इस समय प्याज और लहसुन की कटाई लगभग पूर्ण हो चुकी है और किसान लहसुन को भंडारित करके रख रहे हैं. इन कंद वाली फसलों का भंडारण करने की स्थिति में किसान को कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी होती है-
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भंडारण के पहले प्याज और लहसुन को धूप में अच्छे से सुखा लें. ऐसा करने से लहसुन में नमी (Moisture) बिलकुल खत्म हो जाएगी. दरअसल थोड़ी भी नमी होने से प्याज-लहसुन के ख़राब होने की सम्भावना बढ़ जाती है.
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कंद को पूरी तरह बिना पके हुए ही निकाल देने से कन्द (Bulb) के अन्दर खाली जगह बच जाती है, जो की बाद में गर्मी और नमी के प्रभाव में आकर सड़न पैदा करती है.
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इस स्थति से बचने के लिए कन्द के उपरी तने यानि सतह से उपरी भाग को 80% तक सूखने के बाद ही निकाले अतः इस स्थति में पोधे का तना मुड़कर जमीन की और हो जाता है तब निकालें.
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यदि पर्याप्त जगह उपलब्ध हो और लहसुन को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखना चाहते हों तो तने से कंद को न काटें, जब जरूरत हो तभी काटें. उन्हें एक गुच्छे में बांध कर फैला कर रख दें. अन्यथा कंद धीरे धीरे पूरा सुख जाएगा.
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यदि कटाने की आवश्यकता हो तो सबसे पहले उन्हें 8-10 दिन तक तेज धूप में सूखने दें.
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लहसुन के कंद की जड़ को तब तक सूखने दें जब तक जड़े बिखर न जाए. उसके बाद जड़ों को भी हटा दें.
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इसके बाद कंद से तने के बीच में 2 इंच की दूरी रख कर ही काटें ताकी उनकी परत हटने पर कली ना बिखरे और कंद ज्यादा समय तक सुरक्षित रहे.
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कई बार कुदाली या फावड़े से कंद को चोट लग जाती है. लहसुन के कंद की छटाई करते वक्त दाग लगे हुए कंद को अलग निकाल दें, बाद में इन्हीं दागी कंदो में सड़न पैदा हो कर अन्य दूसरे कंदों में भी सड़न फैल जाती है.
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मानसून में वातावरण नमी बढ़ जाती है और वो कंद को ख़राब करती है अतः भण्डारित किये गए प्याज लहसुन को समय समय पर देखते भी रहे. यदि कही कंदो से सड़न या बदबू आती है तो उस जगह से ख़राब कंदो को अलग कर लें अन्यथा वह अन्य उपज को भी ख़राब कर देता है.
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प्याज को भंडारित करने के लिए बांस का स्ट्रक्चर बनाया जा सकता है, जिसमें हवा प्रवाह बना रहे, ताकि प्याज के कंद सड़ें नहीं.
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अच्छे भण्डारण के लिए भण्डार गृहों (Warehouse) का तापमान 25-30 डिग्री सेन्टीग्रेड तथा आर्द्रता 65-70 प्रतिशत के मध्य होनी चाहिए.