आज विश्व की बढ़ती जनसंख्या के साथ ही कृषि क्षेत्र में भी कई तरह के बड़े बदलाव हो रहे हैं. कई विश्वविद्यालय या कृषि सम्बंधित संस्थाएं तरह-तरह के शोध करने के बाद हर फसल के लिए कई तरह कि उन्नत किस्मों का विकास करती रहती हैं. इन उन्नत किस्मों के लिए कृषि वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि किसानों का भी बहुत योगदान रहता है. आज भारत में ऐसे बहुत से किसान हैं जो तरह-तरह कि फसलों को लेकर कई तरह की उन्नत किस्मों को विकसित कर रहे हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने कृषि के क्षेत्र में कई ऐसे कार्य किए हैं जिसके चलते अभी तक उनको कई बड़े सम्मानों से पुरुस्कृत किया जा चुका है.
कौन हैं प्रकाश सिंह रघुवंशी
प्रकाश सिंह रधुवंशी उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के टड़िया गांव के किसान हैं. खेती किसानी में इनकी लगन ने इन्हें आज तक कृषि से सम्बंधित कई बड़े मंचों पर सम्मान दिलाया है. आज तक इन्हें भारत के तीन पूर्व राष्ट्रपतियों के द्वारा भी कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया जा चुका है. आज हम इनके द्वारा विकसित की गयी अरहर की एक नई किस्म के बारे में आपको बतायेंगें.
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अरहर की नई विकसित किस्म “कुदरत ललिता”
अरहर की यह किस्म “कुदरत ललिता” को भी प्रकाश सिंह और इनके सहयोगियों ने मिल कर विकसित किया है. इनके अनुसार अरहर की यह किस्म भारत के एक दो प्रदेशों के लिए ही नहीं बल्कि बहुत से प्रदेशों के लिए बहुत ज्यादा उपयोगी सिद्ध होने वाली है. प्रकाश जी के अनुसार यह किस्म भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश जैसे प्रदेशों के लिए दाल के क्षेत्र के लिए एक वरदान सिद्ध होने वाली है.
प्रति हेक्टेयर मिलेगी 30 कुंतल तक की उपज
अरहर की यह विकसित किस्म एक हेक्टेयर में 25 से लेकर 30 कुंतल तक की पैदावार करने में सक्षम होती है. इतना ही नहीं अगर हम इसकी तुलना किसी अन्य किस्म से करें तो यह 80 प्रतिशत तक ज्यादा पैदावार के रिकॉर्ड को अपने नाम रखती है. यही कारण है कि “कुदरत ललिता” की पैदावार अरहर कि अन्य किस्मों की अपेक्षा एक नई क्रांति लाने में सक्षम बनने वाली है.
“कुदरत ललिता” में नहीं लगेगी कोई बीमारी या कीड़ा
अरहर की इस किस्म में किसी भी तरह का कोई कीड़ा या बीमारी नहीं लगती है. जिससे आपको किसी भी तरह के कीटनाशक के प्रयोग की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इससे किसान कीटनाशकों पर खर्च किए जा रहे पैसे तो बचते ही हैं साथ ही साथ फसल की पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है. प्रकाश सिंह की माने तो अरहर कि यह किस्म किसानों के लिए बहुत ही ज्यादा लाभकारी होती है.
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20 जून से 30 जुलाई तक करें बुवाई
अगर आप भी इस “कुदरत ललिता” किस्म की बुवाई करना कहते हैं तो आपको इसके सही समय की जानकारी होना बहुत जरूरी है. फसलों को उनके सही समय पर बोने पर उनकी ग्रोथ और उत्पादन दोनों पर ही बड़ा प्रभाव पड़ता है. “कुदरत ललिता” किस्म की बुवाई का सही समय 20 जून से 30 जुलाई तक का होता है. आप एक हेक्टेयर भूमि के उत्पादन के लिए 10 से 15 किलोग्राम बीजों का उपयोग कर सकते हैं. इन बीजों को बोने के लिए आपको लाइन से लाइन की दूरी को कम से कम 75 से.मी. और पौधे से पौधे की दूरी को 30 से.मी. बना कर रखना होगा. यह फसल लगभग 210 दिनों में तैयार हो जाती है.
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बीजदान महादान
प्रकाश सिंह रघुवंशी बीजदान को अपने जीवन में महादान मानते हैं. उनके अनुसार वह यह काम किसानों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ उनकी आमदनी को बढ़ाना भी है.
उनके अनुसार सभी किसानों को कुछ न कुछ बीजों को जरूर दान करना चाहिए. इससे कई किसानों की मदद होती है. अगर आप भी प्रकाश जी के द्वारा विकसित की गयी किस्मों के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप उनके इन दिए गए नंबरों (9839253974, 9793153755) के माध्यम से उनसे सम्पर्क कर सकते हैं.