इस साल बेमौसम बारिश की वजह से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है. पिछले दिनों देश के कई राज्यों में बेमौसम बारिश हुई, जिसकी वजह से रबी की बुवाई में देरी हुई है. ऐसे में कई फसलें हैं, जिनकी बुवाई कम होने की उम्मीद जताई जा रही है. अगर महाराष्ट्र की बात करें, तो यहां किसान काफी बड़े स्तर पर गेहूं की बुवाई करते हैं.
वैसे इस बार गेहूं की बुवाई बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन एक नवंबर तक राज्य में गेहूं की बुवाई नहीं हुई है, क्योंकि नवंबर में भी बेमौसम बारिश की वजह से बुवाई में तेजी नहीं आ पाई. ऐसे में अब किसान ज्वार और गेहूं के विकल्प के रूप में सरसों की खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं.
हालांकि सरसों की बुवाई बहुत छोटे क्षेत्रों में होती है, लेकिन इस साल तस्वीर बदल रही है, क्योंकि किसान गेहूं के विकल्प के रूप में सरसों की खेती कर रहे हैं. वैसे भी इसकी कीमत न्यूनतम बेस प्राइस से 60 से 70 फीसदी ज्यादा है. ऐसे में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा गेहूं और सरसों की खेती उन्नत तरीके से करने की सलाह दी जा रही है. अगर किसान वैज्ञानिकों की सलाह से गेहूं और सरसों की खेती करते हैं, तो फसल की उपज बेहतर प्राप्त होगी.
गेहूं की खेती करने का तरीका (How to Cultivate Wheat)
गेहूं रबी मौसम की प्रमुख फसल है, इसलिए इसकी बुवाई के समय खेत की मिट्टी में नमी का होना जरूरी है. ध्यान रहे कि सूखी भूमि पर बुवाई के बाद अंकुरण नहीं होता है, इसलिए मौसम को देखते हुए गेहूं की बुवाई के लिए खाली खेत तैयार करें. इसके साथ ही उन्नत बीज एवं उर्वरक उपलब्ध कराना चाहिए. इसके साथ ही बुवाई से एक घंटे पहले बीजोपचार करना चाहिए, ताकि बीजों में फफूंद संक्रमण का खतरा ना हो. इसके अलावा किसान गेहूं की उन्नत किस्मों में एचडी 3226, एचडी 18, एचडी 3086 और एचडी 2967 की बुवाई कर सकते हैं.
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सरसों की खेती करने का तरीका (Mustard Cultivation Method)
सरसों की खेती में किसान तापमान को देखते हुए बुवाई करें. ध्यान रहे कि इस फसल की बुवाई में अधिक देर नहीं होनी चाहिए. वहीं, मिट्टी का परीक्षण भी कराना चाहिए. इसके अलावा सल्फर की कमी होने पर अंतिम जुताई पर 20 किग्रा/हेक्टेयर डालना चाहिए. इसके साथ ही सुनिश्चित कर लें कि बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी है या नहीं. इसके अलावा किसान पूसा विजय, पूसा-29, पूसा-30, पूसा-31 किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. इन किस्मों की बुवाई से उत्पादन अच्छा मिलता है.
ध्यान रहे कि सरसों की बुवाई से पहले कैप्टन 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना चाहिए. इसके साथ ही पंक्तियों में बुवाई करना चाहिए. अगर कम फैलने वाली किस्में हैं, तो बुवाई में 30 सेमी. की दूर और अधिक फैलने वाली किस्मों के लिए पंक्तियों में 45-50 सेमी की दूरी रखें. इसके साथ ही पौधे से पौधे की दूरी 12-15 सेमी होनी चाहिए. इस तरह वैज्ञानिक तकनीकों से किसान गेहूं और सरसों की खेती कर अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं.