कद्दूवर्गीय सब्जियों को बेल वाली सब्जियां भी कहा जाता है. इसकी खेती व्यापक रूप से होती है. इसमें प्रमुख रूप से खरबूज, तरबूज तोरई, लौकी, खीरा, ककड़ी, चप्पन कद्दू, टिंडा और पेठा शामिल है. मौजूदा समय में लगभग सभी किसान भाई अपने खेतों में इन सब्जियों की बुवाई कर चुके हैं, लेकिन बुवाई करके उनका कार्य पूरा नहीं हुआ है, बल्कि अभी भी किसानों को अपनी फसल का विशेष ध्यान रखना है.
दरअसल, बेल वाली सब्जियों में कई कीट का प्रकोप हो जाता है. इस कारण फसलों को भारी नुकसान पहुंचाता है. इनका प्रकोप फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता को कम कर देता है. ऐसे में पौधों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि बुवाई के बाद भी कई तरह से फसल प्रबंधन किया जाता है, ताकि फसल को किसी तरह की हानि न हो.
इसके तहत ही ज़रूरी है कि हर किसान भाई बेल वाली सब्जियों में लगने वाले कीटों पर विशेष ध्यान दें, इसलिए कृषि जागरण ने कृषि वैज्ञानिक पूजा पंत से बातचीत है. उन्होंने बताया कि किसान किस तरह आइए बेल वाली सब्जियों में लगने वाले कीट और उनकी रोकथाम कर सकते हैं.
लालड़ी कीट
इसके प्रौढ़ पीले रंग और चमकीले होते हैं, तो वहीं सूण्डियां क्रीम रंग की होती हैं. प्रौढ़ सूण्डियां पत्तियों में गोल सुराख कर देती हैं. इसके साथ ही सूण्डियां जमीन में रहकर जड़ें काटकर पौधों को नुकसान पहुंचाती हैं. इसके प्रकोप से छोटे पौधे पूर्णतया मर जाते हैं. इनका प्रकोप मार्च के पहले पखवाड़े से अप्रैल के पहले पखवाड़े तक रहता है. इसका अधिक से अधिक प्रकोप मध्य जून से अगस्त तक रहता है.
रोकथाम
इस कीट की रोकथाम के लिए 5 किलग्राम कार्बेरिल 5 डी+5 किलोग्राम राख का प्रति एकड़ धूड़ा करें. इसके अलावा 25 मि.ली. साइपरमेथ्रिन 25 ई.सी./60 मि.ली. फेनवलरेट 20 र.सी. या 100 ग्राम कार्बेरिल 50 घु.पा. को 100 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ में छिड़क देना चाहिए. लालड़ी की लटों (ग्रब्स) से बचाव के लिए 1.6 लीटर क्लोरपाइरीफास 20 ई.सी को बुवाई के 1 माह बाद सिंचाई के साथ लगाएं.
तेला, चेपा और एष्टपदी (माईट)
ये जीव पत्तों से रस चूसते हैं. इस कारण फसल कमजोर हो जाती है और पैदावार घट जाती है.
रोकथाम
250 मि.ली मैलाथियान 50 ई.सी. को 2500-250 लीटर पानी में मिलाकर 10 दिन के अंतर पर छिड़क देना चाहिए.
फल मक्खी
यह कोमल फलों के गद्दे में अण्डे देती है. इसके बाद अंडों से मेगट्स (सूण्डी) निकलकर फल के गद्दे को खाते हैं. इससे फल खराब हो जाता है. इस कीट का प्रकोप ककड़ी, काली तोरई, करेला, टिंडा, घीया और खरबूज में पाया जाता है.
रोकथाम
400 मि.ली मैलाथियान 50 ई.सी. या 500 ग्राम कार्बोरिल, 50 घु.पा. को 200-250 लीटर पानी और 1.25 किलोग्राम गुड़/सीरा में मिलाकर 10 दिन के अंतर पर प्रति एकड़ छिड़क देना चाहिए
अन्य विशेष योग्य बातें
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उपयुक्त दी गईं कीटनाशक को डाल सकते हैं, क्योंकि बेल वाली सब्जियां कुछ अन्य कीटनाशकों से जल सकती हैं.
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ओस के समय धूड़ न करें.
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8-10 मीटर की दूरी पर मक्का की कतारें लगाएं, क्योंकि उस पर फल मक्खियां एकत्र होकर बैठती हैं.
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काने व सड़े फल एकत्र करके गहरी मिट्टी में दबा दें.
पूजा पंत (कृषि वैज्ञानिक)