Success Story: चायवाला से उद्यमी बने अजय स्वामी, मासिक आमदनी 1.5 लाख रुपये तक, पढ़ें सफलता की कहानी ट्रैक्टर खरीदने से पहले किसान इन बातों का रखें ध्यान, नहीं उठाना पड़ेगा नुकसान! ICAR ने विकसित की पूसा गोल्डन चेरी टमाटर-2 की किस्म, 100 क्विंटल तक मिलेगी पैदावार IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 5 February, 2019 12:00 AM IST

मध्यप्रदेश के किसानों को फसली कर्ज से मुक्ति दिलवाने के लिए इस समय राज्य का कृषि विभाग काफी गंभीरता से काम कर रहा है. अगर राज्य में जमीनी हकीकत में सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो बेहद जल्द ही मध्य प्रदेश सरकार 'स्टेबलाइजेश्न' नाम जैसे एक फंड पर विचार कर रही है. हालांकि यह योजना केंद्र सरकार की योजना है. राज्य के किसानों को फसल चक्रों को अपनाने के दौरान दाल व तिलहन फसलों के तय एमएसपी व बाजार मूल्य के विक्रय के बीज के अंतर को करीब 500 करोड़ के फंड को अदा करने की योजना है जो कि किसानों के लिए एक तरह से सब्सिडी के लिए काम करेगी. विभाग ने राज्य में किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए स्टेबाइलेजेशन फंड को स्थापित करने की योजना तैयार कर ली है.

धान की फसल में बिजली-पानी का खर्च बढ़ा

धान की बिजाई के समय से लेकर इस फसल के तैयार होने तक इसे पानी की बहुत ज्यादा जरूरत होती है. 90 दिन तक धान की फसल के तैयार होने के दौरान इसमें करीब 80 दिन पानी खड़ा रखने की जरूरत पड़ती है. योजना के मुताबिक फसली चक्र अपनाने के दौरान तिलहन-दलहन आदि फसलों को बहुत कम मात्रा में पानी की जरूरत होती है. मोटरें कम चलने से बिजली के खर्च में कटौती की काफी संभावना देखी जा रही है. इससे इस फंड को आसानी से पैसा मिल सकता है.

ये है फसल चक्र का सिस्टम

खरीफ की फसल पूरी तरह से बारिश पर निर्भर है. रबी की फसल सिंचित फसल है. सब्जियों की बुआई जुलाई से मार्च के पहले सप्ताह तक ही करें. कपास की फसल को मई-जून के महीने में बोया जाता है. जून के प्रथम सप्ताह में मूंगफली अरहर दाल, मूंग आदि को सिंचित क्षेत्र में ही किया जाता है. सर्दियों में सब्जी के उत्पादन के लिए जून -जुलाई महीने में पत्तागोभी, फूलगोभी, मिर्च, बैंगन, टमाटर की फसलों की पौध को शुरू कर दिया जाता है. पशुओं के लिए रजका को भी बोया जाता है.

खेत के चारों तरफ मुख्य रूप से अनार, अमरूद, पपीता, बिल्वपत्र व कटहल के पेड़ को लगाया जा सकता है. केंचुआ खाद और मशरूम की भी खेती की जाती है. खेत के चारों ओर नींबू वर्गीय पौधे जैसे नींबू, करोंदा आदि लगाए जा सकते है. बेलगिरी की पौध हो सकती है. बेलगिरी के जूस से कई प्रकार की आयुर्वेदिक दवाई बनती हैं. 

किसान यहां करें संपर्क

इस योजना के लिए मध्य प्रदेश के किसान अपने क्षेत्र के ग्रामीण विस्तार अधिकारी से आसानी से संपर्क को स्थापित कर सकते है. राज्य के किसान ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से निर्धारित प्रारूप में दस्तावेजों के साथ आवेदन प्रस्तुत कर सकते है. इस आवेदन की ठीक तरह से जांच की जाएगी और उसी के तहत किसानों को लोन बांटे जाएंगे.

कृषि विभाग किसानों के लिए इस तरह की होलेस्टिक योजना इसीलिए बना रहा है ताकि वह इसके माध्यम से किसानों को आसानी से जागरूक कर सके. किसानों को नुकसान से बचाकर उनको न्यूनतम आय भी उपलब्ध करवाई जा सकें. कृषि उत्पादन के साथ ही संसाधनों के उपयोग से कृषि आय में बढोतरी करना मुख्य उद्देश्य है.

किशन अग्रवाल, कृषि जागरण

English Summary: 500 crore fund to be created in Madhya Pradesh to get rid of crop loan
Published on: 05 February 2019, 01:49 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now