक्रय का काम करती है तो परिवहन और भण्डारण पर होने वेले खर्चों की शत-प्रतिशत पूर्ति लौटा दी जाएगी. इतना ही नहीं बावजूद यदि मई और जून माह में बाजार में कीमतें 800 रूपये प्रति क्विंटल से नीचे जाती हैं तो जो पंजीकृत किसान इस अवधि में प्याज बेचेंगे उन्हें निर्धारित मंडियों के मॉडल विक्रय भाव और 800 रूपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य के बीच के अंतर की राशि सीधे उनके बैंक खाते में जमा की जाएगी.