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Updated on: 28 January, 2021 5:12 PM IST
New Chemical Pesticides in Crops

कीटों से फसल सुरक्षा के लिए कई प्रकार की उन्नत खोज की गई है और की जा रही है. रासायनिक कीटनाशी के रूप में उन नए रसायनों की खोज की गई है जो कम से कम वातावरण को नुकसान पहुंचाए साथ ही फसल को कीटों से अच्छी तरह और तुरंत बचाव करती है. खोजकर्ता ऐसे सुरक्षित रसायन विकसित कर रहे हैं जो प्रकाश अपघटन, सूक्ष्म जीव अपघटन के साथ-साथ रासायनिक अपघटन से गुजर कर पर्यावरण में बहुत कम अवशेष छोड़ते हैं. ये रसायन अधिकतर चयनात्मक (Selective) हैं. इन प्रयासों का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो तथा फसल सुरक्षा के साथ-साथ प्राकृतिक शत्रुओं को नुकसान नहीं पहुंचाएं.

इमिडाक्लोप्रिड (IMIDACLOPRID):

यह पहला व्यवसायिक कीटनाशी है जो निकोटिनिक एसिटिलकोलाइन रिसेप्टर के साथ जुड़कर निकोटिनिक एसिटिलकोलाइन को बाधित करता है. इमिडाक्लोप्रिड की पौधे के जाइलम भाग में अच्छी गतिशीलता होती है और यह बीजोपचार, मृदा व पर्णीय छिड़काव के लिए प्रयोग किया जाता है. यह रस चूसने वाले कीटों के विरूद्ध प्रभावशाली पाया गया है. भारत में इमिडेक्लोप्रिड के कई फोरमुलेशन रजिस्टर्ड जैसे - बीजोपचार के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL (Confidor, Imidacel, Media) और इमिडाक्लोप्रिड 70 WS (Admire, AD Fyre.)

इमिडाक्लोप्रिड का प्रयोग कैसे करें: इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL @ 80-100 मिली प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ खेत में फसल पर स्प्रे कर सकते है. इमिडाक्लोप्रिड 70 WS @ 80-100 ग्राम प्रति 3-5 किलो बीज को उपचारित किया जाता है.

एसिटामिप्रिड (ACETAMIPRID):

इसकी कार्यविधि भी इमिडाक्लोप्रिड के समान ही है. यह सब्जियाँ, फलवृक्ष, चाय के बागान में कीटों के नियंत्रण में व्यापक स्तर पर उपयोग किया जाता है. इसे कपास के रस चूसक (White fly, Aphid, Jassid) कीटों के विरूद्ध प्रभावी पाया गया है तथा यह भारतीय बाजार में एसिटामिप्रिड 20 SP फोर्मूलेसन के रूप में तैयार किया हुआ मिलता है. इसका ब्राण्ड Dhanpreet, Ekka, Manic है.

एसिटामिप्रिड का प्रयोग कैसे करें: एसिटामिप्रिड 20% SP @ 80 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ खेत में फसल पर स्प्रे किया जा सकता है.

थायोमेथोक्ज़ाम (THIAMETHOXAM):

यह चावल, कपास, गेहूँ, सरसों, भिण्डी, आम, आलू और नींबूवर्गीय पौधों में तना छेदक (Stem borer), फुदका (Jassid), मोयला (Aphid), Thrips, White fly, Leaf miner, Mealy bug के विरूद्ध व्यापक स्तर पर उपयोग होने वाला कीटनाशी है. इसको बीजोपचार व पर्णीय छिड़काव दोनों विधियों से उपयोग किया जा सकता है. यह पर्णीय छिड़काव (पत्ती छिड़काव) के लिए थायोमेथोक्ज़ाम 25 WG और बीजोपचार के लिए 30 FS की सान्द्रता में तैयार किया हुआ होता है. व्यापारिक रूप से थायोमेथोक्ज़ाम 25 WG Renova, Areva, Actara, Evident और थायोमेथोक्ज़ाम 30 FS बाजार में क्रूसर  के नाम से उपलब्ध है.

थायोमेथोक्ज़ाम का प्रयोग कैसे करें: थायोमेथोक्ज़ाम 25 WG का 40-80 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर कीट दिखाई देने पर स्प्रे करें तथा थायोमेथोक्ज़ाम 30 FS की 10-20 मिली मात्रा को प्रति किलो बीज को बुवाई से पहले उपचारित करें.  

डिनोटेफ्यूरॉन (DINOTEFURAN):

यह तीसरी पीढ़ी के निकोटिनाइल समूह का कीटनाशी है जो कपास, मिर्ची, धान आदि विभिन्न फसलों के Aphid, jassid, white fly, thrips, Brown plant hopper (फुदकों, मोयला, तेला) के विरूद्ध काम करता है. यह सर्वांगी कीटनाशी है. व्यापारिक रूप से यह Osheen और Token नाम से डिनोटेफ्यूरॉन 20% SG के रूप में मिलता है.

