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Updated on: 30 September, 2022 2:14 PM IST
गेहूं की नई और उन्नत किस्म

भारत में खरीफ सीजन की समाप्ति के साथ रबी सीजन के आने की तैयारी किसानों द्वारा की जा रही है. इस बार खरीफ के मौसम में मानसून समय पर ना होने की वजह से देश के कई इलाकों में खरीफ फसलों की खेती निराशाजनक रही है. ऐसे में अब किसान रबी के फसलों के उम्मीद लगाए बैठे हैं कि यह उन्हें मुनाफा दिलाएगी.

गेहूं की खेती देश के साथ-साथ विदेशों में इसका निर्यात भी किया जाता है. यही कारण है कि इसका उत्पादन बढ़ाने के लिये कृषि वौज्ञानिक आय दिन इस पर शोध करते रहते हैं और इसकी उन्नत किस्मों को विकसित करते हैं, ताकि किसानों का मुनाफा और खाद्य सुरक्षा दोनों को सुनिश्चित किया जा सके.

गेहूं एक ऐसी खाद्यान्न फसल है, जो ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में खाद्य की आपूर्ति करता है. यही वजह है कि भारत को गेहूं का एक बड़ा उत्पादक देश कहा जाता है. वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में यह सामने आया है कि जलवायु परिवर्तन से बचने के लिये गेहूं की खेती किसानों को लिए मददगार विकल्प साबित हो सकती है. कई किसान सिंतबर के अंत तक गेहूं की अगेती खेती की तैयारी पर काम शुरू कर ही देते हैं, ताकि इस मौसम में 2 बार एक ही फसल का लाभ उन्हें मिल सके.

ऐसे में किसानों के लिए यह जरुरी है कि वह अच्छी गुणवत्ता वाली उन्नत किस्मों का चयन करें, जिससे गेहूं की अधिक पैदावार के साथ उच्च गुणवत्ता वाले फसल भी प्राप्त हों. आपको बता दें कि अब किसान भाई बड़े आराम से गेहूं की खेती तीन चरणों में कर सकते हैं. जी हाँ, कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, गेहूं की खेती तीन चरणों में की जाती है, जिसे हम अगेती खेती, मध्यम खेती और पछेती खेती कहते हैं. 

इसकी खेती के चरणों पर बात की जाए, तो गेहूं की खेती का पहला चरण 25 अक्टूबर से 10 नवंबर तक होता है. ऐसे में किसान भाई इस अवधि के दौरान गेहूं के उन्नत किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. वहीँ, दूसरे चरण की बुवाई किसान 11 नवंबर से 25 नवंबर तक कर सकते हैं और तीसरा चरण 26 नवंबर से 25 दिसंबर तक रहता है.

सिंतबर के अंत से शुरू कर 25 अक्टूबर तक गेहूं के अगेती किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. ऐसे में किसानों को यही सलाह दी जाती है कि वह बाजार से गेहूं के प्रमाणित बीज ही खरीदें.

डब्ल्यूएच 1105 (WH 1105): गेहूं के इस किस्म का चयन आप अगेती बुवाई के लिए कर सकते हैं. यह किस्म डब्ल्यूएच 1105 सबसे उन्नत किस्मों में से एक है. किसानों को यह सलाह दी जाती है कि वह इस किस्म की बुवाई के बाद 157 दिनों के अंदर कर 20 से 24 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. गेहूं की इस किस्म का पौधा सिर्फ 97 सेमी लंबाई का होता है. लम्बाई में कम होने के कारण इस किस्म को आंधी और तेज़ हवा का ख़तरा नहीं होता और नुकसान का भी खतरा कम रहता है.

वहीँ फसलों में रोग का खतरा भी नहीं होता है. ऐसे में डब्ल्यूएच 1105 (WH 1105) किस्म में पीला रतुआ रोग से लड़ने की क्षमता अधिक होती है. इसकी खेती हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेष, मध्य प्रदेश और बिहार के किसान ज्यादातर करते हैं.

एचडी 2967 (HD 2967): गेहूं की अगेती किस्मों में एचडी 2967 (HD 2967) का इस्तेमाल किसानों द्वारा खूब किया जाता है. बता दें कि ये गेहूं की यह किस्म रोगरोधी प्रजाति से है, जिसमें पीला रतुआ रोग की संभावनायें कम ही रहती हैं. साथ ही गेहूं की ये किस्म 150 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है, जिससे प्रति एकड़ में 22 से 23 क्विंटल तकत पैदावार ले सकते हैं. इस किस्म के पौधे विपरीत परिस्थितियों में भी तेजी से 101 सेमी तक बढ़ते है. गेहूं से साथ-साथ इससे भूसा यही कारण है कि इस गेहूं की कटाई के बाद भूसा भी अधिक निकलता है. यह किस्म पंजाब और हरियाणा की मिट्टी और जलवायु के हिसाब बिलकुल सटीक और उपयुक्त है.

एचडी 3086 (HD 3086): गेहूं की यह किस्म उन्नत किस्मों में से एक मानी जाती है. इस किस्म की खेती करने पर रोगों को साथ-साथ अनिश्चित मौसम के कारण होने वाले नुकसान से भी फसल को बचाया जा सकता है. इस किस्म के बीजों से 156 दिनों के बाद करीब 23 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन किसान प्राप्त कर सकते हैं.

इसकी बुवाई के लिये करीब 55 से 60 किलों प्रति एकड़ के हिसाब से बीज लगते हैं साथ ही यह पीला रतुआ के खिलाफ कवच का भी काम करता है. हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के किसान इस किस्म से खेती करके कम खर्च में बेहतर उत्पादन ले सकते हैं.

English Summary: New and improved varieties of wheat, farmers will get bumper profit
Published on: 30 September 2022, 02:19 PM IST

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