डिनोटेफ्यूरॉन का प्रयोग कैसे करें: इसका 60 ग्राम को प्रति एकड़ की दर से छिड़काव किया जा सकता है.

फ्लोनिकामाइड (FLONICAMID):

यह सर्वांगी (Systemic) कीटनाशी होने के साथ-साथ पत्ती की ऊपरी सतह से निचली बिना छिड़काव वाली सतह तक पहुँचने की क्षमता होने के कारण लम्बे समय तक नियंत्रण करता है. फ्लोनिकामाइड मोयला (Aphid) को तेजी से रोकता है. मोयला के विरूद्ध यह उत्तम गतिविधि वाला कीटनाशी है. अच्छे टिकाऊपन के कारण यह फसल को कीटों से लम्बे समय तक सुरक्षा प्रदान करता है. यह कपास, आलू, सब्जियों और फलों वाली फसलों के फुदके, सफेद मक्खी, मिली बग के विरूद्ध भी मध्यम रूप से प्रभावी होता है. फ्लोनिकामाइड 50% व्यापारिक नाम उलाला और पनामा से बाजार में उपलब्ध है.

फ्लोनिकामाइड का प्रयोग कैसे करें: 5 ग्राम प्रति 15 लीटर की टंकी में मिलाकर स्प्रे करें.

फिप्रोनिल (Fipronil):

यह फिनाइल पाइराजोल समूह का कीटनाशी है. इसमें सर्वांगी (Systemic) यौगिक होने के साथ ही सम्पर्क (Contact) और उदरीय (Stomach) गतिविधि भी होती है. फिप्रोनिल तंत्रिका कोशिका गामा एमिनोब्यूटाइरिक एमिड (GABA) द्वारा नियंत्रित क्लोराइड माध्यम को अवरोधित कर देता है. इसको तना बेधक, गाल मक्खी, थ्रिप्स, शूट बोरर, लीफ़ फोल्डर के विरूद्ध प्रभावी पाया गया है और इसका उपयोग गन्ना, कपास, चावल और गोभीवर्गीय फसलों में लिया जा सकता है. भारत में यह 5 प्रतिशत SC और 0.3 प्रतिशत GR के रूप में रजिस्टर्ड है. किसानों के बीच यह रीजेन्ट और फेक्स के नाम से प्रसिद्ध है.

फिप्रोनिल का प्रयोग कैसे करें: फिप्रोनिल 5 SC की 400 मिली मात्रा 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर दे. तथा फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत GR को एक एकड़ खेत में 10 किलो की दर से बुरकाव कर दे उसके बाद हल्की सिंचाई भी कर दे. जिससे white grub और दीमक की नियंत्रित कर देती है.

इन्डोक्साकार्ब (INDOXACARB):

यह ओक्साडाइजिन समूह का कीटनाशी है जो कीट की तंत्रिका कोशिका में सोडियम आयन के बहाव को रोक देता है जिससे कीट में लकवा मार जाता है व कीट मर जाता है. यह दो विधियों से कीट के शरीर में प्रवेश करता है. दवा से छिड़काव की गई पत्तियों के निगलने से व कीट की त्वचा में प्रवेश के द्वारा. इसका उपयोग लेपिडोप्टेरा गण के कीटों जैसे कपास की सुण्डी, फली बेधक, बोलवर्म, चना की लट्ट (हेलीकोवरपा आर्मीजेरा), गोभी की लट्ट (डायमण्ड बैक मोथ) के विरूद्ध किया जाता है. यह 14.5 SC और 15.8 EC फार्मूलेशन में उपलब्ध है. इन्डोक्साकार्ब 14.5 SC बाजार में धावा गोल्ड और किंगडोक्सा की नाम से जानी जाती है और 15.8 EC फार्मूलेशन में यह Avanut EC के रूप में मिलती है.

क्लोरफेनापाइर (CHLORFENAPYR):

यह हैलोजेनेटेड पाइरोल समूह का कीटनाशी है. हैलोजेनेटेड पाइरोल समूह का यह पहला और एकमात्र सदस्य है. यह माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली से प्रोटीन निर्माण को बाधित करता है और माइटोकान्ड्रिया द्वारा ATP उत्पादन को रोकता है. इसे पत्तागोभी व फूलगोभी के डायमण्ड बैक मोथ के विरूद्ध प्रभावी पाया गया है. यह मिर्च की मकड़ी के विरूद्ध भी प्रभावी है तथा यह Chlorfenapyr 10 SC रूप से Inteprid के नाम से उपलब्ध है.

क्लोरफेनापाइर का प्रयोग कैसे करें: गोभी, पत्ता गोभी मूँगफली, मिर्च आदि फसलों में डायमण्ड बैक मोथ DBM, मकड़ी, Whitefly, mealy bug, aphid, Hoppers, White grub से बचाने के लिए 30 मिली दवा को 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें.

हेक्जीथायजोक्स (HEXYTHIAZOX):

यह थायजोलिडिन समूह का कीटनाशी है. हेक्सीथायजोक्स इस समूह का एक एकेरीसाइड (मकड़ीनाशक) है. यह मकड़ी या घुन की वृद्धि और विकास को प्रभावित करता है. यह चाय व मिर्च की फसल में लाल मकड़ी व पीली घुन के नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है. बाजार में यह हेक्जीथायजोक्स 5.45% EC के रूप में मैडन (Maiden) के नाम से उपलब्ध है.

हेक्जीथायजोक्स का प्रयोग कैसे करें: इसे 150-200 मिली को 200 लीटर पानी के साथ स्प्रे करें.

डायफेन्थीयूरॉन (DIAFENTHIURON):

यह आक्सीडेटिव फास्फोरिलेशन को रोककर ए.टी.पी. सिंथेज को बाधित करता है. इसको चूसक कीट (सफेद मक्खी, मोयला, तेला, थ्रिप्स), घुन और केप्सूल बेधक के विरूद्ध प्रभावी पाया गया है. भारतीय बाजार में यह डायफेन्थीयूरॉन 50 प्रतिशत WP के रूप में पेगासस, पेजर और पोलो के नाम से बाजार में उपलब्ध है.

डायफेन्थीयूरॉन की डोज़: 200-250 ग्राम दवा को एक एकड़ खेत में छिड़काव कर सकते है.

प्रोपर्गिट (Propargite):

यह सल्फाईट ईस्टर समूह का एक एकेरीसाइड (मकड़ीनाशक) है. यह आक्सीडेटिव फास्फोरिलेशन को रोककर और ए.टी.पी. निर्माण को बाधित करके घुन को मार देता है. यह लाल मकड़ी, गुलाबी बरूथी, बैंगनी बरूथी, चाय की स्कारलेट माइट, मिर्च की पीली बरूथी और सेब की यूरोपियन लाल बरूथी व दो धब्बे युक्त बरूथी के विरूद्ध बहुत प्रभावी है. बाजार में यह 57 प्रतिशत EC के रूप में ओमाइट नाम से जानी जाती है. इसकी 400 मिली मात्रा प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी के साथ स्प्रे कर सकते है.

फ्लूबेन्डिएमाइड (FLUBENDIAMIDE):

यह डाइएमाइड समूह का कीटनाशी है. फ्लूबेन्डिएमाइड, लेप्डिोप्टेरा गण के कीटों के विरूद्ध व्यापक स्तर पर उपयोग होने वाला एक नवीन श्रेणी व अनोखी रासायनिक संरचना वाला कीटनाशी है. यह कीट के शरीर में राइनोडीन संग्राहक के साथ जुड़कर लकवाग्रस्त करता है. यह भारत में विभिन्न फारमुलेशन में पंजीकृत हुआ है जैसे 20% WG (Tukami) और 39.35 SC (Fame) नाम पंजीकृत है. यह चावल और कपास के कीटों के विरूद्ध प्रभावी है. इसकी 100 मिली मात्रा प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी के साथ स्प्रे कर सकते है.

क्लोरान्ट्रानिलिप्रोल (CHLORANTRANILIPROLE):

यह भी डाइएमाइड ग्रुप का कीटनाशी है. यह लेपिडोप्टेरा गण के लगभग सभी कीट और जातियों का नियंत्रण करता है. इसमें डिम्भकनाशक (Egg) क्षमता होता है और यह गैर लक्षित कीटों के प्रति सुरक्षित और नई क्रियाविधि के साथ ही लम्बे समय तक टिकाऊ होता है. यह समन्वित कीट प्रबंधन (IPM) के लिए उचित है. यह कीट की मांसपेशियों में राइनोडीन ग्रहणकर्ता के साथ जुड़ जाता है जिसके कारण कीट को लकवा हो जाता है व कीट मर जाता है. भारत में यह 2009 में पंजीकृत हुआ था और विभिन्न फारमुलेशन जैसे 18.5% SC और 0.4% GR में उपलब्ध है. यह तना बेधक पत्ती मोड़क (चावल), हीरक शलभ क्ठड (गोभी), हेलीकोवरपा आर्मीजेरा, स्पोडोप्टेरा लिटुरा, एरियास स्पी. (कपास), दीमक, पूर्व प्ररोह बेधक, शीर्षबेधक (गन्ने में) और पीला तना बेधक, पत्ती मोड़क (चावल) को नियंत्रित करता है. यह कोराजन और फरटेरा के नाम से बाजार में बेचा जाता है.

क्लोरान्ट्रानिलिप्रोलकी का प्रयोग कैसे करें: इसकी 40-60 मिली दवा को प्रति 200 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव कर सकते हैं.

English Summary: Use of new chemical pesticides in crops and its dosage
Published on: 28 January 2021, 05:17 PM IST

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